नई दिल्ली/गाजियाबाद: हर साल 28 सितंबर को विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है. रेबीज दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को इसके प्रति जागरूक करना है. अधिकतर लोग समझते हैं कि केवल कुत्तों के काटने से रेबीज होता है, लेकिन ऐसा नहीं है. कई अन्य जानवरों के काटने से रेबीज का संक्रमण होता है.
गाजियाबाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, मार्च से अगस्त के बीच 31,224 लोगों को कुत्तों ने काटा है. वहीं, 3118 लोगों को बिल्ली बंदर समेत अन्य जानवरों द्वारा काटा गया. जिनका जिले के विभिन्न सरकारी चिकित्सा इकाइयों में एंटी रेबीज वैक्सीन लगाई गई. जो डॉग बाइट का कुल 10 प्रतिशत है. यह कहना गलत नहीं होगा की सबसे अधिक मामले डॉग बाइट के हैं.
बाइट और स्क्रैच से होता है रेबीज: डिप्टी सीएमओ डॉ राकेश कुमार गुप्ता के मुताबिक, जिले में कुत्ता, बिल्ली समेत अन्य जानवरों की तुलना में डॉग बाइट के सबसे अधिक मामलेआ रहे हैं. कुत्ता, बिल्ली, बंदर, लोमड़ी समेत अन्य जानवरों के डीप बाइट या फिर स्क्रैच करने से रेबीज हो सकता है. अन्य जानवरों की तुलना में डॉग बाइट से रेबीज होने का खतरा काफी अधिक होता है. रेबीज Lyssavirus ग्रुप का वायरस.
24 घंटे में लगवाएं टीका: किसी भी जानवर द्वारा अगर काटा गया है और जानवर पालतू नहीं आवारा है तो तुरंत रेबीज की वैक्सीन डॉक्टर से सलाह करने के बाद जरूर लगाए. बाइट या स्क्रैच के 24 घंटे के भीतर टीका लगवाने की सलाह दी जाती है. डिप्टी सीएमओ के मुताबिक, रेबीज के प्रति लोगों को सचेत करने के लिए तीन स्तर पर कार्यवाही की जाती है. लोगों को जागरूक करना, निचली चिकित्सा इकाइयों पर वैक्सीन उपलब्ध कराना और वैक्सीनेशन और फॉलो अप वैक्सिनेशन पर जोर देना. डॉ राकेश बताते हैं कि रेबीज 100 प्रतिशत जानलेवा है. ऐसे में सही समय पर टीका लगवाने की सलाह दी जाती है.
रेबीज के लक्षण: आवाज में बदलाव, मरीज अंधेरे में रहना पसंद करेगा, सामान्य से अधिक आंसू आना और लार बना, रोशनी से घुटन महसूस होना, पानी घटकने में परेशानी होना, कई बार बोतल में मौजूद पानी के हिलने पर आने वाली आवाज से भी चिढ़ना महसूस होती है. कई मामले ऐसे भी सामने आ चुके हैं कि जब रेबीज के लक्षण प्रकट होने में कई दिनों से लेकर कई साल तक लगे हैं.
कई हजार लोग गंवाते हैं जान: वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के मुताबिक हर साल कुत्तों के काटने के बाद रेबीज होने से तकरीबन 55 हजार लोग जान गंवाते है. अफ्रीका और एशिया में डॉग बाइट के सबसे अधिक मामले मिलते हैं. भारत में रैबीज से होने वाली कुल मौतों में से तकरीबन 30 से 60% 15 साल से कम उमर के बच्चे होते हैं.
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