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Government Hospital: दिल्ली सरकार के सबसे बड़े अस्पताल लोकनायक में डॉक्टरों की कमी, 150 से ज्यादा पद खाली

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Published : Aug 20, 2023, 7:20 AM IST

राजधानी दिल्ली के लोकनायक अस्पताल में 150 से ज्यादा स्थाई डॉक्टरों के पद खाली है. हॉस्पिटल में डॉक्टरों की कमी की वजह से जूनियर व सीनियर रेजिडेंट के डॉक्टरों को 12-12 घंटे काम करना पड़ता है.

लोकनायक अस्पताल
लोकनायक अस्पताल

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल लोकनायक भी स्थाई डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है. यहां के एनेस्थीसिया और बर्नस एवं प्लास्टिक, मेडिसिन, डर्मेटोलॉजी विभाग में डॉक्टरों की कमी है. इसकी वजह से जूनियर (जेआर) व सीनियर रेजिडेंट (एसआर) डॉक्टरों को 12-12 घंटे काम करना पड़ता है. इसके बदले उन्हें 89 दिन का अनुबंध होने के चलते छुट्टी भी मुश्किल से मिलती है. अनुबंध को 89 दिन पूरे होने पर आगे तो बढ़ा दिया जाता है. लेकिन, अगर अस्पताल की किसी अव्यवस्था को लेकर कोई एसआर या जेआर सवाल उठाता है तो उसके अनुबंध को खत्म कर दिया जाता है.

जब अनुबंध को आगे बढ़ाने का समय आता है तो उसके लिए इन जूनियर डॉक्टरों को बहुत लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. इन्हें अपने विभागाध्यक्ष, अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक और चिकित्सा निदेशक से भी अनुबंध बढ़ाने के लिए लिखवाना पड़ता है. सिर्फ लोकनायक अस्पताल ही नहीं, यह अस्पताल जिस मेडिकल कॉलेज से संबद्ध है उसमें भी बड़ी संख्या में फैकल्टी के पद खाली हैं. इसके अलावा कुछ कंसल्टेंट डॉक्टर के पद भी खाली हैं. इनकी जगह अनुबंध पर कुछ डॉक्टर रखे गए हैं.

अस्पताल में जब स्थाई डॉक्टरों की नियुक्ति तो यूपीएससी से होती है. उसमें हमारी कोई भूमिका नहीं होती. खाली स्थाई पदों की जगह जरूरत के अनुसार अनुबंध पर डॉक्टर रखे जाते हैं. जिनका अनुबंध आवश्यकता होने पर आगे भी बढ़ाया जाता है. कोरोना काल में ज्यादा डॉक्टर और स्टाफ की जरूरत थी तब सरकार के निर्देश पर भर्ती की गई थी. बाद में कोरोना काल खत्म होने के बाद जिन डॉक्टरों का अनुबंध खत्म हो गया उनकी जगह खाली हो गई. अब जरूरत के अनुसार फिर भर्ती की जाएगी.

डॉक्टर सुरेश कुमार, चिकित्सा निदेशक लोकनायक अस्पताल

असिस्टेंट प्रोफेसर के 50 से ज्यादा पद खाली: देश के शीर्ष मेडिकल कॉलेज की सूची में शामिल मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (एमएएमसी) में फैकल्टी असिस्टेंट प्रोफेसर के 50 से ज्यादा पद खाली है. एमएएमसी रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) के अध्यक्ष डॉ. अविरल माथुर ने बताया कि कॉलेज में पद खाली रहने का बड़ा कारण यहां असिस्टेंट प्रोफेसर का वेतन जूनियर रेजिडेंट और सीनियर रेजिडेंट दोनों से कम है. लोक नायक अस्पताल में जूनियर रेजिडेंट का वेतन एक लाख रूपए है, जबकि असिस्टेंट प्रोफेसर का वेतन 90 हजार रूपए है.

डॉक्टरों के स्वीकृत पद:

डॉक्टरों के पद850
भरे पद685
खाली पद165

नर्स के स्वीकृत पद:

नर्स के पद1578
भरे पद1509
खाली पद19

दूसरे अस्पतालों में भेजे गए कर्मचारी: 50

टेक्नीशियन के कुल पद120
भरे पद93
खाली पद27

...इसलिए नहीं आते डॉक्टर: डॉ माथुर ने बताया कि असिस्टेंट प्रोफेसर का पद जूनियर रेजिडेंट की तुलना में कई लेवल ऊपर है लेकिन वेतन कम है. इस वजह से भी मेडिकल कॉलेज में अनुबंध पर जब असिस्टेंट प्रोफेसर की जगह निकलती हैं तो लोग आते नहीं हैं. इसके अलावा अस्पताल के कई डॉक्टरों को दूसरे अस्पतालों में भी डायवर्ट किया गया है. इसकी वजह से भी यहां डॉक्टरों की कमी है. इसी तरह नर्स, टेक्निशियन के पद भी स्वीकृत पदों की तुलना में खाली हैं. जिनकी वजह से इन विभागों में भी काम का दबाव रहता है.

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  2. दिल्ली में इस जगह अब भी मंत्री बने हुए हैं सत्येंद्र जैन, सामने आई शासन और प्रशासन की बड़ी लापरवाही

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल लोकनायक भी स्थाई डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है. यहां के एनेस्थीसिया और बर्नस एवं प्लास्टिक, मेडिसिन, डर्मेटोलॉजी विभाग में डॉक्टरों की कमी है. इसकी वजह से जूनियर (जेआर) व सीनियर रेजिडेंट (एसआर) डॉक्टरों को 12-12 घंटे काम करना पड़ता है. इसके बदले उन्हें 89 दिन का अनुबंध होने के चलते छुट्टी भी मुश्किल से मिलती है. अनुबंध को 89 दिन पूरे होने पर आगे तो बढ़ा दिया जाता है. लेकिन, अगर अस्पताल की किसी अव्यवस्था को लेकर कोई एसआर या जेआर सवाल उठाता है तो उसके अनुबंध को खत्म कर दिया जाता है.

जब अनुबंध को आगे बढ़ाने का समय आता है तो उसके लिए इन जूनियर डॉक्टरों को बहुत लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. इन्हें अपने विभागाध्यक्ष, अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक और चिकित्सा निदेशक से भी अनुबंध बढ़ाने के लिए लिखवाना पड़ता है. सिर्फ लोकनायक अस्पताल ही नहीं, यह अस्पताल जिस मेडिकल कॉलेज से संबद्ध है उसमें भी बड़ी संख्या में फैकल्टी के पद खाली हैं. इसके अलावा कुछ कंसल्टेंट डॉक्टर के पद भी खाली हैं. इनकी जगह अनुबंध पर कुछ डॉक्टर रखे गए हैं.

अस्पताल में जब स्थाई डॉक्टरों की नियुक्ति तो यूपीएससी से होती है. उसमें हमारी कोई भूमिका नहीं होती. खाली स्थाई पदों की जगह जरूरत के अनुसार अनुबंध पर डॉक्टर रखे जाते हैं. जिनका अनुबंध आवश्यकता होने पर आगे भी बढ़ाया जाता है. कोरोना काल में ज्यादा डॉक्टर और स्टाफ की जरूरत थी तब सरकार के निर्देश पर भर्ती की गई थी. बाद में कोरोना काल खत्म होने के बाद जिन डॉक्टरों का अनुबंध खत्म हो गया उनकी जगह खाली हो गई. अब जरूरत के अनुसार फिर भर्ती की जाएगी.

डॉक्टर सुरेश कुमार, चिकित्सा निदेशक लोकनायक अस्पताल

असिस्टेंट प्रोफेसर के 50 से ज्यादा पद खाली: देश के शीर्ष मेडिकल कॉलेज की सूची में शामिल मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (एमएएमसी) में फैकल्टी असिस्टेंट प्रोफेसर के 50 से ज्यादा पद खाली है. एमएएमसी रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) के अध्यक्ष डॉ. अविरल माथुर ने बताया कि कॉलेज में पद खाली रहने का बड़ा कारण यहां असिस्टेंट प्रोफेसर का वेतन जूनियर रेजिडेंट और सीनियर रेजिडेंट दोनों से कम है. लोक नायक अस्पताल में जूनियर रेजिडेंट का वेतन एक लाख रूपए है, जबकि असिस्टेंट प्रोफेसर का वेतन 90 हजार रूपए है.

डॉक्टरों के स्वीकृत पद:

डॉक्टरों के पद850
भरे पद685
खाली पद165

नर्स के स्वीकृत पद:

नर्स के पद1578
भरे पद1509
खाली पद19

दूसरे अस्पतालों में भेजे गए कर्मचारी: 50

टेक्नीशियन के कुल पद120
भरे पद93
खाली पद27

...इसलिए नहीं आते डॉक्टर: डॉ माथुर ने बताया कि असिस्टेंट प्रोफेसर का पद जूनियर रेजिडेंट की तुलना में कई लेवल ऊपर है लेकिन वेतन कम है. इस वजह से भी मेडिकल कॉलेज में अनुबंध पर जब असिस्टेंट प्रोफेसर की जगह निकलती हैं तो लोग आते नहीं हैं. इसके अलावा अस्पताल के कई डॉक्टरों को दूसरे अस्पतालों में भी डायवर्ट किया गया है. इसकी वजह से भी यहां डॉक्टरों की कमी है. इसी तरह नर्स, टेक्निशियन के पद भी स्वीकृत पदों की तुलना में खाली हैं. जिनकी वजह से इन विभागों में भी काम का दबाव रहता है.

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