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बच्चों को मिड डे मील नहीं देने के खिलाफ याचिका दायर, दिल्ली सरकार को नोटिस जारी

लॉकडाउन के दौरान स्कूलों के छात्रों को मिड डे मील या फुड सिक्योरिटी अलाउएंस देने की मांग करनेवाली याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया गया है.

delhi high court
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Published : Jun 2, 2020, 4:16 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन के दौरान स्कूलों के छात्रों को मिड डे मील या फुड सिक्योरिटी अलाउएंस देने की मांग करनेवाली याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है. जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस प्रतीक जालान ने दिल्ली सरकार से 16 जून तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.


मिड डे मील या खाते में पैसा ट्रांसफर करने की मांग

याचिका महिला एकता मंच नामक एनजीओ ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील कमलेश कुमार ने याचिका में मांग की है कि मिड डे मील के तहत पका भोजन छात्रों को उपलब्ध कराया जाए या इसके बदले उनके खाते में पैसा ट्रांसफर किया जाए.

याचिका में कहा गया है कि स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चों के अभिभावकों ने याचिकाकर्ता एनजीओ से संपर्क कर बताया कि वे मिड डे मील के लाभार्थी हैं. उन्हें मिड डे मील नहीं मिल रहा है.


वंचित वर्ग के बच्चों के लिए योजना

याचिका में कहा गया कि मिड डे मील की योजना लाने के पीछे दो वजहें थीं. पहला यह कि इससे वंचित वर्ग के बच्चे स्कूल में पढ़ने आते हैं और दूसरा कि पांच वर्ष से 15 वर्ष तक के बच्चों में कुपोषण से लड़ा जा सकता है.

याचिका में कहा गया है कि कोरोना वायरस ने जब देश में अपना पांव पसारा तो सरकारी एजेंसियां और मेडिकल एक्सपर्ट लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कदम उठाने पर विचार कर रही थी. लेकिन, दिल्ली सरकार ने गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए मिड डे मील बंद कर दिया.



दिल्ली में नहीं दिया जा रहा है मिड डे मील

याचिका में कहा गया कि मिड डे मील योजना के तहत प्राथमिक और उच्च प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ने छात्रों को दोपहर का भोजन उपलब्ध करवाया जाता है. मिड डे मील सभी सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त, स्थानीय निकायों की ओर से संचालित स्कूलों, मदरसों में दिया जाता है. इसके लाभार्थी समाज के वंचित और गरीब तबके के बच्चे होते हैं लेकिन दिल्ली में इन बच्चों को कोरोना जैसे संकट की घड़ी में मिड डे मील नहीं दिया जा रहा है.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन के दौरान स्कूलों के छात्रों को मिड डे मील या फुड सिक्योरिटी अलाउएंस देने की मांग करनेवाली याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है. जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस प्रतीक जालान ने दिल्ली सरकार से 16 जून तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.


मिड डे मील या खाते में पैसा ट्रांसफर करने की मांग

याचिका महिला एकता मंच नामक एनजीओ ने दायर किया है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील कमलेश कुमार ने याचिका में मांग की है कि मिड डे मील के तहत पका भोजन छात्रों को उपलब्ध कराया जाए या इसके बदले उनके खाते में पैसा ट्रांसफर किया जाए.

याचिका में कहा गया है कि स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चों के अभिभावकों ने याचिकाकर्ता एनजीओ से संपर्क कर बताया कि वे मिड डे मील के लाभार्थी हैं. उन्हें मिड डे मील नहीं मिल रहा है.


वंचित वर्ग के बच्चों के लिए योजना

याचिका में कहा गया कि मिड डे मील की योजना लाने के पीछे दो वजहें थीं. पहला यह कि इससे वंचित वर्ग के बच्चे स्कूल में पढ़ने आते हैं और दूसरा कि पांच वर्ष से 15 वर्ष तक के बच्चों में कुपोषण से लड़ा जा सकता है.

याचिका में कहा गया है कि कोरोना वायरस ने जब देश में अपना पांव पसारा तो सरकारी एजेंसियां और मेडिकल एक्सपर्ट लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कदम उठाने पर विचार कर रही थी. लेकिन, दिल्ली सरकार ने गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए मिड डे मील बंद कर दिया.



दिल्ली में नहीं दिया जा रहा है मिड डे मील

याचिका में कहा गया कि मिड डे मील योजना के तहत प्राथमिक और उच्च प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ने छात्रों को दोपहर का भोजन उपलब्ध करवाया जाता है. मिड डे मील सभी सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त, स्थानीय निकायों की ओर से संचालित स्कूलों, मदरसों में दिया जाता है. इसके लाभार्थी समाज के वंचित और गरीब तबके के बच्चे होते हैं लेकिन दिल्ली में इन बच्चों को कोरोना जैसे संकट की घड़ी में मिड डे मील नहीं दिया जा रहा है.

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