नई दिल्ली: नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए केंद्रीय निगरानी कमेटी का गठन किया है. ये कमेटी देश भर की नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए एक योजना तैयार करेगी. एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने इस बात को नोट किया कि नदियों के प्रदूषण से पानी और पर्यावरण की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया है.
नदियां होंगी प्रदूषण मुक्त
इस कमेटी में नीति आयोग के प्रतिनिधि, जल संसाधन विभाग, शहरी विकास और पर्यावरण मंत्रालयों के सचिव, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा अभियान के महानिदेशक और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन शामिल होंगे. ये कमेटी राज्यों की नदी पुनर्रुद्धार कमेटियों के साथ समन्वय स्थापित कर कार्ययोजना के क्रियान्वयन की निगरानी करेगी. कमेटी कार्ययोजना की समयसीमा, बजटीय व्यवस्था और अन्य पहलुओं पर भी निगरानी रखेगी. राज्यों के मुख्य सचिव इस काम के लिए नोडल एजेंसी का काम करेंगे.
ट्रीटेड वाटर के इस्तेमाल की योजना
एनजीटी ने निर्देश दिया है कि कमेटी की पहली बैठक 30 जून को होगी. ये कमेटी ट्रीटेड वाटर के इस्तेमाल के तरीकों और उनकी आपूर्ति कैसे की जाए इस पर इस्तेमाल बनाएगी. एनजीटी ने गुजरात के सूरत, महाराष्ट्र के नागपुर और राजस्थान के भीलवाड़ा में ट्रीटेड पानी के इस्तेमाल के तरीकों की सराहना करते हुए कमेटी को उनका मॉडल अपनाने की सलाह दी है. कमेटी ने 31 जुलाई तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.
351 प्रदूषित स्थानों की गई पहचान
एनजीटी ने ये आदेश एक अंग्रेजी दैनिक में छपी खबर के बाद दिया है. खबर में कहा गया है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नदियों के 351 प्रदूषित स्थानों की पहचान की है. इनमें से असम, गुजरात और महाराष्ट्र में ही 117 प्रदूषित स्थान हैं.