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मोक्षदा एकादशी आज, व्रत करने से होगी मोक्ष की प्राप्ति, ऐसे करें पूजा

मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत भी रखा जाता है. जानिये मोक्षदा एकादशी पूजा की विधि..

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Published : Dec 3, 2022, 7:25 AM IST

Updated : Dec 3, 2022, 7:32 AM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद स्थित शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र (Shiv Shankar Jyotish Evam Vastu Anusandhan Kendra, Ghaziabad) के आचार्य शिव कुमार शर्मा (Acharya Shiv Kumar Sharma) के मुताबिक 3 दिसंबर 2022 दिन शनिवार को गीता जयंती मनाई जाएगी.

गीता जयंती मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी तिथि को मनाई जाती है. आज से लगभग पांच हज़ार वर्ष पहले कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में कौरवों और पांडवों की दोनों सेनाओं के बीच जब अर्जुन अपने सगे संबंधियों को देखकर निराश होकर रथ के पीछे बैठ गए. तब उनके सारथी भगवान श्री कृष्ण ने उनको गीता का उपदेश दिया था. उस दिन मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी थी. उसी के दिन से यह पर्व निरंतर चला आ रहा है.

Mokshada Ekadashi 2022

निष्काम कर्म योग, ज्ञान योग का विस्तृत वर्णन करते हुए आत्मा को अजर अमर बताने वाले भगवान श्री कृष्ण ने अपने उपदेश से अर्जुन के इस मोह को नष्ट किया था. भगवान श्री कृष्ण ने कहा था तुम तो केवल मात्र निमित्त हो. जो तुम विशाल सेना और महारथियों को देख रहे हो यह सब पहले ही काल गति में समा रही है. कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपना विराट रूप दिखाया था, जिसमें सारी कौरव सेना, बड़े-बड़े महारथी उनके मुख में समा रहे थे. यह देख करके अर्जुन का मोह समाप्त हुआ और युद्ध के लिए तैयार हुए. श्रीमद्भगवद्गीता निष्काम कर्म योग, ज्ञान, भक्ति और कर्म का उपदेश देने वाला ग्रंथ है. इसके अध्ययन करने और नित्य पाठ करने से मानसिक शांति और ईश्वर के प्रति भक्ति उत्पन्न होती है.

व्रत करने से मिलेगी पापों से मुक्ति

तीन दिसंबर को ही मोक्षदा एकादशी है. मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति पापों से मुक्त होकर के मोक्ष प्राप्त कर लेता है. उस दिन एकादशी प्रातः काल 5:39 से आरंभ होकर अगले दिन सूर्य उदय से पहले 5:34 बजे पर समाप्त होगी. उसके बाद द्वादशी तिथि आरंभ होगी.

कार्यों में मिलेगी सफलता

मोक्षदा एकादशी का व्रत तीन दिसंबर को ही रखा जाएगा. इस दिन प्रातः काल से अगले दिन सूर्य उदय से पहले तक रवि योग भी आ रहा है. रवि योग में सूर्य की प्रधानता होती है और इस योग में किया हुआ हर कार्य उत्तम सफलता देता है. इसलिए इस वर्ष मोक्षदा एकादशी में रवि योग का आना बहुत शुभ है.

ऐसे करें पूजा

मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को धूप, दीप, नैवेद्य से पूजा करें. प्रातः काल 11:00 से 2:00 के बीच में पूजा करें. निराहार व्रत रहे. आवश्यकता हो तो थोड़ा अल्पाहार या फलाहार अथवा दूध आदि ले सकते हैं. एकादशी का परायण अगले दिन प्रातः काल होगा.

होती है मोक्ष की प्राप्ति

भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी सभी पापों को निवारण करके मोक्ष को प्रदान करती है. मोक्ष वह अवस्था होती है जिसमें व्यक्ति की सारी कामना, इच्छाएं पूर्ण हो जाता है और फिर उसको स्वर्ग नरक आदि के चक्र से हटकर के भगवान के चरणों में लीन होना पड़ता है. वह सांसारिक आवागमन के चक्कर से दूर जाता है. ऐसा शास्त्रीय उल्लेख है. इसलिए एकादशी का व्रत हमें पवित्रता ,निष्काम कर्म योग , समभाव का संदेश देता है. जो व्यक्ति इस प्रकार का व्यवहार करते हैं. इसको जीवन में उतारते हैं. मृत्यु के बाद भगवान विष्णु के चरणो में परम पद प्राप्त कर लेते हैं.

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नई दिल्ली/गाजियाबाद: गाजियाबाद स्थित शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र (Shiv Shankar Jyotish Evam Vastu Anusandhan Kendra, Ghaziabad) के आचार्य शिव कुमार शर्मा (Acharya Shiv Kumar Sharma) के मुताबिक 3 दिसंबर 2022 दिन शनिवार को गीता जयंती मनाई जाएगी.

गीता जयंती मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी तिथि को मनाई जाती है. आज से लगभग पांच हज़ार वर्ष पहले कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में कौरवों और पांडवों की दोनों सेनाओं के बीच जब अर्जुन अपने सगे संबंधियों को देखकर निराश होकर रथ के पीछे बैठ गए. तब उनके सारथी भगवान श्री कृष्ण ने उनको गीता का उपदेश दिया था. उस दिन मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी थी. उसी के दिन से यह पर्व निरंतर चला आ रहा है.

Mokshada Ekadashi 2022

निष्काम कर्म योग, ज्ञान योग का विस्तृत वर्णन करते हुए आत्मा को अजर अमर बताने वाले भगवान श्री कृष्ण ने अपने उपदेश से अर्जुन के इस मोह को नष्ट किया था. भगवान श्री कृष्ण ने कहा था तुम तो केवल मात्र निमित्त हो. जो तुम विशाल सेना और महारथियों को देख रहे हो यह सब पहले ही काल गति में समा रही है. कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपना विराट रूप दिखाया था, जिसमें सारी कौरव सेना, बड़े-बड़े महारथी उनके मुख में समा रहे थे. यह देख करके अर्जुन का मोह समाप्त हुआ और युद्ध के लिए तैयार हुए. श्रीमद्भगवद्गीता निष्काम कर्म योग, ज्ञान, भक्ति और कर्म का उपदेश देने वाला ग्रंथ है. इसके अध्ययन करने और नित्य पाठ करने से मानसिक शांति और ईश्वर के प्रति भक्ति उत्पन्न होती है.

व्रत करने से मिलेगी पापों से मुक्ति

तीन दिसंबर को ही मोक्षदा एकादशी है. मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति पापों से मुक्त होकर के मोक्ष प्राप्त कर लेता है. उस दिन एकादशी प्रातः काल 5:39 से आरंभ होकर अगले दिन सूर्य उदय से पहले 5:34 बजे पर समाप्त होगी. उसके बाद द्वादशी तिथि आरंभ होगी.

कार्यों में मिलेगी सफलता

मोक्षदा एकादशी का व्रत तीन दिसंबर को ही रखा जाएगा. इस दिन प्रातः काल से अगले दिन सूर्य उदय से पहले तक रवि योग भी आ रहा है. रवि योग में सूर्य की प्रधानता होती है और इस योग में किया हुआ हर कार्य उत्तम सफलता देता है. इसलिए इस वर्ष मोक्षदा एकादशी में रवि योग का आना बहुत शुभ है.

ऐसे करें पूजा

मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को धूप, दीप, नैवेद्य से पूजा करें. प्रातः काल 11:00 से 2:00 के बीच में पूजा करें. निराहार व्रत रहे. आवश्यकता हो तो थोड़ा अल्पाहार या फलाहार अथवा दूध आदि ले सकते हैं. एकादशी का परायण अगले दिन प्रातः काल होगा.

होती है मोक्ष की प्राप्ति

भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी सभी पापों को निवारण करके मोक्ष को प्रदान करती है. मोक्ष वह अवस्था होती है जिसमें व्यक्ति की सारी कामना, इच्छाएं पूर्ण हो जाता है और फिर उसको स्वर्ग नरक आदि के चक्र से हटकर के भगवान के चरणों में लीन होना पड़ता है. वह सांसारिक आवागमन के चक्कर से दूर जाता है. ऐसा शास्त्रीय उल्लेख है. इसलिए एकादशी का व्रत हमें पवित्रता ,निष्काम कर्म योग , समभाव का संदेश देता है. जो व्यक्ति इस प्रकार का व्यवहार करते हैं. इसको जीवन में उतारते हैं. मृत्यु के बाद भगवान विष्णु के चरणो में परम पद प्राप्त कर लेते हैं.

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Last Updated : Dec 3, 2022, 7:32 AM IST
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