ETV Bharat / state

प्रमोद की मौत मामले में जांच के दायरे में लोकनायक अस्पताल, जल्द हो सकती है बड़ी कार्रवाई

author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 11, 2024, 11:29 AM IST

Updated : Jan 11, 2024, 1:54 PM IST

pramod death case : प्रमोद की मौत मामले में दिल्ली सरकार ने अपने अंतर्गत आने वाले तीनों अस्पतालों लोकनायक, जीटीबी और जग प्रवेश चंद्र अस्पताल से रिपोर्ट मांग ली है. रिपोर्ट मिलने के बाद अब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कार्रवाई करने की तैयारी में हैं.

Etv Bharat
Etv Bharat
जांच के दायरे में लोकनायक अस्पताल

नई दिल्लीः दिल्ली के चार बड़े अस्पतालों में भर्ती न करने के कारण तीन जनवरी को हुई प्रमोद की मौत मामले में मजिस्ट्रेट जांच जारी है. इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने भी अपने अंतर्गत आने वाले तीनों अस्पतालों लोकनायक, जीटीबी और जग प्रवेश चंद्र अस्पताल से रिपोर्ट मांग ली है. रिपोर्ट मिलने के बाद अब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कार्रवाई करने की तैयारी में हैं.

वहीं, लोकनायक अस्पताल में मरीज को वेंटिलेटर बेड खाली न होने की बात कहकर वापस करने को लेकर अब अस्पताल के इमरजेंसी विभाग और न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉक्टर एक दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं. न्यूरोसर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पीएन पांडेय ने बताया कि तीन जनवरी को जिस समय हेड इंजुरी से घायल प्रमोद को लोकनायक अस्पताल लाया गया था तब केजुअल्टी में 15 वेंटिलेटर बेड और मेडिसिन इमरजेंसी में 10 वेंटिलेटर बेड खाली थे. ऐसे में इमरजेंसी में ऑन ड्यूटी सीएमओ को ही मरीज को इमरजेंसी में भर्ती करना चाहिए था.

पांडेय ने बताया कि न्यूरोसर्जरी में उस समय कोई वेंटिलेटर बेड खाली नहीं था. इसलिए उस मरीज को इमरजेंसी या मेडिसिन इमरजेंसी के ही वेंटिलेटर बेड पर ही भर्ती करना चाहिए था. जबकि अन्य विभाग के एक डॉक्टर का यह भी कहना है कि न्यूरोसर्जरी में भी उस दिन चार वेंटिलेटर बेड खाली थे. नर्स द्वारा प्रतिदिन लिए जाने वाले खाली बेड के डेटा की एंट्री में यह दर्ज भी है.

ये भी पढ़ें : जीटीबी की निदेशक को कारण बताओ नोटिस जारी, समय पर इलाज नहीं मिलने से मरीज की गई थी जान

वहीं, इमरजेंसी में मरीज को देखने वाले डॉक्टर का कहना है कि जब मरीज जग प्रवेश चंद्र अस्पताल से आया था तभी उसको वेंटिलेटर की जरूरत थी. उस मरीज को हाथ से बेंबू करके ऑक्सीजन दी जा रही थी. हमारे पास मरीज आने के बाद हमने 37 मिनट के अंदर उसका सीटी स्कैन और एक्सरे किया. इसके बाद सीटी स्कैन में हेड इंजरी आने के बाद उसे न्यूरोसर्जरी विभाग को भर्ती करने के लिए रैफर किया. न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉक्टर उसे पांचवें फ्लोर पर स्थित अपने वार्ड में ले गए. कुछ समय बाद ही उन्होंने नीचे इमरजेंसी में आकर वेंटिलेटर बेड खाली न होने की बात कहकर मरीज को भर्ती करने से मना कर दिया. जिसके बाद पुलिसकर्मी मरीज को आरएमएल अस्पताल ले गए.

इमरजेंसी के डाक्टरों का कहना है कि जो 25 वेंटिलेटर बेड खाली बताए जा रहे हैं, वह कोरोना के मरीजों के लिए पहले से ही आरक्षित हैं. वहीं, डॉ. पीएन पांडेय का कहना है कि उस दिन प्रमोद नाम के मरीज को भर्ती करने से मना करने के अगले ही दिन से ही इमरजेंसी में स्थित वेंटिलेटर बेड पर मरीज भर्ती करना शुरू कर दिया. उन्होंने बताया कि आज भी न्यूरोसर्जरी के दो मरीजों को इमरजेंसी के वेंटिलेटर बेड पर भर्ती किया गया है.

ये भी पढ़ें : जीटीबी अस्पताल में महिलाओं और बच्चों के लिए नया आपातकालीन वार्ड शुरू, 1069 बेड पर सीधे ऑक्सीजन

वहीं, इस पूरे मामले को लेकर लोकनायक अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार का कहना है कि अभी इसकी जांच चल रही है. जांच रिपोर्ट आने के बाद ही इस मामले पर कुछ कहेंगे. अस्पताल सूत्रों के अनुसार निदेशक कार्यालय से स्वास्थ्य सचिव को इस मामले को लेकर जो रिपोर्ट भेजी गई है, उसमें इस पूरे मामले में न्यूरोसर्जरी विभाग की लापरवाही बताई गई है. ऐसे में न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉक्टरों पर कार्रवाई होने का अंदेशा है. वहीं, एक वरिष्ठ डॉक्टर का यह भी कहना है कि इस मामले में उनके विभाग के किसी डॉक्टर की कोई लापरवाही नहीं है. अगर किसी पर कोई गलत कार्रवाई होती है तो हम हाईकोर्ट जाएंगे.

जग प्रवेश चंद्र अस्पताल के डॉक्टरों ने कुछ भी बोलने से किया इनकार

इस मामले को लेकर जब जग प्रवेश चंद्र अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. ऋतु चावला से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस मामले को केजुअल्टी विभाग के सीएओ डॉ. अशोक दुआ देख रहे हैं. वही, इस मामले में जानकारी देंगे. अशोक दुआ से बात करने पर उन्होंने कहा कि यह मामला उच्चाधिकारियों के पास विचाराधीन है. इसकी पूरी रिपोर्ट वह अधिकारियों को भेज चुके हैं. इस बारे में अब उच्चाधिकारी ही कुछ बता सकते हैं. वह इस बारे में चिकित्सा अधीक्षक के आदेश के बिना कुछ भी नहीं बोलेंगे.

जीटीबी अस्पताल में ठीक नहीं हुई सीटी स्कैन मशीन

जीटीबी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे प्रमोद को सीटी स्कैन मशीन खराब होने की बात कहकर लोकनायक अस्पताल के लिए रैफर किया गया था. अब इस घटना को एक सप्ताह से भी अधिक का समय बीत चुका है. इसके बावजूद अभी तक अस्पताल की सीटी स्कैन मशीन ठीक नहीं हुई है. यहां से मरीजों को सीटी स्कैन के लिए इहबास और राजीव गांधी अस्पताल भेजा जा रहा है. मशीन को खराब हुए 15 दिन हो चुके हैं. उल्लेखनीय है कि तीन जनवरी को दिल्ली के चार बड़े सरकारी अस्पतालों लोकनायक, जीटीबी, आरएमएल और जग प्रवेश चंद्र में इलाज न मिलने के कारण प्रमोद नामक 44 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई थी.

ये भी पढ़ें : लड़का या लड़की के पैदा होने के लिए पुरुष का क्रोमोसोम जिम्मेदार है, हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी

जांच के दायरे में लोकनायक अस्पताल

नई दिल्लीः दिल्ली के चार बड़े अस्पतालों में भर्ती न करने के कारण तीन जनवरी को हुई प्रमोद की मौत मामले में मजिस्ट्रेट जांच जारी है. इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने भी अपने अंतर्गत आने वाले तीनों अस्पतालों लोकनायक, जीटीबी और जग प्रवेश चंद्र अस्पताल से रिपोर्ट मांग ली है. रिपोर्ट मिलने के बाद अब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कार्रवाई करने की तैयारी में हैं.

वहीं, लोकनायक अस्पताल में मरीज को वेंटिलेटर बेड खाली न होने की बात कहकर वापस करने को लेकर अब अस्पताल के इमरजेंसी विभाग और न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉक्टर एक दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं. न्यूरोसर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पीएन पांडेय ने बताया कि तीन जनवरी को जिस समय हेड इंजुरी से घायल प्रमोद को लोकनायक अस्पताल लाया गया था तब केजुअल्टी में 15 वेंटिलेटर बेड और मेडिसिन इमरजेंसी में 10 वेंटिलेटर बेड खाली थे. ऐसे में इमरजेंसी में ऑन ड्यूटी सीएमओ को ही मरीज को इमरजेंसी में भर्ती करना चाहिए था.

पांडेय ने बताया कि न्यूरोसर्जरी में उस समय कोई वेंटिलेटर बेड खाली नहीं था. इसलिए उस मरीज को इमरजेंसी या मेडिसिन इमरजेंसी के ही वेंटिलेटर बेड पर ही भर्ती करना चाहिए था. जबकि अन्य विभाग के एक डॉक्टर का यह भी कहना है कि न्यूरोसर्जरी में भी उस दिन चार वेंटिलेटर बेड खाली थे. नर्स द्वारा प्रतिदिन लिए जाने वाले खाली बेड के डेटा की एंट्री में यह दर्ज भी है.

ये भी पढ़ें : जीटीबी की निदेशक को कारण बताओ नोटिस जारी, समय पर इलाज नहीं मिलने से मरीज की गई थी जान

वहीं, इमरजेंसी में मरीज को देखने वाले डॉक्टर का कहना है कि जब मरीज जग प्रवेश चंद्र अस्पताल से आया था तभी उसको वेंटिलेटर की जरूरत थी. उस मरीज को हाथ से बेंबू करके ऑक्सीजन दी जा रही थी. हमारे पास मरीज आने के बाद हमने 37 मिनट के अंदर उसका सीटी स्कैन और एक्सरे किया. इसके बाद सीटी स्कैन में हेड इंजरी आने के बाद उसे न्यूरोसर्जरी विभाग को भर्ती करने के लिए रैफर किया. न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉक्टर उसे पांचवें फ्लोर पर स्थित अपने वार्ड में ले गए. कुछ समय बाद ही उन्होंने नीचे इमरजेंसी में आकर वेंटिलेटर बेड खाली न होने की बात कहकर मरीज को भर्ती करने से मना कर दिया. जिसके बाद पुलिसकर्मी मरीज को आरएमएल अस्पताल ले गए.

इमरजेंसी के डाक्टरों का कहना है कि जो 25 वेंटिलेटर बेड खाली बताए जा रहे हैं, वह कोरोना के मरीजों के लिए पहले से ही आरक्षित हैं. वहीं, डॉ. पीएन पांडेय का कहना है कि उस दिन प्रमोद नाम के मरीज को भर्ती करने से मना करने के अगले ही दिन से ही इमरजेंसी में स्थित वेंटिलेटर बेड पर मरीज भर्ती करना शुरू कर दिया. उन्होंने बताया कि आज भी न्यूरोसर्जरी के दो मरीजों को इमरजेंसी के वेंटिलेटर बेड पर भर्ती किया गया है.

ये भी पढ़ें : जीटीबी अस्पताल में महिलाओं और बच्चों के लिए नया आपातकालीन वार्ड शुरू, 1069 बेड पर सीधे ऑक्सीजन

वहीं, इस पूरे मामले को लेकर लोकनायक अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. सुरेश कुमार का कहना है कि अभी इसकी जांच चल रही है. जांच रिपोर्ट आने के बाद ही इस मामले पर कुछ कहेंगे. अस्पताल सूत्रों के अनुसार निदेशक कार्यालय से स्वास्थ्य सचिव को इस मामले को लेकर जो रिपोर्ट भेजी गई है, उसमें इस पूरे मामले में न्यूरोसर्जरी विभाग की लापरवाही बताई गई है. ऐसे में न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉक्टरों पर कार्रवाई होने का अंदेशा है. वहीं, एक वरिष्ठ डॉक्टर का यह भी कहना है कि इस मामले में उनके विभाग के किसी डॉक्टर की कोई लापरवाही नहीं है. अगर किसी पर कोई गलत कार्रवाई होती है तो हम हाईकोर्ट जाएंगे.

जग प्रवेश चंद्र अस्पताल के डॉक्टरों ने कुछ भी बोलने से किया इनकार

इस मामले को लेकर जब जग प्रवेश चंद्र अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. ऋतु चावला से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस मामले को केजुअल्टी विभाग के सीएओ डॉ. अशोक दुआ देख रहे हैं. वही, इस मामले में जानकारी देंगे. अशोक दुआ से बात करने पर उन्होंने कहा कि यह मामला उच्चाधिकारियों के पास विचाराधीन है. इसकी पूरी रिपोर्ट वह अधिकारियों को भेज चुके हैं. इस बारे में अब उच्चाधिकारी ही कुछ बता सकते हैं. वह इस बारे में चिकित्सा अधीक्षक के आदेश के बिना कुछ भी नहीं बोलेंगे.

जीटीबी अस्पताल में ठीक नहीं हुई सीटी स्कैन मशीन

जीटीबी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे प्रमोद को सीटी स्कैन मशीन खराब होने की बात कहकर लोकनायक अस्पताल के लिए रैफर किया गया था. अब इस घटना को एक सप्ताह से भी अधिक का समय बीत चुका है. इसके बावजूद अभी तक अस्पताल की सीटी स्कैन मशीन ठीक नहीं हुई है. यहां से मरीजों को सीटी स्कैन के लिए इहबास और राजीव गांधी अस्पताल भेजा जा रहा है. मशीन को खराब हुए 15 दिन हो चुके हैं. उल्लेखनीय है कि तीन जनवरी को दिल्ली के चार बड़े सरकारी अस्पतालों लोकनायक, जीटीबी, आरएमएल और जग प्रवेश चंद्र में इलाज न मिलने के कारण प्रमोद नामक 44 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई थी.

ये भी पढ़ें : लड़का या लड़की के पैदा होने के लिए पुरुष का क्रोमोसोम जिम्मेदार है, हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी

Last Updated : Jan 11, 2024, 1:54 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.