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Ambedkar Jayanti 2023: दिल्ली से है डॉ अंबेडकर का गहरा नाता, इस जगह पर ली थी अंतिम सांस

देशभर में शुक्रवार को डॉ भीमराव अंबेडकर की 133वीं जयंती मनाई जाएगी. इस अवसर पर हम आपको ऐसी जगह के बारे में बताएंगे, जहां बाबा साहब ने अपनी अंतिम सांस ली थीं. तो आइए जानते हैं कहां है वह जगह और क्या है उसकी विशेषताएं.

डॉ अंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक
डॉ अंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक
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Published : Apr 14, 2023, 7:26 AM IST

Updated : Apr 14, 2023, 2:06 PM IST

डॉ भीमराव जयंती पर विशेष

नई दिल्ली: देश के पहले कानून मंत्री और दलितों के मसीहा के रूप में माने जाने वाले डॉ भीमराव अंबेडकर की 14 अप्रैल को 133वीं जयंती है. इसको लेकर दिल्ली सहित पूरे देश में तैयारियां चल रही हैं. उनका जन्म मध्य प्रदेश में हुआ था, जबकि उनकी मृत्यु दिल्ली में हुई थी. आइए जानते हैं कि उन्होंने किस जगह पर अंतिम सांस ली थीं.

दरअसल दिल्ली के अलीपुर रोड पर स्थित प्लॉट नंबर 26 वह जगह है, जहां डॉ भीमराव अंबेडकर ने अंतिम सांसे ली थी. यहां महापरिनिर्वाण स्थल पर डॉ अंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक की आधारशिल रखी गई थी. जिसके बाद 2015 में इस स्मारक का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किया गया था. इस स्मारक को संविधान की तरह दिखने वाली एक किताब के रूप में डिजाइन किया गया है. यह इमारत आधुनिक और बौद्ध वास्तुकला का मिश्रण है. संगीतमय फव्वारे, सारनाथ के अशोक स्तंभ की प्रतिकृति और 12 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा, इस परिसर के कुछ मुख्य आकर्षण हैं. पहली मंजिल में बाबासाहेब के जीवन से संबंधित डिस्प्ले हैं. दो मंजिला इमारत के निचले स्तर पर एक प्रदर्शनी दीर्घा है.जिसमें डॉ. अंबेडकर द्वारा परिसर में बिताए गए दिनों को चित्रित किया गया है. उनके जीवन यात्रा को भी यहां यहां दर्शाया गया है. स्मारक में महात्मा बुद्ध की संगमरमर की मूर्ति के साथ एक ध्यान कक्ष भी है. इस क्षेत्र में लगाए गए पत्थर को वियतनाम से आयात किया गया है.

राज्यसभा सांसद के रूप में यहां आवंटित किया गया था बंगला: जानकारों के अनुसार, जब डॉ अंबेडकर ने कुछ मतभेदों के चलते नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था, तब उन्हें बतौर राज्यसभा सांसद यहां स्थित बंगला आवंटित किया गया था , जहां वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहा करते थे. छह दिसंबर 1956 को, उन्होंने यहीं अंतिम सांस ली. इसके बाद इस बंगले को तोड़कर इस जगह को डॉ अंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक के रूप में विकसित किया गया. यह स्मारक सुबह 10 बजे शाम से सात बजे तक प्रतिदिन मंगलवार से शनिवार तक जनता के लिए खुली रहती है. वहीं सोमवार के दिन यहां अवकाश रहता है, जिसके चलते इसे बंद रखा जाता है.

तैयारियों के चलते रखा गया था बंद: अंबेडकर जयंती की तैयारियों के चलते गुरुवार को स्मारक को बंद रखा गया था. इस दौरान बड़ी संख्या में स्मारक को देखने पहुंचे लोगों को मायूस होकर वापस लौटना पड़ा. स्मारक के अंदर दर्शकों के लिए बेसमेंट के दो तलों में पार्किंग की भी व्यवस्था है. यह स्मारक आज भी डॉ अंबेडकर की स्मृतियों को जीवंत बनाए हुए है.

यह भी पढ़ें-IP University: आईपी यूनिवर्सिटी का पूर्वी कैंपस बनकर तैयार, CM केजरीवाल मई में करेंगे देश को समर्पित

डॉ भीमराव जयंती पर विशेष

नई दिल्ली: देश के पहले कानून मंत्री और दलितों के मसीहा के रूप में माने जाने वाले डॉ भीमराव अंबेडकर की 14 अप्रैल को 133वीं जयंती है. इसको लेकर दिल्ली सहित पूरे देश में तैयारियां चल रही हैं. उनका जन्म मध्य प्रदेश में हुआ था, जबकि उनकी मृत्यु दिल्ली में हुई थी. आइए जानते हैं कि उन्होंने किस जगह पर अंतिम सांस ली थीं.

दरअसल दिल्ली के अलीपुर रोड पर स्थित प्लॉट नंबर 26 वह जगह है, जहां डॉ भीमराव अंबेडकर ने अंतिम सांसे ली थी. यहां महापरिनिर्वाण स्थल पर डॉ अंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक की आधारशिल रखी गई थी. जिसके बाद 2015 में इस स्मारक का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किया गया था. इस स्मारक को संविधान की तरह दिखने वाली एक किताब के रूप में डिजाइन किया गया है. यह इमारत आधुनिक और बौद्ध वास्तुकला का मिश्रण है. संगीतमय फव्वारे, सारनाथ के अशोक स्तंभ की प्रतिकृति और 12 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा, इस परिसर के कुछ मुख्य आकर्षण हैं. पहली मंजिल में बाबासाहेब के जीवन से संबंधित डिस्प्ले हैं. दो मंजिला इमारत के निचले स्तर पर एक प्रदर्शनी दीर्घा है.जिसमें डॉ. अंबेडकर द्वारा परिसर में बिताए गए दिनों को चित्रित किया गया है. उनके जीवन यात्रा को भी यहां यहां दर्शाया गया है. स्मारक में महात्मा बुद्ध की संगमरमर की मूर्ति के साथ एक ध्यान कक्ष भी है. इस क्षेत्र में लगाए गए पत्थर को वियतनाम से आयात किया गया है.

राज्यसभा सांसद के रूप में यहां आवंटित किया गया था बंगला: जानकारों के अनुसार, जब डॉ अंबेडकर ने कुछ मतभेदों के चलते नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था, तब उन्हें बतौर राज्यसभा सांसद यहां स्थित बंगला आवंटित किया गया था , जहां वह अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहा करते थे. छह दिसंबर 1956 को, उन्होंने यहीं अंतिम सांस ली. इसके बाद इस बंगले को तोड़कर इस जगह को डॉ अंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक के रूप में विकसित किया गया. यह स्मारक सुबह 10 बजे शाम से सात बजे तक प्रतिदिन मंगलवार से शनिवार तक जनता के लिए खुली रहती है. वहीं सोमवार के दिन यहां अवकाश रहता है, जिसके चलते इसे बंद रखा जाता है.

तैयारियों के चलते रखा गया था बंद: अंबेडकर जयंती की तैयारियों के चलते गुरुवार को स्मारक को बंद रखा गया था. इस दौरान बड़ी संख्या में स्मारक को देखने पहुंचे लोगों को मायूस होकर वापस लौटना पड़ा. स्मारक के अंदर दर्शकों के लिए बेसमेंट के दो तलों में पार्किंग की भी व्यवस्था है. यह स्मारक आज भी डॉ अंबेडकर की स्मृतियों को जीवंत बनाए हुए है.

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Last Updated : Apr 14, 2023, 2:06 PM IST
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