नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में एक बार फिर जाट और गुर्जर इंपैक्ट देखने को मिलेगा. इसकी झलक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा जारी किए गए संभावित उम्मीदवारों की सूची में देखने को मिल रही है.
वहीं छात्र संगठन इस बात को सिरे से खारिज कर रहे हैं कि वो टिकट किसी विशेष समुदाय को ध्यान में रखकर नहीं बल्कि एक कार्यकर्ता और तैयारी को ध्यान में रख कर टिकट देते हैं.
'जाति, धर्म के नाम पर उम्मीदवार नहीं'
वहीं जाट और गुर्जर के समीकरण को ध्यान में रखकर उम्मीदवार घोषित करने को लेकर एबीवीपी के प्रदेश मंत्री सिद्धार्थ यादव ने कहा कि उम्मीदवारों के नाम का चयन करते हुए किसी जाति, धर्म का ध्यान में रखकर उम्मीदवार के नाम तय नहीं करते हैं.
उन्होंने कहा कि बेशक इन दोनों समुदाय से आने वाले छात्र को संभावित उम्मीदवारों की सूची में शामिल किया गया है. साथ ही कहा कि सिर्फ डूसू हमारे लिए चार सीटों का चुनाव नहीं है. सभी कैंपस में हम चुनाव लड़ रहे हैं, वहां इस तरह से देखने को नहीं मिलेगा.
लोकतांत्रिक प्रक्रिया से नामों का चयन
यादव ने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया से नामों का चयन किया जाता है. उन्होंने कहा कि गत साल ABVP के पैनल में सभी समुदाय और वर्ग के छात्रों को टिकट दिया गया था.
साथ ही कहा गत साल के उपाध्यक्ष उम्मीदवार शक्ति सिंह पूर्वांचल से आते हैं और उन्होंने सर्वाधिक वोट से जीत दर्ज की थी. यादव ने कहा कि एबीवीपी के लिए जाट और गुर्जर को ध्यान में रखकर प्रत्याशी घोषित करना कोई आधार नहीं होता है बल्कि जिसकी तैयारी अच्छी होती है उसे उम्मीदवार घोषित किया जाता है.
10 संभावित उम्मीदवारों की सूची जारी
बता दें कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने छात्रसंघ चुनाव के लिए 10 संभावित उम्मीदवारों की सूची जारी की है जिसमें तुषार डेढ़ा, योगिता राठी, साहिल मलिक, अक्षित दहिया, सचिन बंसल, वरुण रेक्सवाल, प्रदीप तंवर, शिवांगी खरवाल, जयदीप मान और मानसी चौहान का नाम शामिल है.
वहीं अभी एनएसयूआई ने अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं की है लेकिन उम्मीद जताई जा रही है एनएसयूआई भी इसी समीकरण को ध्यान में रखकर ही उम्मीदवारों के नाम जारी करेगी.
जाट, गुर्जर और एससी समुदाय के छात्रों का बोलबाला
वहीं अगर पिछले सालों में डूसू अध्यक्ष की बात करें तो रॉकी तुसीद 2017, अमित तंवर 2016, सतेंदर अवाना 2015, मोहित नागर 2014, अमन अवाना 2013, अरुण हुड्डा 2012, अजय चिकारा 2011 और जितेंद्र चौधरी 2010 में डूसू अध्यक्ष रह चुके हैं.
बता दें कि एबीवीपी द्वारा जारी की गई संभावित लिस्ट में जाट, गुर्जर और एससी समुदाय से आने वाले छात्रों का बोलबाला है.