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IRCTC And Land For Job Scam: आरोपियों के अनुपस्थित होने से टली बहस, अब अगली सुनवाई 25 अगस्त को

आईआरसीटीसी घोटाला मामले में बुधवार को होने वाली बहस अब 25 अगस्त को होगी. दो आरोपियों के नहीं आने से यह बहस टाल दी गई. ये दोनों आईआरसीटीसी घोटाला मामला में आरोपी है. इससे पहले इस मामले को लेकर कोर्ट में 7 अगस्त को बहस हुई थी.

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Published : Aug 16, 2023, 9:15 PM IST

नई दिल्ली : आईआरसीटीसी घोटाला मामले में बुधवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में आरोपित सरला गुप्ता और पीसी गुप्ता के उपस्थित न होने के कारण इन पर आरोप तय करने की बहस 25 अगस्त तक के लिए टल गई. आरोपितों की ओर से पेश वकील गर्वित सोलंकी ने कोर्ट में दोनों आरोपितों के उपलब्ध न होने की जानकारी दी और कोर्ट से मामले में अगली तारीख देने की की मांग की. आरोपी राकेश गोंगिया के कोर्ट में उपस्थित होने से उसके आरोपों को लेकर बहस की गई.

जानें एक महीने के केस अपडेट: मामले को लेकर इससे पहले सात अगस्त को आरोपी राकेश सक्सेना और भूपेंद्र कुमार अग्रवाल पर आरोप तय करने को लेकर बहस हुई थी. पेशी के लिए राकेश सक्सेना की ओर से एडवोकेट संजय एबॉट थे, जबकि सीबीआई की ओर से वरिष्ठ लोक अभियोजक (एसपीपी) डीपी सिंह पेश हुए थे. बहस के बाद विशेष सीबीआई जज गीतांजलि गोयल ने मामले की अगली सुनवाई 16 अगस्त तय कर दी थी. इससे पहले आईआरसीटीसी घोटाला मामले में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ आरोप तय करने को लेकर 30 जुलाई को बहस पूरी हो गई थी.

इसके बाद कोर्ट ने सात अगस्त को दो आरोपी राकेश सक्सेना और भूपेंद्र कुमार अग्रवाल पर आरोप तय करने के लिए बहस की तारीख तय की थी. 30 जुलाई को बहस के दौरान कोर्ट में दलील पेश करते हुए लालू प्रसाद यादव के वकील ने कहा था कि सीबीआई के पास मामले में कोई ठोस सबूत नहीं है, जिससे यह साबित किया जा सके कि लालू यादव ने किसी को आईआरसीटीसी का टेंडर दिलाने में कोई भूमिका निभाई थी. लालू के वकील ने कहा कि हाई प्रोफाइल मामलों में सीबीआई को पुख्ता सबूतों के साथ आना चाहिए. वहीं, सीबीआई के वकील ने कहा आईआरसीटीसी का टेंडर दो अन्य फर्मों को दिलाने के लिए नीति बदलने में लालू यादव की भूमिका थी. .

ये भी पढ़ें: Land For Job Scam: सीबीआई की नई चार्जशीट पर सुनवाई 12 सितंबर तक टली

क्या है आईआरसीटीसी घोटाला मामला: मामला 2004 से लेकर 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव देश के रेल मंत्री थे. उस समय रेलवे बोर्ड ने देश में संचालित सभी होटलों और ट्रेनों की कैटरिंग सेवा का काम आईआरसीटीसी को सौंप दिया था. इसी दौरान रांची और उड़ीसा के होटलों के टेंडर में गड़बड़ी पाई गई थी. लालू यादव पर तीन एकड़ के वाणिज्यिक भूखंड रिश्वत के रूप में लेने का आरोप था. रांची और पुरी में संचालित दो होटलों की देखरेख का काम अचानक सुजाता होटल्स नामक एक निजी कंपनी को दे दिया गया.

विजय और विनय कोचर इस कंपनी के मालिक थे. सीबीआई का आरोप है कि दोनों होटलों की देखरेख का काम मिलने के बदले में इन लोगों ने लालू यादव को पटना में 3 एकड़ जमीन दे दी, जो बेनामी संपत्ति थी. वर्ष 2017 में सीबीआई ने इस मामले में लालू प्रसाद यादव सहित कई अन्य के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया था. ईडी ने वर्ष 2018 में लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, पीसी गुप्ता, सरला गुप्ता सहित 16 लोगों के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी.

ये भी पढ़ें Land For Job Scam : लालू परिवार के ठिकानों से मिले 1 करोड़ नकद, ED ने कहा- 600 करोड़ की लेनदेन के सबूत मिले

नई दिल्ली : आईआरसीटीसी घोटाला मामले में बुधवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में आरोपित सरला गुप्ता और पीसी गुप्ता के उपस्थित न होने के कारण इन पर आरोप तय करने की बहस 25 अगस्त तक के लिए टल गई. आरोपितों की ओर से पेश वकील गर्वित सोलंकी ने कोर्ट में दोनों आरोपितों के उपलब्ध न होने की जानकारी दी और कोर्ट से मामले में अगली तारीख देने की की मांग की. आरोपी राकेश गोंगिया के कोर्ट में उपस्थित होने से उसके आरोपों को लेकर बहस की गई.

जानें एक महीने के केस अपडेट: मामले को लेकर इससे पहले सात अगस्त को आरोपी राकेश सक्सेना और भूपेंद्र कुमार अग्रवाल पर आरोप तय करने को लेकर बहस हुई थी. पेशी के लिए राकेश सक्सेना की ओर से एडवोकेट संजय एबॉट थे, जबकि सीबीआई की ओर से वरिष्ठ लोक अभियोजक (एसपीपी) डीपी सिंह पेश हुए थे. बहस के बाद विशेष सीबीआई जज गीतांजलि गोयल ने मामले की अगली सुनवाई 16 अगस्त तय कर दी थी. इससे पहले आईआरसीटीसी घोटाला मामले में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ आरोप तय करने को लेकर 30 जुलाई को बहस पूरी हो गई थी.

इसके बाद कोर्ट ने सात अगस्त को दो आरोपी राकेश सक्सेना और भूपेंद्र कुमार अग्रवाल पर आरोप तय करने के लिए बहस की तारीख तय की थी. 30 जुलाई को बहस के दौरान कोर्ट में दलील पेश करते हुए लालू प्रसाद यादव के वकील ने कहा था कि सीबीआई के पास मामले में कोई ठोस सबूत नहीं है, जिससे यह साबित किया जा सके कि लालू यादव ने किसी को आईआरसीटीसी का टेंडर दिलाने में कोई भूमिका निभाई थी. लालू के वकील ने कहा कि हाई प्रोफाइल मामलों में सीबीआई को पुख्ता सबूतों के साथ आना चाहिए. वहीं, सीबीआई के वकील ने कहा आईआरसीटीसी का टेंडर दो अन्य फर्मों को दिलाने के लिए नीति बदलने में लालू यादव की भूमिका थी. .

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क्या है आईआरसीटीसी घोटाला मामला: मामला 2004 से लेकर 2009 के बीच का है, जब लालू प्रसाद यादव देश के रेल मंत्री थे. उस समय रेलवे बोर्ड ने देश में संचालित सभी होटलों और ट्रेनों की कैटरिंग सेवा का काम आईआरसीटीसी को सौंप दिया था. इसी दौरान रांची और उड़ीसा के होटलों के टेंडर में गड़बड़ी पाई गई थी. लालू यादव पर तीन एकड़ के वाणिज्यिक भूखंड रिश्वत के रूप में लेने का आरोप था. रांची और पुरी में संचालित दो होटलों की देखरेख का काम अचानक सुजाता होटल्स नामक एक निजी कंपनी को दे दिया गया.

विजय और विनय कोचर इस कंपनी के मालिक थे. सीबीआई का आरोप है कि दोनों होटलों की देखरेख का काम मिलने के बदले में इन लोगों ने लालू यादव को पटना में 3 एकड़ जमीन दे दी, जो बेनामी संपत्ति थी. वर्ष 2017 में सीबीआई ने इस मामले में लालू प्रसाद यादव सहित कई अन्य के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया था. ईडी ने वर्ष 2018 में लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, पीसी गुप्ता, सरला गुप्ता सहित 16 लोगों के खिलाफ पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी.

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