नई दिल्ली: इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा जल्द ही भारत का पहला ऐसा एयरपोर्ट बनने जा रहा है. जहां दूसरे देशों के सामान की भी आवाजाही होगी. आपको बता दें कि कई ऐसे देश हैं, जो सीधे यूनाइटेड स्टेट, यूरोप व मिडिल ईस्ट के देशों सहित कई अन्य देशों में डायरेक्ट सामान नहीं भेज सकते हैं.
ऐसे में अब वह देश पहले भारत को सामान भेजेंगे और इसके बाद इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा की कार्गो टीम इसे अपनी पैकिंग के जरिए यूएस सहित दूसरे देशों में भेजेगी.
20 हजार मैट्रिक टन है आईजीआई की कार्गो क्षमता
डायल के प्रवक्ता सौरभ राय ने बताया कि इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हर माह 20000 मैट्रिक टन सामान कार्गो की ओर से दूसरे देशों में जाता है लेकिन अब मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन की ओर से अनुमति के बाद हम एक ऐसी सुविधा शुरू कर रहे हैं. जिससे वह देश जो डायरेक्ट यूएस, यूरोप मिडिल ईस्ट के देशों में सामान नहीं भेज पाते हैं. अब वह भारत के जरिए इन देशों में सामान पहुंचा सकेंगे. उन्होंने बताया कि यह इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए बड़ी सफलता है.
कितने बड़े एरिया में है यहां का एयर कार्गो
अधिकारियों ने बताया कि इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का एयर कार्गो जो की शिपमेंट का काम करता है. उसका एरिया 6500 स्क्वायर फीट में फैला है. जो की माल आने पर एयरलाइंस के जरिए दूसरे देशों में पहुंचाता है. इसमें माल पहुंचने का समय 45 मिनट से लेकर छह घंटे तक होता है.
उन्होंने बताया कि बाकी दूसरे देशों में सामान शिप करने से दिल्ली आईजीआई एयरपोर्ट अब इंडिया का हब बनेगा. फिलहाल इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा इस फैसिलिटी के जरिए दूसरे देशों के सामान की आवाजाही तो करेगा ही और इससे आगामी दिनों में एयरपोर्ट के मुनाफे में भी लाभ होगा.