नई दिल्ली: राऊज एवेन्यू कोर्ट ने कर्नाटक कांग्रेस के नेता डीके शिवकुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई कल यानि 19 सितंबर तक के लिए टाल दी है. सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से दलीलें रखने के लिए एएसजी केएम नटराज मौजूद नहीं थे जिसकी वजह से स्पेशल जज अजय कुमार कुहार ने सुनवाई 19 सितंबर तक के लिए टाल दी है.
सुनवाई के दौरान डीके शिवकुमार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि डीके शिवकुमार की बेटी ऐश्वर्या के पास ईडी जिस 108 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगा रही है उसमें 79 करोड़ लोन और निवेश का है.
17 सितंबर को न्यायिक हिरासत में भेजा गया था
पिछले 17 सितंबर को कोर्ट ने डीके शिवकुमार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से एएसजी केएम नटराज ने डीके शिवकुमार की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि ईडी ने उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट से पूछताछ की है और उसने महत्वपूर्ण सूचना दी है. चार्टर्ड अकाउंटेंट के आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करनी है. नटराज ने कहा था कि डीके शिवकुमार ने 800 करोड़ रुपये की मनी लाॉन्ड्रिंग की है. ईडी ने डीके शिवकुमार को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजने की मांग की थी.
डीके शिवकुमार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि डीके शिवकुमार की तबीयत खराब है. सिंघवी ने कहा कि ईडी हिरासत 15 दिन से ज्यादा की नहीं हो सकती है और ईडी न्यायिक हिरासत में पूछताछ की मांग नहीं कर सकती है, उन्होंने कहा था कि इस केस की तुलना पी चिदंबरम के केस से नहीं की जा सकती है.
डीके शिवकुमार की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी भी पेश हुए थे. सुनवाई के दौरान रोहतगी ने कहा था कि डीके शिवकुमार की बेटी के खिलाफ आधारहीन आरोप हैं, उन्होंने कहा था कि ईडी का ये कहना गलत है कि डीके शिवकुमार के एक खाते से दो सौ करोड़ के लेन-देन हुए. इसका कोई प्रमाण नहीं है.
उन्होंने अदालत में कहा कि डीके शिवकुमार की बेटी के खाते में केवल 65 हजार रुपये हैं. रोहतगी ने डीके शिवकुमार के परिवार के सदस्यों के दस सालों का बैंक खातों का लेन-देन कोर्ट के सामने रखा.
उन्होंने कहा था कि डीके शिवकुमार के पास की संपत्ति में से अधिकांश उनके पिता की विरासत से मिली संपत्ति है.
पिछले 16 सितंबर को ईडी ने कर्नाटक कांग्रेस के नेता में डीके शिवकुमार की जमानत याचिका पर दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया था. ईडी ने डीके शिवकुमार की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि हिरासत में पूछताछ के दौरान उन्होंने प्रत्यक्ष दस्तावेजी सबूतों के बावजूद सहयोग नहीं किया.