नई दिल्ली: करोल बाग के अर्पित होटल में आग लगने की घटना को तीन महीने से ज्यादा समय हो गया है. इस मामले में अब पुलिस आरोपपत्र भी दाखिल कर चुकी है. ईटीवी भारत के पास इस होटल के अंदर की एक्सक्लूसिव वीडियो है, जो हम आपको दिखाने जा रहे हैं. इससे आप उस रात के दर्दनाक मंजर का अंदाजा लगा सकेंगे, जिसमें 17 लोगों की जान चली गई थी.
अर्पित होटल आगजनी के मामले को ठीक से समझने के लिए हमने इस होटल के अंदर जाकर देखा. होटल में ऊपर चढ़ने के लिए जो सीढ़ियां बनी हुई थीं, वहां पर लकड़ी और फोम का काम सजावट के लिए किया गया था. आगजनी के बाद ये सब जलकर खाक हो चुका है.
गैलरी में भर चुका था धुआं
होटल में सभी मंजिलों पर ऊपर दो तरफ कमरे बने हुए हैं, जिनमें से अधिकांश आग की चपेट में थे. कई कमरों में लगे बेड पूरी तरह से जल चुके हैं. दोनों तरफ कमरों के बीच में गैलरी है, जिसमें आग लगने के समय धुंआ भर चुका था. इसलिए यहां से लोगों के लिए निकलना आसान नहीं था. यहां का नजारा बताता है कि उस रात कैसी चीख-पुकार यहां मची होगी.
छत का नजारा भी बेहद भयावह
अर्पित होटल की छत का नजारा भी बेहद भयावह दिखा. यहां नाश्ते के लिए कुर्सी-टेबल लगाए गए थे. ऊपर रसोई है, जहां एक दर्जन से ज्यादा सिलेंडर रखे थे. छत पर प्लास्टिक की शीट से बना शेड था, जो पूरी तरह जल चुका है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि आग लगने पर ये शीट पिघल-पिघलकर लोगों पर गिर रही थी. प्लास्टिक की जलन लोग बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे. यही वजह है कि तीन लोगों ने जान बचाने के लिए छत से छलांग लगा दी थी, लेकिन वो बच नहीं सके.
पुलिस ने दायर किया आरोपपत्र
अर्पित होटल अग्निकांड मामले में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अब तक कुल 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें होटल का मालिक, उसका भाई, मैनेजर और एक अन्य कर्मचारी शामिल है. क्राइम ब्रांच ने इस मामले में अब आरोप पत्र दाखिल कर दिया है, जिसमें बताया गया है कि किस तरह से पूरी घटना घटित हुई. पुलिस ने कहा कि होटल को 'डेथ ट्रैप' की तरह संचालित किया जा रहा था, जिसमें आपातकालीन निकास को जानबूझकर बंद कर रखा गया था.
मामले में चौंकाने वाले खुलासे
आरोपपत्र में बेहद चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. पुलिस जांच में पता चला है कि इस बिल्डिंग को बनाने के लिए जिस आर्किटेक्ट का नाम दिया गया है, वास्तव में वो है ही नहीं. पूरी तरह फर्जी दस्तावेजों के जरिए इस बिल्डिंग का नक्शा बनाया गया और उसे पास कराया गया. फिलहाल मामला अदालत में लंबित है और इसमें अदालत को ही आरोपपत्र पर संज्ञान लेना है.