नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने जिला अदालतों में कार्यरत मध्यस्थ अधिवक्ताओं के मानदेय में बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. यह प्रस्ताव काफी समय से लंबित था. ये मध्यस्थ अधिवक्ता जिला अदालतों तीस हजारी, कड़कड़डूमा, रोहिणी, द्वारका, साकेत, राउज एवेन्यू और पटियाला हाउस कोर्ट के परिसरों में स्थित मध्यस्थता केंद्रों में काम करते हैं. मध्यस्थ अधिवक्ताओं के मानदेय में वर्ष 2014 के बाद से बढ़ोत्तरी नहीं हुई थी.
एलजी द्वारा प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद अब इन अधिवक्ताओं के रुके हुए मानदेय का भुगतान हो सकेगा. संशोधित मानदेय 7 मई 2022 से लागू होगा. इस समयावधि में मध्यस्थता केंद्र के माध्यम से निपटाए गए मामलों में मध्यस्थों को 5000 रुपए का भुगतान किया जाएगा. इसके अलावा संबंधित मामलों में एक हजार रुपए प्रति मामले और अधिकतम तीन हजार रुपए का भुगतान किया जाएगा. किसी भी तरह का कोई समझौता न होने की स्थिति में (यदि पक्ष तीन सुनवाई के बावजूद सौहार्दपूर्ण समाधान पर पहुंचने में विफल रहता है) तो मध्यस्थों को 2500 रुपए का भुगतान किया जाएगा. इससे पहले इस स्थिति में मध्यस्थों के लिए कोई मानदेय देने का प्रावधान नहीं था.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की मध्यस्थता और सुलह परियोजना समिति (एमसीपीसी) ने 4 फरवरी 2014 को फैसला किया था कि एक अप्रैल 2015 से प्रति मामले तीन हजार रुपए (दो या अधिक जुड़े मामलों के साथ, अधिकतम चार हजार रुपए) का भुगतान किया जाएगा. वैवाहिक मामलों (आपराधिक सहित), हिरासत, संरक्षकता, विभाजन और कब्जा और अन्य सभी मामलों के लिए मध्यस्थता के माध्यम से हुए समझौते की स्थिति में मध्यस्थों को प्रति मामला दो हजार रुपए (दो या अधिक जुड़े मामलों के साथ, अधिकतम तीन हजार रुपये होंगे) का भुगतान किया जाएगा.
गौरतलब है कि 2014 के निर्णय के अनुसार मध्यस्थों को प्रति मामला 500 रुपए, अधिकतम 1,000 रुपए (जुड़े मामलों की संख्या की परवाह किए बिना) का भुगतान किया जाना था और समझौता नहीं होने की स्थिति में कोई मानदेय लागू नहीं था.
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