नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने जिला अदालतों के लिए नया निर्देश जारी किया है. हाईकोर्ट ने सभी जिला अदालतों को वर्तमान में चल रहे और लंबित मामलों से संबंधित सभी फाइलों को केंद्रीकृत करने और प्रत्येक को फाइलिंग नंबर प्रदान करने का निर्देश दिया है. इसे लेकर दस्तावेज जमा करने वाले पक्ष या वकील को भी रसीद जारी करने का आदेश दिया गया है. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने पारित आदेश में कहा कि संबंधित प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश इस केंद्रीकृत फाइलिंग की त्वरित और प्रभावी तैनाती की देखरेख के लिए जिम्मेदार होंगे.
याचिका के बाद आया निर्देश: दिल्ली हाई कोर्ट में एक केस से जुड़े हुए दस्तावेज दाखिल करने के लिए रसीद की कमी से संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई हो रही थी. खंडपीठ ने कहा कि न्यायिक कार्यवाही में पारदर्शिता और जवाबदेही सर्वोपरि है. इसलिए प्रत्येक आवेदन, दलील, दस्तावेज या किसी अन्य प्रस्तुति को एक फाइलिंग नंबर के साथ विधिवत स्वीकार किया जाना चाहिए, जिससे उसके बारे में वादियों और वकीलों को पता लगाने में आसानी हो.
कोर्ट ने कहा कि विशेष रूप से आपराधिक कार्यवाही, वाणिज्यिक अदालतों और अन्य संवेदनशील मामलों में दस्तावेज दाखिल करने की तारीख की सटीक रिकॉर्डिंग अत्यंत महत्वपूर्ण है. कोर्ट ने कमियों को दूर करने के लिए ये निर्देश जारी किए हैं और कहा कि अंतरिम समाधान निकालना जरूरी है. चल रहे और लंबित मामलों से संबंधित एक केंद्रीकृत फाइलिंग प्रणाली के निर्माण का आदेश देते हुए हाई कोर्ट ने सभी जिला अदालतों में कोर्ट मास्टर्स को एक आवक डाक रजिस्टर बनाए रखने का निर्देश दिया.
विविध आवेदनों, दस्तावेजों, दलीलों आदि से संबंधित फाइलिंग को कोर्ट मास्टर द्वारा लॉग किया जाएगा, जो फाइलिंग वकील व पक्षों को एक रसीद संख्या जारी करेगा. पीठ ने कहा कि केंद्रीकृत फाइलिंग चालू होने के बाद यह अस्थायी प्रणाली समाप्त हो जाएगी. ट्रायल के आधार पर केंद्रीकृत फाइलिंग को लागू करने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट को परीक्षण के रूप में काम करने का आदेश दिया गया था.
कोर्ट ने कहा कि समीक्षा के बाद इस प्रणाली को अन्य जिला अदालतों में भी लागू किया जा सकता है. खंडपीठ ने जिला अदालतों को विविध आवेदन दाखिल करने की प्रक्रिया को शामिल करने के लिए अपनी मौजूदा ऑनलाइन फाइलिंग प्रणाली को बढ़ाने का भी निर्देश दिया है. पीठ ने कहा कि जिला अदालतें अपनी वेबसाइट पर प्रासंगिक स्क्रीनशॉट के साथ वकील, पक्षों द्वारा दस्तावेजों को ई-फाइल करने की प्रक्रिया को स्पष्ट करने वाला एक मैनुअल, हैंडबुक व ट्यूटोरियल भी प्रकाशित करेंगे. न्यायालय की सूचना प्रौद्योगिकी समिति से ऑनलाइन फाइलिंग प्रणाली के एकीकरण और संचालन के लिए जिला न्यायालयों को आवश्यक सहायता करें. खंडपीठ नौ अक्टूबर को सुनवाई की अगली तारीख पर मामले की समीक्षा करेगी.
ये भी पढ़ें: पुरानी जब्त गाड़ियों को उसके मालिकों से दिल्ली से बाहर ले जाने का वायदा लेकर छोड़ें: दिल्ली हाईकोर्ट
रिकार्ड से कम होंगी परेशानियां: कड़कड़डूमा कोर्ट के अधिवक्ता मनीष भदौरिया ने कहा कि अभी तक अदालतों में किसी भी केस से संबंधित कोई आवेदन दिया जाता है तो आवेदन लेने के बाद उसकी कोई रसीद या कोई नंबर नहीं दिया जाता है. उसका ऑनलाइन रिकॉर्ड भी नहीं रखा जाता है. जिसकी वजह से कई बार आवेदन खो जाने से वकीलों और वादियों को परेशानी होती है.
कोर्ट का और केस से जुड़े हुए सभी पक्षों का समय खराब होता है. हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद हर केस से संबंधित सभी दस्तावेज व आवेदन की रसीद और नंबर मिलने और इनका रिकॉर्ड ऑनलाइन रखने से किसी भी आवेदन के खोने के बाद भी असुविधा नहीं होगी क्योंकि उसका ऑनलाइन रिकॉर्ड उपलब्ध रहेगा.
ये भी पढ़ें: Delhi Liquor Scam: कोर्ट ने सिसोदिया को विकास कार्य के लिए विधायक निधि से पैसे जारी करने की अनुमति दी