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दुष्कर्म और आर्थिक धोखाधड़ी को समझौते से नहीं निपटाया जा सकता- HC

दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया है कि अपराधों की गंभीरता और अभियुक्तों के आचरण और उनका समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए ही अपराधों की मध्यस्थता से निपटारे की अनुमति दी जा सकती है.

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Published : Apr 24, 2019, 9:27 AM IST

दुष्कर्म और आर्थिक धोखाधड़ी को समझौते से नहीं निपटाया जा सकता- HC

नई दिल्ली: दुष्कर्म और वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि ऐसे गंभीर मामलों को मध्यस्थता से नहीं निपटाया जा सकता है. ऐसे मामलों में मानसिक दबाव होता है.

हाईकोर्ट ने पांच अलग-अलग मामलों की सुनवाई करते हुए ये दिशानिर्देश जारी किया है. जस्टिस आर के गौबा ने क्रेडिट कार्ड की धोखाधड़ी से जुड़े चार मामलों में भी दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग को खारिज करते हुए ये आदेश दिया है.

'समाज पर पड़ता है प्रभाव'
दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया है कि अपराधों की गंभीरता और अभियुक्तों के आचरण और उनका समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए ही अपराधों की मध्यस्थता से निपटारे की अनुमति दी जा सकती है.


ट्रायल कोर्ट में रेफर था मामला
हाईकोर्ट ने पांचवें मामले में दुष्कर्म से जुड़े मामले में दोनों पक्षों में सुलह होने के आधार पर एफआईआर को निरस्त करने की मांग को भी खारिज कर दिया. इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए रेफर किया था.

'रोजाना हो इन मामलों पर सुनवाई'
वहीं, क्रेडिट कार्ड की धोखाधड़ी से जुड़े मामलों में 2003 में एफआईआर दर्ज की गई थी, लेकिन 15 साल बीतने के बाद भी इसमें कोई प्रगति नहीं हुई थी.

इस पर आपत्ति जताते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामलों में इतनी देरी आजकल आम बात हो गई है. कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है कि वो इन मामलों पर रोजाना सुनवाई करे.

नई दिल्ली: दुष्कर्म और वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि ऐसे गंभीर मामलों को मध्यस्थता से नहीं निपटाया जा सकता है. ऐसे मामलों में मानसिक दबाव होता है.

हाईकोर्ट ने पांच अलग-अलग मामलों की सुनवाई करते हुए ये दिशानिर्देश जारी किया है. जस्टिस आर के गौबा ने क्रेडिट कार्ड की धोखाधड़ी से जुड़े चार मामलों में भी दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग को खारिज करते हुए ये आदेश दिया है.

'समाज पर पड़ता है प्रभाव'
दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया है कि अपराधों की गंभीरता और अभियुक्तों के आचरण और उनका समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए ही अपराधों की मध्यस्थता से निपटारे की अनुमति दी जा सकती है.


ट्रायल कोर्ट में रेफर था मामला
हाईकोर्ट ने पांचवें मामले में दुष्कर्म से जुड़े मामले में दोनों पक्षों में सुलह होने के आधार पर एफआईआर को निरस्त करने की मांग को भी खारिज कर दिया. इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए रेफर किया था.

'रोजाना हो इन मामलों पर सुनवाई'
वहीं, क्रेडिट कार्ड की धोखाधड़ी से जुड़े मामलों में 2003 में एफआईआर दर्ज की गई थी, लेकिन 15 साल बीतने के बाद भी इसमें कोई प्रगति नहीं हुई थी.

इस पर आपत्ति जताते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामलों में इतनी देरी आजकल आम बात हो गई है. कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है कि वो इन मामलों पर रोजाना सुनवाई करे.

Intro:नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि रेप और वित्तीय धोखाधड़ी जैसे गंभीर प्रकृति के मामलों को मध्यस्थता से नहीं निपटाया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में मानसिक दबाव होता है।


Body:हाईकोर्ट ने पांच अलग-अलग मामलों की सुनवाई करते हुए ये दिशानिर्देश जारी किया। जस्टिस आरके गौबा ने क्रेडिट कार्ड की धोखाधड़ी से जुड़े चार मामलों में दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग को खारिज करते हुए ये आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा कि अपराधों की गंभीरता और अभियुक्तों के आचरण और उनका समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए ही अपराधों की मध्यस्थता से निपटारे की अनुमति दी जा सकती है।
हाईकोर्ट ने पांचवें मामले में रेप से जुड़े मामले में दोनों पक्षों में सुलह होने के आधार पर एफआईआर को निरस्त करने की मांग खारिज कर दिया। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए रेफर किया था।


Conclusion:क्रेडिट कार्ड की धोखाधड़ी से जुड़े मामलों में 2003 में एफआईआर दर्ज की गई थी। लेकिन 15 साल बीतने के बाद भी इसमें कोई प्रगति नहीं हुई थी। इस पर आपत्ति जताते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामलों में इतनी देरी आजकल आम बात हो गई है। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया कि वो इन मामलों पर रोजाना सुनवाई करे।
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