चेन्नई: जनरल दीक्षितार बोर्ड ने नटराज दीक्षितार को निलंबित करने का आदेश दिया है. बोर्ड का आरोप है कि, नटराज ने चिदंबरम नटराज मंदिर में एक नर्स के साथ मारपीट की, अनियमितताएं कीं और श्रद्धालुओं को कनागासबाई में दर्शन करने में मदद की. इसके खिलाफ नटराज दीक्षितार ने हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग तमिलनाडु सरकार के संयुक्त आयुक्त के समक्ष अपील की थी. कुड्डालोर संयुक्त आयुक्त ने इसकी जांच की और नटराज दीक्षितार के निलंबन आदेश को रद्द कर दिया.
जनरल दीक्षितार समिति के सचिव वेंकटेश दीक्षितार ने इसके खिलाफ मद्रास हाई कोर्ट में मामला दायर किया. इसमें जनरल दीक्षितार समिति ने कहा है कि, हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग को हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है और साथ ही अनुरोध किया है कि संयुक्त आयुक्त के आदेश को रद्द किया जाए. मामले की सुनवाई न्यायाधीश एम थंडापानी के समक्ष हुई.
उस समय नटराज दीक्षित की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आम दीक्षितारों को लगता है कि, मंदिर उनका है और उन्होंने कोर्ट से इस पर नियंत्रण करने का अनुरोध किया.
इसके बाद जज ने कहा कि उन्हें भी दीक्षितारों से परेशानी है और दुख जताया कि मानसिक समस्याओं के कारण मंदिर में आने वाले भक्तों को भी वहां अपमानित किया जाता है. इसके अलावा जज ने कहा कि दीक्षितार अहंकारी तरीके से काम कर रहे हैं और यह अच्छा संकेत नहीं है. जज ने उल्लेख किया कि दीक्षितारों को लगता है कि, चिदंबरम नटराज मंदिर में आने वाले सभी लोग लड़ाई के लिए आते हैं.
जज ने कहा कि, आम दीक्षितारों को लगता है कि चिदंबरम नटराज मंदिर उनका है और वे खुद को भगवान से ऊपर मानते हैं. उन्होंने कहा कि अरुद्र दर्शन जो पहले केवल चिदंबरम नटराज मंदिर में होता था, अब कई मंदिरों में हो रहा है और चिदंबरम मंदिर अरुद्र दर्शन में पहले जैसी भीड़ नहीं होती.
उन्होंने बातों ही बातों में कहा कि, अगर ऐसा हुआ तो श्रद्धालुओं की संख्या कम हो जाएगी और मंदिर को नुकसान पहुंचेगा. इसके बाद न्यायाधीश ने हिंदू कल्याण विभाग को इस मामले में जवाब देने का आदेश दिया और सुनवाई 21 अक्टूबर (सोमवार) तक के लिए स्थगित कर दी.
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