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केजरीवाल ने समझाया इस फॉर्मूले के जरिए मेट्रो में महिलाएं करेगी मुफ्त सफर - travel free

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मेट्रो फेज 3 का काम पूरा होने पर तब के डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट के हिसाब से रोजाना 40 लाख लोग मेट्रो में सफर करने की बात कही गई थी.

मेट्रो में महिलाएं कर सकेगी मुफ्त सफर
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Published : Jun 4, 2019, 8:43 AM IST

नई दिल्ली: चुनावी वर्ष में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मेट्रो में महिलाओं की मुफ्त सवारी का जो प्लान तैयार किया है, इसे कैसे आखिर मूर्त रूप दिया जाएगा और क्या इससे मेट्रो में भीड़ बढ़ जाएगी? इस बाबत उन्होंने मेट्रो की क्षमता और प्रतिदिन यात्रा करने वाले यात्रियों का आंकड़ा लेकर सामने आए.

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मेट्रो फेज 3 का काम पूरा होने पर तब के डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट के हिसाब से रोजाना 40 लाख लोग मेट्रो में सफर करने की बात कही गई थी. मार्च 2017 में 28 लाख लोग रोजाना सफर करते थे, उसके बाद मेट्रो ने किराए बढ़ा दिए. जिसका नतीजा यह निकला कि अब रोजाना लगभग 25 लाख लोग मेट्रो में सफर करते हैं. इस तरह मेट्रो की क्षमता रोजाना 40 लाख लोगों को सफर करवाने की है लेकिन केवल 25 लाख लोग ही मेट्रो में रोजाना सफर करते हैं.

मेट्रो में महिलाएं इस फॉर्मूले के जरिए करेगी मुफ्त में सफर

मेट्रो में नहीं बढ़ेगी भीड़
इन 25 लाख में मोटे तौर पर 30 फीसदी यानी तकरीबन 8 लाख महिलाएं मेट्रो में रोज सफर करती हैं. अगर इस स्कीम से मेट्रो में सफर करने वाली महिलाओं की संख्या में 10 फीसदी इजाफा भी हो जाता है तो यह आंकड़ा करीब एक लाख तक ही बढ़ेगा. इस तरह अभी मेट्रो में रोजाना 26 लाख लोग सफर करते हैं. इस स्कीम के बाद संभव है कि यह आंकड़ा 26-27 लाख हो जाए. जो कि मार्च 2017 के 28 लाख के आंकड़े से कम ही है. यानी इस स्कीम से मेट्रो में भीड़ बढ़ने की बात में दम नहीं है.

काम के लिए महिलाएं होगी प्रोत्साहित
इसके अलावा पूरे देश में फीमेल वर्कफोर्स पार्टिसिपेशन 27 फीसदी है. जबकि दिल्ली में यह केवल 11 फीसदी है. इससे साफ है कि दिल्ली में काम करने वाली महिलाओं की संख्या काफी कम है. केजरीवाल कहते हैं, उम्मीद करते हैं कि महिलाओं के लिए फ्री सफर की स्कीम लागू हो जाने के बाद ज्यादा से ज्यादा महिलाएं काम पर निकलने के लिए प्रोत्साहित होंगी.

मेट्रो में 55 फीसदी का इजाफा
बता दें कि वर्ष 2017 से 2019 के बीच मेट्रो की लाइनों में करीब 55 फीसदी का इजाफा हुआ है. वर्ष 2017 में 212 किलोमीटर मेट्रो लाइन थी. जो 2019 में बढ़कर 327 किलोमीटर हो गई है. लेकिन किराया बढ़ने की वजह से मेट्रो की राइडरशिप में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई बल्कि रोजाना तकरीबन तीन लाख यात्री तब के मुकाबले कम सफर करते हैं.

नई दिल्ली: चुनावी वर्ष में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मेट्रो में महिलाओं की मुफ्त सवारी का जो प्लान तैयार किया है, इसे कैसे आखिर मूर्त रूप दिया जाएगा और क्या इससे मेट्रो में भीड़ बढ़ जाएगी? इस बाबत उन्होंने मेट्रो की क्षमता और प्रतिदिन यात्रा करने वाले यात्रियों का आंकड़ा लेकर सामने आए.

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मेट्रो फेज 3 का काम पूरा होने पर तब के डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट के हिसाब से रोजाना 40 लाख लोग मेट्रो में सफर करने की बात कही गई थी. मार्च 2017 में 28 लाख लोग रोजाना सफर करते थे, उसके बाद मेट्रो ने किराए बढ़ा दिए. जिसका नतीजा यह निकला कि अब रोजाना लगभग 25 लाख लोग मेट्रो में सफर करते हैं. इस तरह मेट्रो की क्षमता रोजाना 40 लाख लोगों को सफर करवाने की है लेकिन केवल 25 लाख लोग ही मेट्रो में रोजाना सफर करते हैं.

मेट्रो में महिलाएं इस फॉर्मूले के जरिए करेगी मुफ्त में सफर

मेट्रो में नहीं बढ़ेगी भीड़
इन 25 लाख में मोटे तौर पर 30 फीसदी यानी तकरीबन 8 लाख महिलाएं मेट्रो में रोज सफर करती हैं. अगर इस स्कीम से मेट्रो में सफर करने वाली महिलाओं की संख्या में 10 फीसदी इजाफा भी हो जाता है तो यह आंकड़ा करीब एक लाख तक ही बढ़ेगा. इस तरह अभी मेट्रो में रोजाना 26 लाख लोग सफर करते हैं. इस स्कीम के बाद संभव है कि यह आंकड़ा 26-27 लाख हो जाए. जो कि मार्च 2017 के 28 लाख के आंकड़े से कम ही है. यानी इस स्कीम से मेट्रो में भीड़ बढ़ने की बात में दम नहीं है.

काम के लिए महिलाएं होगी प्रोत्साहित
इसके अलावा पूरे देश में फीमेल वर्कफोर्स पार्टिसिपेशन 27 फीसदी है. जबकि दिल्ली में यह केवल 11 फीसदी है. इससे साफ है कि दिल्ली में काम करने वाली महिलाओं की संख्या काफी कम है. केजरीवाल कहते हैं, उम्मीद करते हैं कि महिलाओं के लिए फ्री सफर की स्कीम लागू हो जाने के बाद ज्यादा से ज्यादा महिलाएं काम पर निकलने के लिए प्रोत्साहित होंगी.

मेट्रो में 55 फीसदी का इजाफा
बता दें कि वर्ष 2017 से 2019 के बीच मेट्रो की लाइनों में करीब 55 फीसदी का इजाफा हुआ है. वर्ष 2017 में 212 किलोमीटर मेट्रो लाइन थी. जो 2019 में बढ़कर 327 किलोमीटर हो गई है. लेकिन किराया बढ़ने की वजह से मेट्रो की राइडरशिप में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई बल्कि रोजाना तकरीबन तीन लाख यात्री तब के मुकाबले कम सफर करते हैं.

Intro:नई दिल्ली. चुनावी वर्ष में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मेट्रो में महिलाओं की मुफ्त सवारी का जो प्लान तैयार किया है, इसे कैसे आखिर मूर्त रूप दिया जाएगा और क्या इससे मेट्रो में भीड़ बढ़ जाएगी? इस बाबत उन्होंने मेट्रो की क्षमता और प्रतिदिन यात्रा करने वाले यात्रियों का आंकड़ा लेकर सामने आए.


Body:केजरीवाल ने कहा कि मेट्रो फेज 3 का काम पूरा होने पर तब के डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट के हिसाब से रोजाना 40 लाख लोग मेट्रो में सफर करने की बात कही गई थी. मार्च 2017 में 28 लाख लोग रोजाना सफर करते थे, उसके बाद मेट्रो ने किराए बढ़ा दिए. जिसका नतीजा यह निकला कि अब रोजाना लगभग 25 लाख लोग मेट्रो में सफर करते हैं. इस तरह मेट्रो की क्षमता रोजाना 40 लाख लोगों को सफर करवाने की है लेकिन केवल 25 लाख लोग ही मेट्रो में रोजाना सफर करते हैं.

मेट्रो में नहीं बढ़ेगी भीड़

इन 25 लाख में मोटे तौर पर 30 फीसद यानी तकरीबन 8 लाख महिलाएं मेट्रो में रोज सफर करती हैं. अगर इस स्कीम से मेट्रो में सफर करने वाली महिलाओं की संख्या में 10 फीसद इजाफा भी हो जाता है तो यह आंकड़ा करीब एक लाख तक ही बढ़ेगा. इस तरह अभी मेट्रो में रोजाना 26 लाख लोग सफर करते हैं. इस स्कीम के बाद संभव है कि यह आंकड़ा 26-27 लाख हो जाए. जो कि मार्च 2017 के 28 लाख के आंकड़े से कम ही है. यानी इस स्कीम से मेट्रो में भीड़ बढ़ने की बात में दम नहीं है.

इसके अलावा पूरे देश में फीमेल वर्कफोर्स पार्टिसिपेशन 27 फीसद है. जबकि दिल्ली में यह केवल 11 फीसद है. इससे साफ है कि दिल्ली में काम करने वाली महिलाओं की संख्या काफी कम है. केजरीवाल कहते हैं, उम्मीद करते हैं कि महिलाओं के लिए फ्री सफर की स्कीम लागू हो जाने के बाद ज्यादा से ज्यादा महिलाएं काम पर निकलने के लिए प्रोत्साहित होंगी.


Conclusion:बता दें कि वर्ष 2017 से 2019 के बीच मेट्रो की लाइनों में करीब 55 फीसद का इजाफा हुआ है. वर्ष 2017 में 212 किलोमीटर मेट्रो लाइन थी. जो 2019 में बढ़कर 327 किलोमीटर हो गई है. लेकिन किराया बढ़ने की वजह से मेट्रो की राइडरशिप में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई. बल्कि रोजाना तकरीबन तीन लाख यात्री तब के मुकाबले कम सफर करते हैं.

समाप्त, आशुतोष झा
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