नई दिल्ली: अधिक धूम्रपान करने वाले 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को दिल्ली एम्स बुला रहा है. इसके पीछे का कारण यह है कि एम्स का पल्मोनरी क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन विभाग लंग कैंसर को लेकर एक शोध करने की तैयारी में है. एम्स विशेषज्ञों का कहना है कि वह इस शोध से कम खुराक वाली कंप्यूटर टोमोग्राफी सीटी स्कैन जांच कर यह देखना चाहते हैं कि क्या इससे लंग कैंसर का जल्दी पता लगाया जा सकता है. यह जांच एम्स विशेषज्ञ अधिक धूम्रपान करने वाले चैन स्मोकर्स में देखना चाहते हैं. अगर यह जांच सफल हो जाती है तो इससे लंग कैंसर को जल्दी पकड़ने में मदद मिल सकती है.
शोध के लिए सिर्फ चेन स्मोकर्स की तलाश क्यों: एम्स के पल्मोनरी क्रिटिकल केयर विभाग के डॉक्टर आयुष गोयल के अनुसार, इस शोध के लिए एम्स चेन स्मोकर्स को इसलिए तलाश रहा है कि सामान्य लोगों की तुलना में चेन स्मोकर्स में लंग कैंसर का अधिक खतरा होता है. अभी तक लंग कैंसर का पता लगाने के लिए जो टेस्ट किया जाता है उस टेस्ट द्वारा जब तक लंग कैंसर का पता चलता है तब तक यह बीमारी इतनी फैल चुकी होती है कि मरीज के ठीक होने की संभावना बहुत कम हो जाती है.
लंग कैंसर का पता चलने के बाद डॉक्टर के अनुसार, मरीज की उम्र 8-9 महीने तक ही रह जाती है. इस शोध के जरिए एम्स यह पता करने की कोशिश करेगा कि क्या लो डोज सीटी स्कैन के जरिए नजर आने वाले बदलाव से शुरुआती स्टेज में ही फेफड़े का कैंसर पकड़ा जा सकता है. ताकि बीमारी का समय रहते इलाज हो सके और लंग कैंसर को फैलने से रोका जा सके. इसलिए एम्स के पलमोनरी मेडिसिन विभाग ने 50 वर्ष की उम्र से ज्यादा अधिक धूम्रपान करने वाले लोगों से इस शोध का हिस्सा बनने की अपील की है. जो लोग इस शोध में शामिल होंगे उनका फ्री में सीटी स्कैन किया जाएगा. यह सीटी स्कैन लो डोज पर किए जाएंगे.
ये हैं लंग कैंसर के लक्षण:
- खांसी
- सांस लेने में दिक्कत
- छाती में दर्द
- वजन कम होना
- थकान
- सर दर्द
- घबराहट
बता दें, अगर ऊपर दिए इनमें से कोई भी लक्षण आपको दिखाई देता है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. फेफड़े का कैंसर एक गंभीर बीमारी होता है, लेकिन जल्दी पता चलने से इसका इलाज हो सकता है. एम्स द्वारा दिए गए डेटा के अनुसार वर्ष 2022 में भारत में लंग कैंसर के एक लाख तीन हजार 371 मामले आए. कैंसर की बीमारी भारत ही नहीं पूरे विश्व में तेजी से बढ़ रही है. कई जगह इसका पहले और दूसरे चरण में पता लग जाता है तो उसका ठीक से निदान हो जाता है. जबकि भारत में मुख्यतः तीसरे और चौथे चरण में जाकर कैंसर का पता चलता है, जिससे निदान में दिक्कत आती है. डॉक्टर के अनुसार दुनिया में इस समय लंग कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और मुंह के कैंसर के मरीज सबसे ज्यादा है.