नई दिल्ली/गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के बालूपुरा इलाके की रहने वाली फोजिया जहां ने UPPSC PCS J में 76वी रैंक हासिल की है. खास बात यह है कि पहले अटेम्प्ट में ही फोजिया को कामयाबी हासिल हुई है. मध्यम परिवार से आने वाली फौजिया की कामयाबी के बाद इलाके में जश्न का माहौल है. लगातार उनके घर मुबारकबाद देने वालों का ताता लगा हुआ है. उनके पिता सिकंदर भी बेटी पर गर्व महसूस कर रहे हैं.
जिंदगी में परेशानियों का कोई वजूद नहीं: फोजिया का कहना है कि जिंदगी में आने वाली परेशानियों का कोई वजूद नहीं होता है अगर हौसला हो, मेहनत और निरंतरता से नामुमकिन को भी मुमकिन बनाया जा सकता है. उन्होंने अपने इस कामयाबी का श्रेय अपने पिता को दिया है. उनका कहना है कि उनके पिता सिकंदर अतीक उन्हें हमेशा समझाते थे कि बेटी जिंदगी में कुछ ऐसा करना है जिससे कि तुम दुनिया के लिए एक मिसाल बनो. पिता की हर एक छोटी-बड़ी बात को फोजिया ने न सिर्फ गंभीरता से लिया बल्कि उस पर अमल भी किया. यही वजह है कि आज फौजिया ने पिता के साथ-साथ अपने परिवार का नाम भी रोशन किया है.
बचपन से जज बनना चाहती थीं फोजिया: स्कूल के दिनों में ही फौजिया जहां ने तय कर लिया था कि उन्हें जज बनना है. शुरुआत से ही फौजिया ने अपनी पढ़ाई पर तवज्जो दी. गाजियाबाद के हापुड़ रोड स्थित ठाकुरद्वारा स्कूल से फोजिया ने दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई की. दसवीं में फौजिया ने 98 प्रतिशत अंक जबकि 12वीं में उन्होंने तकरीबन 91 प्रतिशत अंक हासिल किए. दिल्ली यूनिवर्सिटी के जाकिर हुसैन कॉलेज से फोजिया ने बीकॉम ऑनर्स की डिग्री ली. फिर गाजियाबाद की दुहाई स्थित माडर्न डिग्री ऑफ कॉलेज से फोजिया ने एलएलबी की पढ़ाई की और 2021 में एलएलबी पूरा किया.
हर दिन 12 घंटे करती थीं पढ़ाई: एलएलबी पूरी होने के बाद फौजिया ने राजनगर स्थित निजी कोचिंग इंस्टिट्यूट से जुडिशरी की कोचिंग शुरु की. एक साल ज्यूडिशरी की कोचिंग करने के बाद फौजिया ने सेल्फ स्टडी पर खुद को शिफ्ट किया. सुबह 8:00 बजे फोजिया लाइब्रेरी पहुंचती जहां हर दिन 12 घंटे पढ़ाई करती. इतना ही नहीं घर जाकर फोजिया युटुब का सहारा लेकर नए कांसेप्ट को समझती और पढ़ाई करती. आमतौर पर देखने को मिलता है कि जब लोग सिविल सर्विसेज या फिर ज्यूडिशरी की तैयारी करते हैं तो वह नौकरी तक छोड़ देते हैं लेकिन फोजिया ने अपनी पढ़ाई को सपोर्ट करने और कोचिंग की फीस भरने के लिए अमेजॉन में वर्क फ्रॉम होम की नौकरी की.
नौकरी के साथ पढ़ाई: फोजिया बताती हैं कि उनके घर में कोई आर्थिक समस्या नहीं थी लेकिन फिर भी वह चाहती थी कि वह अपनी पढ़ाई का खर्च खुद उठाएं. तीन साल के करीब फौजिया ने नौकरी की. उनका कहना है कि सफर मुश्किल भरा था लेकिन परिवार के सपोर्ट के साथ सफर तय किया और मंजिल तक पहुंचने में कामयाब हुई. परिवार की सपोर्ट के बिना शायद यहां तक पहुंचना नामुमकिन था.
लड़कियां लड़कों से कम नहीं: फोजिया बताती हैं कि दुनिया बहुत तेजी के साथ आगे बढ़ रही है लोगों की सोच बेहतर हो रही है. लेकिन आज भी कई जगह देखने को मिलता है कि महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए सपोर्ट नहीं किया जाता है. लड़कियों को सिर्फ मौका देने की जरूरत है. उनकी सपोर्ट करने की जरूरत है लड़कियां लड़कों से कम नहीं है.
पेशे से टायर मिस्त्री हैं फोजिया के पिता: फौजिया के पिता सिकंदर पेशे से टायर मिस्त्री हैं. टायर मरम्मत का का काम करते हैं. लॉकडाउन के बाद उनका काम 10 प्रतिशत ही रह गया है. सिकंदर बताते हैं कि हम तो नहीं पढ़ पाए लेकिन हमारी ख्वाहिश थी कि हम अपनी औलाद को किसी काबिल बनाएं. अगर ओलाद पढ़ जाती है तो हम समझ लेंगे कि हमने ही तालीम हासिल कर ली.