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कोर्ट ने रेप के आरोपी की जमानत अर्जी स्वीकार की, शिकायतकर्ता को कोई आपत्ति नहीं

तीस हजारी कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए रेप के आरोपी को अंतरिम जमानत दे दी. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सभी गवाहों द्वारा दिये गए बयानों और सबूतों को देखने के बाद आरोपी को 10 हजार रुपए के मुचलके व इतनी ही राशि के बेल बांड पर जमानत दी जाती है.

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Published : Jun 6, 2023, 10:49 PM IST

delhi crime news
रेप के आरोपी की जमानत अर्जी स्वीकार

नई दिल्ली: निहाल विहार थाने के रेप से जुड़े मामले के आरोपी सचिन ने अपनी अंतरिम जमानत की अर्जी तीस हजारी कोर्ट में लगाई थी. आवदेक/आरोपी ने अपनी अर्जी में कहा कि शिकायतकर्ता द्वारा उसे जानबूझकर झूठे मामले में फंसाया गया है. शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में आवेदक पर कोई भी आरोप नहीं लगाने के साथ ही घटित घटना का भी कोई जिक्र नहीं किया है.

बचाव पक्ष के वकील ने आरोपी की बेगुनाही को साबित करने के लिए आरोपी/आवदेक के घर के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे की घटना वाले दिन की फुटेज भी कोर्ट में जमा की है जिसमें शिकायतकर्ता आरोपी के घर में रात्रि 11:49 पर खुद प्रवेश कर रही है और ठीक 7 से 8 मिनट बाद घर से बाहर आती हुई भी दिख रही है.

बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि शिकायतकर्ता और आरोपी/आवदेक दोनों एक दूसरे के अच्छे जानकार है. साथ ही शिकायतकर्ता खुद अपनी मर्जी से आवेदक के घर में गई थी. जांच अधिकारी के कहने पर आरोपी/आवदेक ने कई बार जांच में सहयोग भी किया है और आगे भी करता रहेगा. इसलिए कोर्ट से निवेदन किया जाता है कि आवेदक को अंतरिम जमानत प्रदान की जाए. 42 वर्षीय शिकायतकर्ता अपनी 22 वर्षीय बेटी के साथ कोर्ट में हाजिर हुई थी. जहां उन्होंने कोर्ट के समक्ष अपना बयान दिया कि अदालत द्वारा आरोपी को जमानत दिए जाने से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है.

जांच अधिकारी ने कोर्ट में कहा कि शिकायतकर्ता और आरोपी एक दूसरे को पिछले 20 साल से जानते है. साथ ही आरोपी तीन बार जांच में सहयोग भी कर चुका है. इसके बाद आगे की और जांच करने की जरूरत नहीं है. शिकायतकर्ता द्वारा आरोपी पर रेप, आपराधिक धमकी और शील भंग का आरोप लगाया गया था, लेकिन अदालत के समक्ष बयान देने के बाद आरोपी की अंतरिम जमानत स्वीकार कर ली गई है.

कोर्ट ने अपने आदेश मे कहा है कि शिकायतकर्ता और सभी गवाहों द्वारा दिये गए बयानों और सबूतों को देखने के बाद आरोपी सचिन को 10 हजार रुपये के मुचलके व इतनी ही राशि के बेल बांड पर जमानत दी जाती है. कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि आरोपी जांच अधिकारी के साथ आगे भी जांच में सहयोग करेगा और किसी भी गवाह व पीड़ित से मिलने व डराने धमकाने की कोशिश नहीं करेगा.

ये भी पढ़ें: Delhi Liquor Scam: सरकारी गवाह बने दिनेश अरोड़ा के खिलाफ लुक आउट नोटिस वापस लेने के निर्देश

नई दिल्ली: निहाल विहार थाने के रेप से जुड़े मामले के आरोपी सचिन ने अपनी अंतरिम जमानत की अर्जी तीस हजारी कोर्ट में लगाई थी. आवदेक/आरोपी ने अपनी अर्जी में कहा कि शिकायतकर्ता द्वारा उसे जानबूझकर झूठे मामले में फंसाया गया है. शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में आवेदक पर कोई भी आरोप नहीं लगाने के साथ ही घटित घटना का भी कोई जिक्र नहीं किया है.

बचाव पक्ष के वकील ने आरोपी की बेगुनाही को साबित करने के लिए आरोपी/आवदेक के घर के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे की घटना वाले दिन की फुटेज भी कोर्ट में जमा की है जिसमें शिकायतकर्ता आरोपी के घर में रात्रि 11:49 पर खुद प्रवेश कर रही है और ठीक 7 से 8 मिनट बाद घर से बाहर आती हुई भी दिख रही है.

बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि शिकायतकर्ता और आरोपी/आवदेक दोनों एक दूसरे के अच्छे जानकार है. साथ ही शिकायतकर्ता खुद अपनी मर्जी से आवेदक के घर में गई थी. जांच अधिकारी के कहने पर आरोपी/आवदेक ने कई बार जांच में सहयोग भी किया है और आगे भी करता रहेगा. इसलिए कोर्ट से निवेदन किया जाता है कि आवेदक को अंतरिम जमानत प्रदान की जाए. 42 वर्षीय शिकायतकर्ता अपनी 22 वर्षीय बेटी के साथ कोर्ट में हाजिर हुई थी. जहां उन्होंने कोर्ट के समक्ष अपना बयान दिया कि अदालत द्वारा आरोपी को जमानत दिए जाने से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है.

जांच अधिकारी ने कोर्ट में कहा कि शिकायतकर्ता और आरोपी एक दूसरे को पिछले 20 साल से जानते है. साथ ही आरोपी तीन बार जांच में सहयोग भी कर चुका है. इसके बाद आगे की और जांच करने की जरूरत नहीं है. शिकायतकर्ता द्वारा आरोपी पर रेप, आपराधिक धमकी और शील भंग का आरोप लगाया गया था, लेकिन अदालत के समक्ष बयान देने के बाद आरोपी की अंतरिम जमानत स्वीकार कर ली गई है.

कोर्ट ने अपने आदेश मे कहा है कि शिकायतकर्ता और सभी गवाहों द्वारा दिये गए बयानों और सबूतों को देखने के बाद आरोपी सचिन को 10 हजार रुपये के मुचलके व इतनी ही राशि के बेल बांड पर जमानत दी जाती है. कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि आरोपी जांच अधिकारी के साथ आगे भी जांच में सहयोग करेगा और किसी भी गवाह व पीड़ित से मिलने व डराने धमकाने की कोशिश नहीं करेगा.

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