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Delhi Healthcare: अस्पतालों में 13 हजार बेड जोड़ने की परियोजनाएं पड़ी सुस्त, जानिए क्या है वजह

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Published : Jul 1, 2023, 5:49 PM IST

Updated : Jul 1, 2023, 8:34 PM IST

दिल्ली में कई अस्पतालों के निर्माण व सुविधाओं में विस्तार की परियोजनाओं में लगातार देरी हो रही है. कुछ परियोजनाओं में तो सालों की देरी हो चुकी है. आइए जानते हैं उनके बारे में..

Health Minister Saurabh Bhardwaj
Health Minister Saurabh Bhardwaj
स्वास्थ्य सेवा परियोजनाओं में लगातार हो रही देरी

नई दिल्ली: राजधानी में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिए अस्पतालों के निर्माण और मौजूदा सुविधाओं के विस्तार से जुड़ी कई परियोजनाओं में तीन साल से अधिक की देरी हो चुकी है. लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है. दिल्ली सरकार की योजना के अनुसार 18 अस्पतालों के निर्माण के साथ-साथ पुराने अस्पतालों में अतिरिक्त भवन तैयार कराए जा रहे हैं. इसमें रोहिणी की फोरेंसिक प्रयोगशाला निर्माण की समय सीमा कई बार बढ़ चुकी है.

इन कारणों से हुई देरी: इन अस्पतालों के निर्माण की कुल लागत 3,236 करोड़ रुपये है. इनके पूरे होने पर राज्य सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में 12,778 बेड जुड़ने की उम्मीद है. इस बारे में दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि, स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने निर्माण को प्रभावित करने वाले मामले पर चर्चा करने और समाधान खोजने के लिए डिपार्टमेंट के अधिकारियों और ईएचआई-पीडब्ल्यूडी की एक बैठक बुलाई है. पीडब्ल्यूडी विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, कई वित्तीय और प्रशासनिक कारणों से इन परियोजनाओं में देरी हुई है.

काम पूरा करने के लिए 600 करोड़ रुपये की जरूरत: हालांकि इनमें कई अस्पतालों में 80 प्रतिशत से अधिक काम हो चुका है. वहीं, हास्तसाल में बन रहे अस्पताल के निर्माण कार्य में सिर्फ 35 प्रतिशत की प्रगति हुई है. दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि धन की कमी देरी का सबसे बड़ा कारण है. हमें कुछ अस्पतालों को पूरा करने के लिए कम से कम 600 करोड़ रुपये की जरूरत है. इसी तरह लोकनायक अस्पताल में कैजुअल्टी ब्लॉक कम से कम तीन साल की देरी से अगस्त 2024 तक तैयार हो जाएगा. इसके अलावा एक और एडवांस पीडियाट्रिक ब्लॉक का काम भी एक साल की समय सीमा से आगे निकल गया है.

यह है देरी का कारण: सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इनमें से कई सुविधाओं का निर्माण कोविड के वर्षों के दौरान शुरू हुआ था, जिन्हें आईसीयू अस्पतालों के रूप में योजनाबद्ध किया गया. अब हमें एहसास हुआ है कि बहुत अधिक आईसीयू बिस्तरों की आवश्यकता नहीं है. इसलिए कुछ के डिजाइन बदल दिए गए हैं, जिससे कुछ देरी हुई है. इसके अलावा, कई अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं. इन नए अस्पतालों में पश्चिमी दिल्ली के ज्वालापुरी, मादीपुर और हस्तसाल में एक-एक अस्पताल शामिल है.

काम को लेकर आश्वस्त नहीं अधिकारी: पहले दो अस्पताल पिछले साल पूरा होना था. वहीं, हस्तसाल में एक महीने में अस्पताल चालू हो जाना था. लेकिन यहां 65 प्रतिशत काम अधूरा है. तीनों अस्पतालों में 3,000 बिस्तर की व्यवस्था हैं, जबकि ज्वालापुरी और मादीपुर अस्पतालों का काम भी पिछले साल पूरा हो जाना था. तीन अस्पताल पीतमपुरा में भगवान महावीर, राजपुरा रोड पर अरुणा आसफ अली और अशोक विहार में दीप चंद बंधु अस्पताल के निर्माण कार्य भी रुके हुए हैं. ये कब पूरे होंगे, इसको लेकर अधिकारी आश्वस्त नहीं हैं.

लोकनायक अस्पताल में बढ़ेंगी ये सुविधाएं: दिल्ली गेट स्थित लोकनायक अस्पताल में 22 मंजिला एडवांस पीडियाट्रिक ब्लॉक का निर्माण कार्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है. इसकी समय सीमा तीन मई को खत्म हो गई थी, जिसे बढ़ाकर अब तीन मई 2024 कर दिया गया है. इस इमारत के बनने से 1500 नए बेड पर चिकित्सा सेवाएं शुरू की जाएंगी. इसके अलावा, इसमें 300 आईसीयू बेड भी होंगे. इस ब्लॉक को एडवांस पीडियाट्रिक एंड मैटरनिटी ब्लॉक नाम दिया गया है. यह पूरी तरह से वातानुकूलित होगा. साथ ही देश में किसी भी अस्पताल की पहली 25 मंजिला इमारत होगी. इसके बनने के बाद अस्पताल की कुल क्षमता 3,800 बेड की हो जाएगी. इसमें दो तल पर आइसीयू, दो तल पर रिसर्च लैब और बाकी तल पर चिकित्सा वार्ड होंगे.

ओपीडी में देखे जाते हैं पांच हजार से ज्यादा मरीज: मौजूदा समय में लोकनायक अस्पताल की कुल क्षमता 2,010 बेड की है. कोरोना काल से पहले के सामान्य दिनों में अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन नौ हजार मरीजों को देखा जाता था और 200 से ज्यादा मरीजों के ऑपरेशन प्रतिदिन होते थे. मौजूदा समय में भी अस्पताल की ओपीडी में पांच हजार से अधिक मरीजों को देखा जाता है. इस बात से चिकित्सा सेवाओं में लोकनायक अस्पताल के योगदान का अंदाजा लगाया जा सकता है.

सुबह छह बजे से लग जाती है लाइन: लोकनायक अस्पताल में ओपीडी में दिखाने के लिए मरीज सुबह 6 बजे से ही आकर लाइन में लग जाते हैं, जिससे उनका ओपीडी कार्ड बन सके. सुबह 7.30 बजे से कार्ड बनने की प्रक्रिया शुरू होती है जो 11:30 बजे तक चलती है. इसके बाद कार्ड बनना बंद हो जाते हैं. लोगों को कार्ड बनवाने के लिए आधे- एक घंटे तक लाइन में लगना पड़ता है. जब यह नई इमारत बनकर तैयार हो जाएगी तो इधर भी मरीजों के देखने की सुविधा बढ़ेगी, डॉक्टर भी बढ़ेंगे तो मरीजों को डॉक्टर को ओपीडी में दिखाने में जो समय लगता है उसमें कमी आएगी. इससे लोगों की घंटों इंतजार करने की परेशानी दूर होगी.

कुल निर्माण परियोजनाएं- 18 अस्पताल
कुल लागत- 3,236 करोड़ रूपये
बढ़ने वाले बेड की संख्या- 12,778

अस्पताल बेडलागत (करोड़ में)पुरानी डेडलाइननई डेडलाइनप्रगति
लोकनायक 1570 488मई 23 मई 2472%
एसआरएचसी 773 221 अप्रैल 23अप्रैल 2540%
भगवान महावीर -- 140 सितंबर 21काम रुका25%
अंबेडकर 1063 107सितंबर 21फरवरी 2467%
अरुणा आसिफ अली151 37अगस्त 20काम रुका40%
दीप चंद बंधु 565 -- जून 20काम रुका50%
इंदिरा गांधी 1241 545फरवरी 17 जनवरी 23100%

नोट- स्टाफ की कमी के चलते पूरी इंदिरा गांधी अस्तपाल का पूरी क्षमता के साथ संचालन नहीं किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें-Delhi Doctors Promotion: अस्पतालों में कार्यरत 230 डॉक्टरों का प्रमोशन लंबित, LG को लिखा पत्र

यह भी पढ़ें-सफदरजंग अस्पताल के बाद दिल्ली एम्स में भी स्किन बैंक शुरू, बढ़ेगी जले हुए मरीजों के इलाज की सुविधा

स्वास्थ्य सेवा परियोजनाओं में लगातार हो रही देरी

नई दिल्ली: राजधानी में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिए अस्पतालों के निर्माण और मौजूदा सुविधाओं के विस्तार से जुड़ी कई परियोजनाओं में तीन साल से अधिक की देरी हो चुकी है. लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है. दिल्ली सरकार की योजना के अनुसार 18 अस्पतालों के निर्माण के साथ-साथ पुराने अस्पतालों में अतिरिक्त भवन तैयार कराए जा रहे हैं. इसमें रोहिणी की फोरेंसिक प्रयोगशाला निर्माण की समय सीमा कई बार बढ़ चुकी है.

इन कारणों से हुई देरी: इन अस्पतालों के निर्माण की कुल लागत 3,236 करोड़ रुपये है. इनके पूरे होने पर राज्य सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में 12,778 बेड जुड़ने की उम्मीद है. इस बारे में दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि, स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने निर्माण को प्रभावित करने वाले मामले पर चर्चा करने और समाधान खोजने के लिए डिपार्टमेंट के अधिकारियों और ईएचआई-पीडब्ल्यूडी की एक बैठक बुलाई है. पीडब्ल्यूडी विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, कई वित्तीय और प्रशासनिक कारणों से इन परियोजनाओं में देरी हुई है.

काम पूरा करने के लिए 600 करोड़ रुपये की जरूरत: हालांकि इनमें कई अस्पतालों में 80 प्रतिशत से अधिक काम हो चुका है. वहीं, हास्तसाल में बन रहे अस्पताल के निर्माण कार्य में सिर्फ 35 प्रतिशत की प्रगति हुई है. दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि धन की कमी देरी का सबसे बड़ा कारण है. हमें कुछ अस्पतालों को पूरा करने के लिए कम से कम 600 करोड़ रुपये की जरूरत है. इसी तरह लोकनायक अस्पताल में कैजुअल्टी ब्लॉक कम से कम तीन साल की देरी से अगस्त 2024 तक तैयार हो जाएगा. इसके अलावा एक और एडवांस पीडियाट्रिक ब्लॉक का काम भी एक साल की समय सीमा से आगे निकल गया है.

यह है देरी का कारण: सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इनमें से कई सुविधाओं का निर्माण कोविड के वर्षों के दौरान शुरू हुआ था, जिन्हें आईसीयू अस्पतालों के रूप में योजनाबद्ध किया गया. अब हमें एहसास हुआ है कि बहुत अधिक आईसीयू बिस्तरों की आवश्यकता नहीं है. इसलिए कुछ के डिजाइन बदल दिए गए हैं, जिससे कुछ देरी हुई है. इसके अलावा, कई अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं. इन नए अस्पतालों में पश्चिमी दिल्ली के ज्वालापुरी, मादीपुर और हस्तसाल में एक-एक अस्पताल शामिल है.

काम को लेकर आश्वस्त नहीं अधिकारी: पहले दो अस्पताल पिछले साल पूरा होना था. वहीं, हस्तसाल में एक महीने में अस्पताल चालू हो जाना था. लेकिन यहां 65 प्रतिशत काम अधूरा है. तीनों अस्पतालों में 3,000 बिस्तर की व्यवस्था हैं, जबकि ज्वालापुरी और मादीपुर अस्पतालों का काम भी पिछले साल पूरा हो जाना था. तीन अस्पताल पीतमपुरा में भगवान महावीर, राजपुरा रोड पर अरुणा आसफ अली और अशोक विहार में दीप चंद बंधु अस्पताल के निर्माण कार्य भी रुके हुए हैं. ये कब पूरे होंगे, इसको लेकर अधिकारी आश्वस्त नहीं हैं.

लोकनायक अस्पताल में बढ़ेंगी ये सुविधाएं: दिल्ली गेट स्थित लोकनायक अस्पताल में 22 मंजिला एडवांस पीडियाट्रिक ब्लॉक का निर्माण कार्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है. इसकी समय सीमा तीन मई को खत्म हो गई थी, जिसे बढ़ाकर अब तीन मई 2024 कर दिया गया है. इस इमारत के बनने से 1500 नए बेड पर चिकित्सा सेवाएं शुरू की जाएंगी. इसके अलावा, इसमें 300 आईसीयू बेड भी होंगे. इस ब्लॉक को एडवांस पीडियाट्रिक एंड मैटरनिटी ब्लॉक नाम दिया गया है. यह पूरी तरह से वातानुकूलित होगा. साथ ही देश में किसी भी अस्पताल की पहली 25 मंजिला इमारत होगी. इसके बनने के बाद अस्पताल की कुल क्षमता 3,800 बेड की हो जाएगी. इसमें दो तल पर आइसीयू, दो तल पर रिसर्च लैब और बाकी तल पर चिकित्सा वार्ड होंगे.

ओपीडी में देखे जाते हैं पांच हजार से ज्यादा मरीज: मौजूदा समय में लोकनायक अस्पताल की कुल क्षमता 2,010 बेड की है. कोरोना काल से पहले के सामान्य दिनों में अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन नौ हजार मरीजों को देखा जाता था और 200 से ज्यादा मरीजों के ऑपरेशन प्रतिदिन होते थे. मौजूदा समय में भी अस्पताल की ओपीडी में पांच हजार से अधिक मरीजों को देखा जाता है. इस बात से चिकित्सा सेवाओं में लोकनायक अस्पताल के योगदान का अंदाजा लगाया जा सकता है.

सुबह छह बजे से लग जाती है लाइन: लोकनायक अस्पताल में ओपीडी में दिखाने के लिए मरीज सुबह 6 बजे से ही आकर लाइन में लग जाते हैं, जिससे उनका ओपीडी कार्ड बन सके. सुबह 7.30 बजे से कार्ड बनने की प्रक्रिया शुरू होती है जो 11:30 बजे तक चलती है. इसके बाद कार्ड बनना बंद हो जाते हैं. लोगों को कार्ड बनवाने के लिए आधे- एक घंटे तक लाइन में लगना पड़ता है. जब यह नई इमारत बनकर तैयार हो जाएगी तो इधर भी मरीजों के देखने की सुविधा बढ़ेगी, डॉक्टर भी बढ़ेंगे तो मरीजों को डॉक्टर को ओपीडी में दिखाने में जो समय लगता है उसमें कमी आएगी. इससे लोगों की घंटों इंतजार करने की परेशानी दूर होगी.

कुल निर्माण परियोजनाएं- 18 अस्पताल
कुल लागत- 3,236 करोड़ रूपये
बढ़ने वाले बेड की संख्या- 12,778

अस्पताल बेडलागत (करोड़ में)पुरानी डेडलाइननई डेडलाइनप्रगति
लोकनायक 1570 488मई 23 मई 2472%
एसआरएचसी 773 221 अप्रैल 23अप्रैल 2540%
भगवान महावीर -- 140 सितंबर 21काम रुका25%
अंबेडकर 1063 107सितंबर 21फरवरी 2467%
अरुणा आसिफ अली151 37अगस्त 20काम रुका40%
दीप चंद बंधु 565 -- जून 20काम रुका50%
इंदिरा गांधी 1241 545फरवरी 17 जनवरी 23100%

नोट- स्टाफ की कमी के चलते पूरी इंदिरा गांधी अस्तपाल का पूरी क्षमता के साथ संचालन नहीं किया जा रहा है.

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Last Updated : Jul 1, 2023, 8:34 PM IST
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