नई दिल्ली: पिछले साल बेमौसम बारिश और ओला-वृष्टि की वजह से दिल्ली देहात के खेतों में लगे फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ा था. किसानों की फसलों के खराब हो जाने की वजह से उन्हें लाखों का नुकसान उठाना पड़ा था. इसके बाद से ही किसान लगातार उनके नुकसान के लिए दिल्ली सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे थे. दिल्ली सरकार ने भी किसानों के आर्थिक नुकसान को देखते हुए उसकी भरपाई और फिर से खेती-किसानी करने लायक बनाने के लिए आर्थिक मुआवजे की घोषणा की थी. मुआवजे की रकम को रिलीज किये जाने के बाद भी अब तक किसानों तक मुआवजा नहीं पहुंच पाया है.
इसी को लेकर भारतीय किसान यूनियन ने पिछले दिनों जाफरपुर कलां के रावता मोड़ स्थित यादव धर्मशाला में पंचायत का आयोजन किया था. जिसमें किसानों को मुआवजे में देरी के साथ DAP और यूरिया पर निजी दुकानदारों की ओर से किसानों से मनमर्जी के दाम वसूले जाने को लेकर चर्चा कर इसके लिए आगे की रणनीति तय की. इसी कड़ी में भारतीय किसान यूनियन दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष वीरेंद्र डागर और महासचिव दलजीत सिंह के नेतृत्व में दिल्ली देहात के किसान नजफगढ़ के एसडीएम ऑफिस पहुंचे. वहां उन्होंने एसडीएम को किसानों की समस्याओं से अवगत कराते हुए भारतीय किसान यूनियन की तरफ से एक ज्ञापन सौंपा.
भारतीय किसान यूनियन ने ज्ञापन में किसानों की समस्याओं का उल्लेख करते हुए लिखा कि दिल्ली सरकार की तरफ से किसानों को मुआवजे की रकम जारी किए जाने के बाद भी किसानों तक वो पैसा नहीं पहुंचा है. उनकी मांग है कि अब इसमें बिना विलंब किये, किसानों को दिल्ली सरकार कि जारी की गई आर्थिक सहायता तुरंत ही उपलब्ध करवाई जाए.
इसके अलावा उन्होंने डीएपी और यूरिया बेचने वाले निजी दुकानादारों द्वारा किसानों से मनमर्जी की कीमत वसूलने की चर्चा करते हुए मांग की है कि दिल्ली सरकार किसानों के लिए सरकारी खाद और बीज की दुकान खोलें, जिससे निजी दुकानादार उनका आर्थिक शोषण ना कर सके.
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उनका कहना है कि दिल्ली सरकार लोगों को फ्री बिजली की सुविधा देती है, लेकिन किसानों से ट्यूबवेल के मनमाने बिल वसूल रही है, जिससे किसानों की खेती की लागत काफी बढ़ जाए रही गई. इसलिए उनकी मांग है कि किसानों के हित को देखते हुए सरकार उनके ट्यूबवेल के बिल को माफ कर दे. साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले लगभग 5 वर्षों से म्यूटेशन रोके जाने पर किसानों को भारी समस्या हो रही है, जो जमीन भूमिहीन किसानों को दी थी, उन्हें उसका मालिकाना हक़ दिया जाए.
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