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आदिवासी बच्चों को मिलेगी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शिक्षा, NESTS ने लांच किया अमेजन फ्यूचर इंजीनियरिंग प्रोग्राम

NESTS launches Amazon Future Engineering Program: आदिवासी बच्चों की कंप्यूटर की शिक्षा देने के लिए विशेष पाठ्यक्रम लांच किया गया है. इसके तहत छात्रों को कंप्यूटर, एआई, ब्लॉक प्रोग्रामिंग जैसे विषय पढ़ाए जाएंगे. कार्यक्रम के तहत बच्चों को 20 घंटों की लर्निंग कराई जाएगी. अब तक 8000 से ज्यादा स्कूलों के बच्चों को इससे लाभ मिल चुका है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 25, 2023, 5:27 PM IST

Updated : Sep 25, 2023, 6:09 PM IST

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नई दिल्ली: देश की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जनजातीय मामलों के मंत्रालय की संस्था ने एक विशेष पाठ्यक्रम लॉन्च किया. नेशनल एजुकेशन सोसायटी फॉर ट्राईबल स्टूडेंट (एनईएसटीएस) ने सोमवार को अमेजन फ्यूचर इंजीनियरिंग प्रोग्राम के तहत इस पाठ्यक्रम को लॉन्च किया. इसके तहत छात्र कंप्यूटर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ब्लॉक प्रोग्रामिंग जैसे विषय की पढ़ाई कर सकेंगे. इसका मुख्य उद्देश्य दूरदराज इलाकों में स्थित स्कूलों में पढ़ने वाले आदिवासी छात्र-छात्राओं को कंप्यूटर के बारे में सिखाना है, जिनके क्षेत्र के छात्रों ने अभी तक कंप्यूटर देखा भी नहीं है. इसमें छठवीं कक्षा से ही कंप्यूटर पर कोडिंग की क्लास कर सकेंगे.

20 घंटों का होगा कुल पाठ्यक्रम: केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पाठ्यक्रम को लांच किया. उन्होंने कहा कि अमेजन फ्यूचर इंजीनियरिंग प्रोग्राम के तहत यह पाठ्यक्रम लॉन्च किया गया है. इसके द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बड़ी संख्या में आदिवासी छात्र-छात्राओं को टेक फ्रेंडी बनाया जाए. उन्हें रोजगार के मामले में भविष्य में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार किया जाए.

उन्होंने कहा कि 20 घंटे का यह पाठ्यक्रम बच्चों में डिजिटल एजुकेशन और कंप्यूटर शिक्षा के बारे में रुचि तो पैदा करने के साथ डिजिटल क्रांति के युग में उन्हें रोजगार दिलाने का भी है. पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद उन्हें आगे की कक्षाओं में अपग्रेडेड ट्रेनिंग दी जाएगी. यह पाठ्यक्रम देश के 54 एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल (ईएमआरएस) में पढ़ाया जाएगा.

इन प्रदेशों के स्कूलों में शुरू होगा पाठ्यक्रम
इन प्रदेशों के स्कूलों में शुरू होगा पाठ्यक्रम

8000 से अधिक स्कूलों में लागू होगा पाठ्यक्रम: इस पाठ्यक्रम में पहले इसमें सिर्फ कंप्यूटर शिक्षा शामिल थी और यह आठवीं क्लास तक के बच्चों को दी जाती थी. अब पाठ्यक्रम को अपग्रेड किया गया है, अब इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉक प्रोग्रामिंग, प्रोजेक्ट आधारित ट्रेनिंग, लूप प्रोग्रामिंग, म्यूजिक कंपोजिंग के लिए कोडिंग और प्रोग्रामिंग का इस्तेमाल, मौसम संबंधी प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए प्रोग्रामिंग, प्रोग्राम रोबोट, प्रोब्लम सॉल्विंग टेक्निक आदि विषय भी शामिल किए गए हैं. अब इसे नौवीं कक्षा के बच्चों को भी पढ़ाया जाएगा. आदिवासी छात्रों के लिए शुरू किए गए इस पाठ्यक्रम के बारे में अमेजन फ्यूचर इंजीनियर के इंडिया हेड अक्षय कश्यप ने बताया कि पिछले दो वर्ष में आठ राज्यों के 8,000 से अधिक सरकारी स्कूलों के 1.4 मिलियन छात्रों ने इस कार्यक्रम के तहत कंप्यूटर शिक्षा ली है.

प्रोजेक्ट से बच्चों की होती है लर्निंग: पाठ्यक्रम में बच्चों को उनके वातावरण के आसपास मौजूद चीजों और विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाता है. ताकि, उन्हें यह शिक्षा किताबी न लगे. कोर्स पूरा होने के बाद उन्हें उनके आसपास मौजूद समस्याओं और विषयों से संबंधित प्रोजेक्ट बनाने के लिए भी दिए जाते हैं. 12वीं पास करने के बाद बच्चों को विभिन्न कंपनियों में पेड इंटर्नशिप और जॉब के मौके भी मिलने की संभावना रहती है.

उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष शुरू किए गए पायलट चरण में कक्षा छह से आठ तक के 7,000 से अधिक छात्रों को कंप्यूटर विज्ञान और ब्लॉक प्रोग्रामिंग मॉड्यूल की ट्रेनिंग दी गई थी. छात्रों को लगातार बढ़ते तकनीकी परिदृश्य के लिए तैयार करने के लिए यह भी जरूरी है कि शिक्षक सही ज्ञान और संसाधनों से सुसज्जित हों. इसलिए 50 से अधिक शिक्षकों को भी क्षमता-निर्माण कार्यशाला और उसके बाद समय-समय पर प्रशिक्षित किया जाता है.

ये भी पढ़ें: अंतरराष्टीय व्यापार मेला में आधारशिला ने भी लगाए स्टॉल, बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने पर जोर

शिक्षकों को भी किया जा रहा प्रशिक्षित: मंत्रालय के सचिव अनिल कुमार झा ने कहा कि इस पाठ्यक्रम के जरिए छात्रों के अंदर लर्निंग आउटकम को बढ़ाया जाएगा, जिससे उन्हें भविष्य के तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में तैयार होने की दिशा मिलेगी. प्रोग्राम के तहत ऐसे शिक्षक भी तैयार किया जा रहे हैं, जो भाषा की बाध्यता से परे जाकर छात्रों को तकनीकी व डिजिटल एजुकेशन शिक्षा दे सकें. उन्होंने बताया कि यह प्रोग्राम सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद छात्र 12वीं तक की शिक्षा के लिए भी तकनीकी पाठ्यक्रम कर सकेंगे. इन सभी स्कूलों में पहले से ही लैब बनाई जा चुकी है और यहां पर बच्चे प्रैक्टिकल भी कर सकेंगे.

ये भी पढ़ें: दिल्ली हाईकोर्ट ने पोक्सो का केस किया रद्द, आरोपी के पिता 10 सरकारी स्कूल के टीचरों के लिए फ्री हेल्थ चेकअप शिविर लगाएंगे

नई दिल्ली: देश की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए जनजातीय मामलों के मंत्रालय की संस्था ने एक विशेष पाठ्यक्रम लॉन्च किया. नेशनल एजुकेशन सोसायटी फॉर ट्राईबल स्टूडेंट (एनईएसटीएस) ने सोमवार को अमेजन फ्यूचर इंजीनियरिंग प्रोग्राम के तहत इस पाठ्यक्रम को लॉन्च किया. इसके तहत छात्र कंप्यूटर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ब्लॉक प्रोग्रामिंग जैसे विषय की पढ़ाई कर सकेंगे. इसका मुख्य उद्देश्य दूरदराज इलाकों में स्थित स्कूलों में पढ़ने वाले आदिवासी छात्र-छात्राओं को कंप्यूटर के बारे में सिखाना है, जिनके क्षेत्र के छात्रों ने अभी तक कंप्यूटर देखा भी नहीं है. इसमें छठवीं कक्षा से ही कंप्यूटर पर कोडिंग की क्लास कर सकेंगे.

20 घंटों का होगा कुल पाठ्यक्रम: केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पाठ्यक्रम को लांच किया. उन्होंने कहा कि अमेजन फ्यूचर इंजीनियरिंग प्रोग्राम के तहत यह पाठ्यक्रम लॉन्च किया गया है. इसके द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बड़ी संख्या में आदिवासी छात्र-छात्राओं को टेक फ्रेंडी बनाया जाए. उन्हें रोजगार के मामले में भविष्य में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार किया जाए.

उन्होंने कहा कि 20 घंटे का यह पाठ्यक्रम बच्चों में डिजिटल एजुकेशन और कंप्यूटर शिक्षा के बारे में रुचि तो पैदा करने के साथ डिजिटल क्रांति के युग में उन्हें रोजगार दिलाने का भी है. पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद उन्हें आगे की कक्षाओं में अपग्रेडेड ट्रेनिंग दी जाएगी. यह पाठ्यक्रम देश के 54 एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल (ईएमआरएस) में पढ़ाया जाएगा.

इन प्रदेशों के स्कूलों में शुरू होगा पाठ्यक्रम
इन प्रदेशों के स्कूलों में शुरू होगा पाठ्यक्रम

8000 से अधिक स्कूलों में लागू होगा पाठ्यक्रम: इस पाठ्यक्रम में पहले इसमें सिर्फ कंप्यूटर शिक्षा शामिल थी और यह आठवीं क्लास तक के बच्चों को दी जाती थी. अब पाठ्यक्रम को अपग्रेड किया गया है, अब इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉक प्रोग्रामिंग, प्रोजेक्ट आधारित ट्रेनिंग, लूप प्रोग्रामिंग, म्यूजिक कंपोजिंग के लिए कोडिंग और प्रोग्रामिंग का इस्तेमाल, मौसम संबंधी प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए प्रोग्रामिंग, प्रोग्राम रोबोट, प्रोब्लम सॉल्विंग टेक्निक आदि विषय भी शामिल किए गए हैं. अब इसे नौवीं कक्षा के बच्चों को भी पढ़ाया जाएगा. आदिवासी छात्रों के लिए शुरू किए गए इस पाठ्यक्रम के बारे में अमेजन फ्यूचर इंजीनियर के इंडिया हेड अक्षय कश्यप ने बताया कि पिछले दो वर्ष में आठ राज्यों के 8,000 से अधिक सरकारी स्कूलों के 1.4 मिलियन छात्रों ने इस कार्यक्रम के तहत कंप्यूटर शिक्षा ली है.

प्रोजेक्ट से बच्चों की होती है लर्निंग: पाठ्यक्रम में बच्चों को उनके वातावरण के आसपास मौजूद चीजों और विषयों पर प्रशिक्षण दिया जाता है. ताकि, उन्हें यह शिक्षा किताबी न लगे. कोर्स पूरा होने के बाद उन्हें उनके आसपास मौजूद समस्याओं और विषयों से संबंधित प्रोजेक्ट बनाने के लिए भी दिए जाते हैं. 12वीं पास करने के बाद बच्चों को विभिन्न कंपनियों में पेड इंटर्नशिप और जॉब के मौके भी मिलने की संभावना रहती है.

उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष शुरू किए गए पायलट चरण में कक्षा छह से आठ तक के 7,000 से अधिक छात्रों को कंप्यूटर विज्ञान और ब्लॉक प्रोग्रामिंग मॉड्यूल की ट्रेनिंग दी गई थी. छात्रों को लगातार बढ़ते तकनीकी परिदृश्य के लिए तैयार करने के लिए यह भी जरूरी है कि शिक्षक सही ज्ञान और संसाधनों से सुसज्जित हों. इसलिए 50 से अधिक शिक्षकों को भी क्षमता-निर्माण कार्यशाला और उसके बाद समय-समय पर प्रशिक्षित किया जाता है.

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शिक्षकों को भी किया जा रहा प्रशिक्षित: मंत्रालय के सचिव अनिल कुमार झा ने कहा कि इस पाठ्यक्रम के जरिए छात्रों के अंदर लर्निंग आउटकम को बढ़ाया जाएगा, जिससे उन्हें भविष्य के तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में तैयार होने की दिशा मिलेगी. प्रोग्राम के तहत ऐसे शिक्षक भी तैयार किया जा रहे हैं, जो भाषा की बाध्यता से परे जाकर छात्रों को तकनीकी व डिजिटल एजुकेशन शिक्षा दे सकें. उन्होंने बताया कि यह प्रोग्राम सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद छात्र 12वीं तक की शिक्षा के लिए भी तकनीकी पाठ्यक्रम कर सकेंगे. इन सभी स्कूलों में पहले से ही लैब बनाई जा चुकी है और यहां पर बच्चे प्रैक्टिकल भी कर सकेंगे.

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Last Updated : Sep 25, 2023, 6:09 PM IST
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