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ई-सिगरेट पर नियम बनाने के लिए कैट ने स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को लिखा पत्र

ज्ञापन में कहा गया है कि तंबाकू एवं धूम्रपान दुनिया में रोग और मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है. हर साल तंबाकू के कारण 1.3 मिलियन से अधिक भारतीयों की मौत हो जाती है.

ई सिगरेट पर नियम बनाने के लिए डा. हर्षवर्धन को भेजा ज्ञापन etv bharat
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Published : Jul 17, 2019, 10:11 AM IST

Updated : Jul 17, 2019, 1:54 PM IST

नई दिल्ली: कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम यानी ई-सिगरेट के लिए उपयुक्त नियम बनाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को ज्ञापन भेजा है. इस ज्ञापन के जरिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का सुझाव दिया है. जो इस पर व्यापक अध्ययन कर नियम कानून बनाने की सिफारिश सरकार को करें.


इस सुझाव में कैट ने डॉक्टर हर्षवर्धन से आग्रह किया है कि धूम्रपान करने वालों की आयु सीमा 18 वर्ष से बढ़ाकर 25 वर्ष कर दी जाए. केंद्रीय मंत्री को भेजे अपने ज्ञापन में कैट ने कहा है कि सरकार ने कई तंबाकू नियंत्रण उपायों की शुरुआत की है. लेकिन इतने प्रयासों के बावजूद जिस दर पर धूम्रपान का प्रचलन बढ़ रहा है, वह अत्यंत विचारणीय है. दिल्ली में धूम्रपान का प्रचलन 11.3 प्रतिशत है. जो भारतीय औसत 10.7 प्रतिशत से अधिक है.

ई सिगरेट पर नियम बनाने के लिए डा. हर्षवर्धन को भेजा ज्ञापन

ज्ञापन में कहा गया है कि तंबाकू एवं धूम्रपान दुनिया में रोग और मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है. प्रत्येक वर्ष तंबाकू के कारण 1.3 मिलियन से अधिक भारतीय मर जाते हैं.

कैट ने कहा कि ई-सिगरेट जैसे और भी अन्य कम नुकसान के विकल्प सिगरेट के उपयोग को देश में कम कर सकते हैं. सिगरेट का धुआं धूम्रपान करने वालों को 400 से अधिक विषैले पदार्थों और 69 ज्ञात कार्सिनोजेंस पैदा करता है. वही ई-सिगरेट जो एक इलेक्ट्रॉनिक विकल्प है. इन विषाक्त पदार्थों और कैंसर पैदा करने वाले रसायनों का उत्सर्जन किए बिना उपयोगकर्ताओं को निकोटीन के समान मात्रा प्रदान करता है.

सिगरेट की तुलना में ई सिगरेट है कम हानिकारक

ज्ञापन में कहा गया है कि अनेक देशों में रिसर्च में यह बात सामने आई है कि ई-सिगरेट, सिगरेट की तुलना में 95 प्रतिशत कम हानिकारक है. इन उत्पादों का उपयोग यूके, कनाडा, न्यूजीलैंड जैसे विभिन्न देशों के तंबाकू नियंत्रण उपायों को मजबूत करने के लिए किया जा रहा है. इसलिए तंबाकू नियंत्रण को रोकने के लिए भारत में एक स्टडी कराई जाने की जरूरत है. कैट का मानना है कि ई-सिगरेट कम हानिकारक विकल्प है, इसलिए इस पर सरकार को ध्यान देकर इस तथ्य की जांच करनी चाहिए.

कैट ने डॉक्टर हर्षवर्धन से ही सिगरेट के सभी पहलुओं की समीक्षा करने का आग्रह किया है, जिसमें मौजूदा वैश्विक विनियमन प्रचलन सिगरेट की तुलना में ही सिगरेट का कम हानिकारक होना आदि शामिल होना चाहिए.


एक विशेषज्ञ समिति का गठन की वकालत करते हुए कैट ने कहा कि उसे नियामक मॉडल प्राप्त करने के लिए ई-सिगरेट सहित सभी अन्य विकल्पों आदि पर सभी संबंधित हितधारकों के विचारों को आमंत्रित करना चाहिए, जिससे तंबाकू बिक्री के हानि-लाभ को संतुलित किया जा सके.

नई दिल्ली: कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम यानी ई-सिगरेट के लिए उपयुक्त नियम बनाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को ज्ञापन भेजा है. इस ज्ञापन के जरिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का सुझाव दिया है. जो इस पर व्यापक अध्ययन कर नियम कानून बनाने की सिफारिश सरकार को करें.


इस सुझाव में कैट ने डॉक्टर हर्षवर्धन से आग्रह किया है कि धूम्रपान करने वालों की आयु सीमा 18 वर्ष से बढ़ाकर 25 वर्ष कर दी जाए. केंद्रीय मंत्री को भेजे अपने ज्ञापन में कैट ने कहा है कि सरकार ने कई तंबाकू नियंत्रण उपायों की शुरुआत की है. लेकिन इतने प्रयासों के बावजूद जिस दर पर धूम्रपान का प्रचलन बढ़ रहा है, वह अत्यंत विचारणीय है. दिल्ली में धूम्रपान का प्रचलन 11.3 प्रतिशत है. जो भारतीय औसत 10.7 प्रतिशत से अधिक है.

ई सिगरेट पर नियम बनाने के लिए डा. हर्षवर्धन को भेजा ज्ञापन

ज्ञापन में कहा गया है कि तंबाकू एवं धूम्रपान दुनिया में रोग और मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है. प्रत्येक वर्ष तंबाकू के कारण 1.3 मिलियन से अधिक भारतीय मर जाते हैं.

कैट ने कहा कि ई-सिगरेट जैसे और भी अन्य कम नुकसान के विकल्प सिगरेट के उपयोग को देश में कम कर सकते हैं. सिगरेट का धुआं धूम्रपान करने वालों को 400 से अधिक विषैले पदार्थों और 69 ज्ञात कार्सिनोजेंस पैदा करता है. वही ई-सिगरेट जो एक इलेक्ट्रॉनिक विकल्प है. इन विषाक्त पदार्थों और कैंसर पैदा करने वाले रसायनों का उत्सर्जन किए बिना उपयोगकर्ताओं को निकोटीन के समान मात्रा प्रदान करता है.

सिगरेट की तुलना में ई सिगरेट है कम हानिकारक

ज्ञापन में कहा गया है कि अनेक देशों में रिसर्च में यह बात सामने आई है कि ई-सिगरेट, सिगरेट की तुलना में 95 प्रतिशत कम हानिकारक है. इन उत्पादों का उपयोग यूके, कनाडा, न्यूजीलैंड जैसे विभिन्न देशों के तंबाकू नियंत्रण उपायों को मजबूत करने के लिए किया जा रहा है. इसलिए तंबाकू नियंत्रण को रोकने के लिए भारत में एक स्टडी कराई जाने की जरूरत है. कैट का मानना है कि ई-सिगरेट कम हानिकारक विकल्प है, इसलिए इस पर सरकार को ध्यान देकर इस तथ्य की जांच करनी चाहिए.

कैट ने डॉक्टर हर्षवर्धन से ही सिगरेट के सभी पहलुओं की समीक्षा करने का आग्रह किया है, जिसमें मौजूदा वैश्विक विनियमन प्रचलन सिगरेट की तुलना में ही सिगरेट का कम हानिकारक होना आदि शामिल होना चाहिए.


एक विशेषज्ञ समिति का गठन की वकालत करते हुए कैट ने कहा कि उसे नियामक मॉडल प्राप्त करने के लिए ई-सिगरेट सहित सभी अन्य विकल्पों आदि पर सभी संबंधित हितधारकों के विचारों को आमंत्रित करना चाहिए, जिससे तंबाकू बिक्री के हानि-लाभ को संतुलित किया जा सके.

Intro:केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को आज भेजे गए ज्ञापन में कौनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम यानी ई-सिगरेट के लिए उपयुक्त नियम बनाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का सुझाव दिया है, जो इस पर व्यापक अध्ययन कर नियम कानून बनाने की सिफारिश सरकार को करें.


Body:कैट ने डॉक्टर हर्षवर्धन से आग्रह किया है कि धूम्रपान करने वालों की आयु सीमा 18 वर्ष से बढ़ाकर 25 वर्ष की जाए.

केंद्रीय मंत्री को भेजे अपने ज्ञापन में कैट ने कहा है कि पिछले दशकों में सरकार ने कई तंबाकू नियंत्रण उपायों की शुरुआत की है. हालांकि, सभी प्रयासों के बावजूद जिस दर पर धूम्रपान का प्रचलन बढ़ रहा है वह अत्यंत विचारणीय है. दिल्ली में धूम्रपान का प्रचलन 11.3% है, जो भारतीय औसत 10.7% से अधिक है तंबाकू एवं धूम्रपान दुनिया में रोग और मृत्यु में सबसे बड़ा कारण है और प्रत्येक वर्ष तंबाकू के कारण 1.3 मिलियन से अधिक भारतीय मर जाते हैं.

कैट ने कहा कि ई-सिगरेट जैसे और भी अन्य कम नुकसान के विकल्प सिगरेट के उपयोग को देश में कम कर सकते हैं. सिगरेट का धुआं धूम्रपान करने वालों को 400 से अधिक विषैले पदार्थों और 69 ज्ञात कार्सिनोजेंस पैदा करता है, वही ई-सिगरेट जो एक इलेक्ट्रॉनिक विकल्प है इन विषाक्त पदार्थों और कैंसर पैदा करने वाले रसायनों का उत्सर्जन किए बिना उपयोगकर्ताओं को निकोटीन के समान मात्रा प्रदान करता है, अनेक देशों में रिसर्च में यह बात सामने आई है कि ई-सिगरेट वैश्विक तौर पर 95% हानिकारक है. इन उत्पादों का उपयोग यूके, कनाडा, न्यूजीलैंड आदि जैसे विभिन्न देशों के तंबाकू नियंत्रण उपायों को मजबूत करने के लिए किया जा रहा है इसलिए तंबाकू नियंत्रण हेतु भारत में इसी पर एक स्टडी कराई जाने की जरूरत है. कैट का मानना है कि ई-सिगरेट कम हानिकारक विकल्प है, इसलिए इस पर सरकार को ध्यान देकर इस तथ्य की जांच करनी चाहिए.

कैट ने डॉक्टर हर्षवर्धन से ही सिगरेट के सभी पहलुओं की समीक्षा करने का आग्रह किया है, जिसमें मौजूदा वैश्विक विनियमन प्रचलन सिगरेट की तुलना में ही सिगरेट का कम हानिकारक होना आदि शामिल होना चाहिए.


Conclusion:एक विशेषज्ञ समिति का गठन की वकालत करते हुए कैट ने कहा कि उसे नियामक मॉडल प्राप्त करने के लिए ई-सिगरेट सहित सभी अन्य विकल्पों आदि पर सभी संबंधित हितधारकों के विचारों को आमंत्रित करना चाहिए, जिससे तंबाकू बिक्री के हानि-लाभ को संतुलित किया जा सके.
Last Updated : Jul 17, 2019, 1:54 PM IST
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