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रैन बसेरे में रखा जा रहा कोरोना नियमों का ध्यान, देखिए ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट

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Published : Nov 23, 2020, 9:47 PM IST

शीतलहर की शुरुआत हो गई है. ग्रेटर नोएडा में प्राधिकरण के द्वारा बनाये गए रैन बसेरों में निराश्रित लोगों को क्या-क्या इंतजाम किए गए, दिन और रात में यहां कौन-कौन रहता है, क्या कोविड-19 के नियमों का ख्याल रखा गया, इन्हीं सब सवालों के साथ ईटीवी भारत ने पड़ताल की.

Ground report of rain shelter
रैन बसेरे की ग्राउंड रिपोर्ट

नई दिल्ली/नोएडा: ग्रेटर नोएडा और नोएडा समेत दिल्ली एनसीआर में शीतलहर के चलते सर्दी का तापमान बढ़ता जा रहा है. बढ़ती सर्दी को लेकर रैन बसेरे बनाए गए हैं. इसको रियलिटी चेक किया गया. ग्रेटर नोएडा में मात्र एक रेन बसेरा है. जिसको ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने बनाया है.

रैन बसेरे की ग्राउंड रिपोर्ट

कोविड-19 के तहत सभी नियमों का पालन किया गया है. गेट पर प्रवेश करते ही कॉविड के बचाव को लेकर नियमों का एक पोस्टर लगाया गया है. रैन बसेरे में केयरटेकर मौजूद था. मुसाफिरों के लिए गेट पर पहले थर्मल स्कैनिंग की जाती है. उसके बाद उनके हाथ सैनिटाइजर से धुलाये जाते हैं. जिनके पास मास्क नहीं होता. उन्हें मास्क दिए जाते हैं. उसके बाद ही उन्हें प्रवेश दिया जाता है.

दिन और रात्रि में दो अलग-अलग सुपरवाइजर रखते हैं निगरानी

रैन बसेरे पर प्राधिकरण के द्वारा दिन में आने जाने वालों के लिए अलग सुपरवाइजर रहता है, तो वहीं रात्रि में आने जाने वालों का ख्याल रखने ने के लिए दूसरे सुपरवाइजर की ड्यूटी लगाई जाती है. रैन बसेरे में आये किसी व्यक्ति का शरीर का तापमान अधिक होता है तो उसे अस्पताल भेजा जाता है. यहां सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ख्याल रखा गया है. वहीं यहां ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने मात्र 13 बिस्तर लगाए हैं.

इस रैन बसेरे में एक ही व्यक्ति आराम करता हुआ पाया गया. इतने बड़े क्षेत्र में सिर्फ एक ही रेन बसेरा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा बनाया गया है. ईटीवी भारत की टीम को ग्रेटर नोएडा में बना प्राधिकरण द्वारा बनाए गए रैन बसेरा रियलिटी चेक में सही पाया गया है.

नई दिल्ली/नोएडा: ग्रेटर नोएडा और नोएडा समेत दिल्ली एनसीआर में शीतलहर के चलते सर्दी का तापमान बढ़ता जा रहा है. बढ़ती सर्दी को लेकर रैन बसेरे बनाए गए हैं. इसको रियलिटी चेक किया गया. ग्रेटर नोएडा में मात्र एक रेन बसेरा है. जिसको ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने बनाया है.

रैन बसेरे की ग्राउंड रिपोर्ट

कोविड-19 के तहत सभी नियमों का पालन किया गया है. गेट पर प्रवेश करते ही कॉविड के बचाव को लेकर नियमों का एक पोस्टर लगाया गया है. रैन बसेरे में केयरटेकर मौजूद था. मुसाफिरों के लिए गेट पर पहले थर्मल स्कैनिंग की जाती है. उसके बाद उनके हाथ सैनिटाइजर से धुलाये जाते हैं. जिनके पास मास्क नहीं होता. उन्हें मास्क दिए जाते हैं. उसके बाद ही उन्हें प्रवेश दिया जाता है.

दिन और रात्रि में दो अलग-अलग सुपरवाइजर रखते हैं निगरानी

रैन बसेरे पर प्राधिकरण के द्वारा दिन में आने जाने वालों के लिए अलग सुपरवाइजर रहता है, तो वहीं रात्रि में आने जाने वालों का ख्याल रखने ने के लिए दूसरे सुपरवाइजर की ड्यूटी लगाई जाती है. रैन बसेरे में आये किसी व्यक्ति का शरीर का तापमान अधिक होता है तो उसे अस्पताल भेजा जाता है. यहां सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ख्याल रखा गया है. वहीं यहां ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने मात्र 13 बिस्तर लगाए हैं.

इस रैन बसेरे में एक ही व्यक्ति आराम करता हुआ पाया गया. इतने बड़े क्षेत्र में सिर्फ एक ही रेन बसेरा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा बनाया गया है. ईटीवी भारत की टीम को ग्रेटर नोएडा में बना प्राधिकरण द्वारा बनाए गए रैन बसेरा रियलिटी चेक में सही पाया गया है.

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