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गाजियाबाद में अपनी मांगों को लेकर अड़े किसान, बोले- फसल हमारी रेट तुम्हारा, अब नहीं चलेगा - भारतीय किसान यूनियन

गाजियाबाद में मंगलवार को भारतीय किसान यूनियन ने जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया. किसानों ने सरकार से अपनी समस्याओं को लेकर मांग की और उन्हें जल्द से जल्द सुलझाने के लिए जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भेजा है.

भारतीय किसान यूनियन ने जिला मुख्यालय पर किया प्रदर्शन
भारतीय किसान यूनियन ने जिला मुख्यालय पर किया प्रदर्शन
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Published : Feb 21, 2023, 3:56 PM IST

भारतीय किसान यूनियन ने जिला मुख्यालय पर किया प्रदर्शन

नई दिल्ली/गाजियाबाद: भारतीय किसान यूनियन के आह्वान पर मंगलवार को उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में किसान यूनियन जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. गाजियाबाद में भी जिला अध्यक्ष विजेंद्र यादव के नेतृत्व में किसान यूनियन ने प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया. इसके बाद किसानों ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भेजा है.

भारतीय किसान यूनियन के गाजियाबाद जिला अध्यक्ष विजेंद्र सिंह ने कहा कि लगातार गन्ने की खेती किसानों पर बोझ बनती जा रही है. डीजल और खाद के दाम तेजी के साथ बढ़ रहे हैं. जिस तरह से खेती का खर्च बढ़ा है. ठीक उसी तरह से गन्ने का भाव भी बढ़ना चाहिए, लेकिन उत्तर प्रदेश में ऐसा नहीं हो रहा है. प्रदेश सरकार किसानों की आय में इजाफा होने के लाख दावे कर रही है, लेकिन किसान के लिए खेती अभी भी घाटे का सौदा बनी हुई है. जिसकी वजह से किसान आत्महत्या की कगार पर पहुंच रहा है.

किसान को फसलों के दाम नहीं मिल रहे. बिजली-पानी में रियायत भी नहीं मिल रही. किसान का सहारा गन्ना है. उसका भुगतान भी नहीं हो पा रहा और ना ही उसके रेट किसान को मिल रहे. केवल किसान का गन्ना है, जो जीरो का रेट भरकर खरीद लिया जाता और बाद में जो चाहो रेट भर दो. इसके उलट सारे सामान का रेट बेचने वाला खुद लगाता है.

भाकियू जिलाध्यक्ष ने कहा कि फसलों को आवारा पशुओं ने तहस-नहस कर रखा है. सरकार आश्वासन देकर किसानों को ठगने का काम कर रही है. किसान आवाज उठाए तो उसे जेल में ठूंस दिया जाता है. मजबूरी में किसानों को आंदोलन की राह पकड़ने पर मजबूर होना पड़ता है. ये समय किसान का खेत में काम करने का है, लेकिन मजबूरी में उसे आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. इस बार भारतीय किसान यूनियन ने ठानी है कि सरकार ने मांगें न मानी तो लड़ाई आर-पार की होगी. किसान अपना हक लेकर ही मानेगा.

इसे भी पढ़ें: गाजियाबाद में 200 रुपए के लिए हुआ बवाल, जमकर हुई मारपीट

किसानों की मुख्य मांग:

  1. पिछले साल गन्ने का मूल्य चार सालों में मात्र 25 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा है. किसानों की मांग है कि कम से कम 500 रुपए क्विंटल गन्ने का भाव किया जाए और बकाया भुगतान तत्काल कराया जाए.
  2. प्रदेश में सबसे विकराल समस्या किसानों के सामने आवारा पशुओं को लेकर है. सरकार ग्राम पंचायत स्तर पर सरकारी परती की जमीनों पर पशुशालाएं बनाए, ताकि किसानों को खेती के अलावा जान-माल की सुरक्षा भी हो सके.
  3. किसानों की मांग है कि चुनाव के दौरान घोषणा पत्र में जो उनसे वादा किया गया था सरकार उसे पूरा करे.
  4. चुनाव घोषणा पत्र के मुताबिक किसानों को बिजली फ्री दी जाए. नलकूपों पर लगाए जाने वाली मीटर को तुरंत वापस लिया जाए.

इसे भी पढ़ें: Government recovered properties: सरकार ने शत्रु संपत्तियों के माध्यम से 3,400 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि अर्जित की

भारतीय किसान यूनियन ने जिला मुख्यालय पर किया प्रदर्शन

नई दिल्ली/गाजियाबाद: भारतीय किसान यूनियन के आह्वान पर मंगलवार को उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में किसान यूनियन जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. गाजियाबाद में भी जिला अध्यक्ष विजेंद्र यादव के नेतृत्व में किसान यूनियन ने प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया. इसके बाद किसानों ने जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भेजा है.

भारतीय किसान यूनियन के गाजियाबाद जिला अध्यक्ष विजेंद्र सिंह ने कहा कि लगातार गन्ने की खेती किसानों पर बोझ बनती जा रही है. डीजल और खाद के दाम तेजी के साथ बढ़ रहे हैं. जिस तरह से खेती का खर्च बढ़ा है. ठीक उसी तरह से गन्ने का भाव भी बढ़ना चाहिए, लेकिन उत्तर प्रदेश में ऐसा नहीं हो रहा है. प्रदेश सरकार किसानों की आय में इजाफा होने के लाख दावे कर रही है, लेकिन किसान के लिए खेती अभी भी घाटे का सौदा बनी हुई है. जिसकी वजह से किसान आत्महत्या की कगार पर पहुंच रहा है.

किसान को फसलों के दाम नहीं मिल रहे. बिजली-पानी में रियायत भी नहीं मिल रही. किसान का सहारा गन्ना है. उसका भुगतान भी नहीं हो पा रहा और ना ही उसके रेट किसान को मिल रहे. केवल किसान का गन्ना है, जो जीरो का रेट भरकर खरीद लिया जाता और बाद में जो चाहो रेट भर दो. इसके उलट सारे सामान का रेट बेचने वाला खुद लगाता है.

भाकियू जिलाध्यक्ष ने कहा कि फसलों को आवारा पशुओं ने तहस-नहस कर रखा है. सरकार आश्वासन देकर किसानों को ठगने का काम कर रही है. किसान आवाज उठाए तो उसे जेल में ठूंस दिया जाता है. मजबूरी में किसानों को आंदोलन की राह पकड़ने पर मजबूर होना पड़ता है. ये समय किसान का खेत में काम करने का है, लेकिन मजबूरी में उसे आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. इस बार भारतीय किसान यूनियन ने ठानी है कि सरकार ने मांगें न मानी तो लड़ाई आर-पार की होगी. किसान अपना हक लेकर ही मानेगा.

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किसानों की मुख्य मांग:

  1. पिछले साल गन्ने का मूल्य चार सालों में मात्र 25 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा है. किसानों की मांग है कि कम से कम 500 रुपए क्विंटल गन्ने का भाव किया जाए और बकाया भुगतान तत्काल कराया जाए.
  2. प्रदेश में सबसे विकराल समस्या किसानों के सामने आवारा पशुओं को लेकर है. सरकार ग्राम पंचायत स्तर पर सरकारी परती की जमीनों पर पशुशालाएं बनाए, ताकि किसानों को खेती के अलावा जान-माल की सुरक्षा भी हो सके.
  3. किसानों की मांग है कि चुनाव के दौरान घोषणा पत्र में जो उनसे वादा किया गया था सरकार उसे पूरा करे.
  4. चुनाव घोषणा पत्र के मुताबिक किसानों को बिजली फ्री दी जाए. नलकूपों पर लगाए जाने वाली मीटर को तुरंत वापस लिया जाए.

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