नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के आईपी एक्सटेंशन में गुरुवार को श्री बागेश्वर धाम सरकार की ओर से हनुमंत कथा का आयोजन किया गया. पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने दिल्ली-एनसीआर समेत आसपास के शहरों से आए हजारों लोगों को हनुमंत कथा सुनाई. कथा सुनने के लिए भाजपा सांसद मनोज तिवारी भी पहुंचे.
दिल्ली वालों की लीला अपरंपार: कथा शुरू करने से पहले धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि दिल्ली वालों का क्या कहना. आप लोगों की तो लीला ही अपरंपार है. देश के दूरदराज के लोग तो अक्सर यह कहते हैं कि ऐसी बात बोलो कि दिल्ली पहुंच जाए. आज हम दिल्ली में हैं. अब आप लोग भक्ति ऐसी करो कि आवाज परमात्मा के दिल में पहुंच जाए.
उन्होंने कहा कि दिल्ली वालों... अपने शरीर को इत्र से नहीं महकाओ. अगर महकाना है तो अपने चरित्र से जीवन को महकाओ. इत्र की खुशबू क्षणिक होती है. चरित्र उत्तम होगा तो वह सदियों तक लोगों को प्रेरणा देता रहेगा. भगवान श्रीराम जी और हनुमानजी जैसा उत्तम चरित्र आज तक किसी का नहीं हुआ है. वह आदिकाल से ही लोगों की प्रेरणा के स्रोत हैं. भगवान श्री राम और हनुमान जी की शरण में जाने से ही भक्तों का हर काम बन जाता है. हर कष्ट मिट जाता है. भक्तों को भगवान से कभी कुछ मांगने की आवश्यकता नहीं होती.
'मुफ्तखोरों' पर धीरेंद्र शास्त्री का तंज: कथा के बहाने श्री बागेश्वर धाम सरकार ने दिल्ली के लोगों को मुफ्तखोरी के प्रति भी आगाह किया. मुफ्तखोरी पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली में उनके एक परिचित हैं जिनका नाम है मुफ्तानंद. वह हर चीज मुफ्त में चाहते थे. कभी किसी चीज पर एक रुपया भी खर्च नहीं करना चाहते थे. एक बार दिल्ली में मुफ्त में कच्ची बर्फ बाटी जा रही थी. प्रत्येक व्यक्ति को तीन रुपए की बर्फ दी जानी थी. मुफ्त की बर्फ पाने के लिए हजारों लोगों की भीड़ जुटी और लंबी कतार लगी. मुफ्तानन्द ने 3 रुपए बर्फ पाने के लिए अपना 600 रुपए का कुर्ता और 40 रुपए की बनियान तक फड़वा ली.
घर आने पर जब पत्नी ने उन्हें मुफ्तखोरी का नतीजा समझाया तब भी वह नहीं समझे. बार-बार यही कहते रहे कि तुम्हें 640 रुपए का नुकसान दिख रहा है. लेकिन यह नहीं दिख रहा है कि मैं मुफ्त में कितनी ज्यादा बर्फ लेकर आया हूं. उन्होंने कहा कि भक्तों इस दुनिया में फ्री में कुछ भी नहीं मिलता है, इसलिए कभी भी फ्री के चक्कर में मत पड़ना. फ्री में अगर कुछ मिल सकता है तो वह ईश्वर की भक्ति है. इसके अलावा फ्री में कुछ भी नहीं मिलता है.
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