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साइबर अटैक से अभी तक नहीं उबर पाया AIIMS, एक्सपर्ट से जानें 7 सेफ्टी टिप्स

हाल में दिल्ली एम्स का सर्वर हैक होने के चलते इंटरनेट यूजर्स में अपने डाटा को हैक होने का डर बना हुआ है. अगर आपको भी अपना डाटा सुरक्षित रखना है तो जानिए साइबर एक्सपर्ट कामाक्षी शर्मा से अपना डाटा सुरक्षित रखने के उपाय.

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Published : Dec 6, 2022, 4:37 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली एम्स का सर्वर हैक होने के चलते दो हफ्तों से सभी डिजिटल कामकाज पूरी तरह से ठप हैं. सर्वर हैक होने के बाद अब एम्स में मैनुअल मोड पर काम चल रहा है. मरीजों की ओपीडी से लेकर मरीजों की भर्ती प्रक्रिया समेत लैब जांच और सभी कामकाज मैनुअली हो रहा है. लगातार सर्वर को ठीक करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन अभी तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है.

साइबर एक्सपर्ट कामाक्षी शर्मा बताती हैं कि किसी भी नेटवर्क को हैक होने से बचाने के लिए या सुरक्षित रखने के लिए ये कदम कारगर साबित हो सकते हैं...

  • बैकअप लेते वक्त हर फाइल स्कैन करनी जरूरी है. प्रत्येक फाइल को स्कैन करने से पता चल सकता है कि फाइल में वायरस तो नहीं है, जिससे कि एक सिस्टम में मौजूद वायरस की वजह से पूरा सिस्टम हैक होने से बचाया जा सके.
  • डाटा पॉलिसी और डाटा प्रोटेक्शन नियम का होना भी जरूरी है.
  • डिजिटल सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर की तरफ से यूजर्स को सिर्फ उतना एक्सेस दिया जाए जितने की जरूरत है.
  • समय-समय पर सिस्टम को अपग्रेड करना जरूरी है.
  • जो लोग डिजिटल डाटा या ईमेल आदि का इस्तेमाल करते हैं उन लोगों को मैलवेयर समेत वायरस के बारे में प्रशिक्षित करना बेहद आवश्यक है, जिससे उन्हें जानकारी हो कि ईमेल में भेजा गया लिंक वायरस हो सकता है.
  • नेटवर्क पर मौजूद सिस्टम जिनमें जरूरी गोपनीय जानकारियां हैं. उनका अलग नेटवर्क होना चाहिए.
  • डेटाबेस की परमिशन में फिल्टर और लेयर का लगाना भी बेहद जरूरी है, जिससे कोई भी अनधिकृत यूजर डाटा बेस में एक्सेस न कर सके.

ये भी पढ़ें: वेबसाइट की हैकिंग से बचने के लिए क्या करें, जानिए

बता दें, 23 नवंबर को करीब 11-12 घंटे तक एम्स का सर्वर डाउन रहा था, उसके बाद एम्स के सिक्योरिटी ऑफिसर की शिकायत पर केस दर्ज किया गया. एम्स दिल्‍ली के सर्वर पर देश की सभी बड़ी और नामचीन हस्तियों के मेडिकल रिकॉर्ड और अन्‍य जानकारियां हैं. इसमें राष्‍ट्रपति, प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और कई अन्‍य मंत्रियों का डेटा शामिल है. ऐसे में सर्वर पर मौजूद जानकारी काफी संवेदनशील मानी जा रही हैं. इसी वजह से जब हैकिंग की संभावना सामने आई तो तुरंत साइबर सेल को सूचित किया गया था.

AIIMS से लीक हुआ ये डेटा डार्कवेब के मैन डोमेन पर भी होने की आशंका है. डार्कवेब वर्ल्ड वाइड वेब का एक हिस्सा है, जहां हैक हुआ या अवैध डेटा उपलब्ध होता है. डार्क वेब पर हैक किए गए डेटा को अवैध रूप से बेचा और खरीदा भी जाता है. बताया जा रहा है कि डार्क वेब पर एम्स के डेटा को लेकर चर्चा और डील चल रही थी. इतना ही नहीं डार्क वेब पर एम्स का डेटा 1600 से ज्यादा बार सर्च किया गया. इनमें से कई यूजर्स नेताओं और सेलिब्रिटीज के डेटा को खरीदने का इंतजार भी कर रहे थे.

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नई दिल्ली: दिल्ली एम्स का सर्वर हैक होने के चलते दो हफ्तों से सभी डिजिटल कामकाज पूरी तरह से ठप हैं. सर्वर हैक होने के बाद अब एम्स में मैनुअल मोड पर काम चल रहा है. मरीजों की ओपीडी से लेकर मरीजों की भर्ती प्रक्रिया समेत लैब जांच और सभी कामकाज मैनुअली हो रहा है. लगातार सर्वर को ठीक करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन अभी तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है.

साइबर एक्सपर्ट कामाक्षी शर्मा बताती हैं कि किसी भी नेटवर्क को हैक होने से बचाने के लिए या सुरक्षित रखने के लिए ये कदम कारगर साबित हो सकते हैं...

  • बैकअप लेते वक्त हर फाइल स्कैन करनी जरूरी है. प्रत्येक फाइल को स्कैन करने से पता चल सकता है कि फाइल में वायरस तो नहीं है, जिससे कि एक सिस्टम में मौजूद वायरस की वजह से पूरा सिस्टम हैक होने से बचाया जा सके.
  • डाटा पॉलिसी और डाटा प्रोटेक्शन नियम का होना भी जरूरी है.
  • डिजिटल सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर की तरफ से यूजर्स को सिर्फ उतना एक्सेस दिया जाए जितने की जरूरत है.
  • समय-समय पर सिस्टम को अपग्रेड करना जरूरी है.
  • जो लोग डिजिटल डाटा या ईमेल आदि का इस्तेमाल करते हैं उन लोगों को मैलवेयर समेत वायरस के बारे में प्रशिक्षित करना बेहद आवश्यक है, जिससे उन्हें जानकारी हो कि ईमेल में भेजा गया लिंक वायरस हो सकता है.
  • नेटवर्क पर मौजूद सिस्टम जिनमें जरूरी गोपनीय जानकारियां हैं. उनका अलग नेटवर्क होना चाहिए.
  • डेटाबेस की परमिशन में फिल्टर और लेयर का लगाना भी बेहद जरूरी है, जिससे कोई भी अनधिकृत यूजर डाटा बेस में एक्सेस न कर सके.

ये भी पढ़ें: वेबसाइट की हैकिंग से बचने के लिए क्या करें, जानिए

बता दें, 23 नवंबर को करीब 11-12 घंटे तक एम्स का सर्वर डाउन रहा था, उसके बाद एम्स के सिक्योरिटी ऑफिसर की शिकायत पर केस दर्ज किया गया. एम्स दिल्‍ली के सर्वर पर देश की सभी बड़ी और नामचीन हस्तियों के मेडिकल रिकॉर्ड और अन्‍य जानकारियां हैं. इसमें राष्‍ट्रपति, प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और कई अन्‍य मंत्रियों का डेटा शामिल है. ऐसे में सर्वर पर मौजूद जानकारी काफी संवेदनशील मानी जा रही हैं. इसी वजह से जब हैकिंग की संभावना सामने आई तो तुरंत साइबर सेल को सूचित किया गया था.

AIIMS से लीक हुआ ये डेटा डार्कवेब के मैन डोमेन पर भी होने की आशंका है. डार्कवेब वर्ल्ड वाइड वेब का एक हिस्सा है, जहां हैक हुआ या अवैध डेटा उपलब्ध होता है. डार्क वेब पर हैक किए गए डेटा को अवैध रूप से बेचा और खरीदा भी जाता है. बताया जा रहा है कि डार्क वेब पर एम्स के डेटा को लेकर चर्चा और डील चल रही थी. इतना ही नहीं डार्क वेब पर एम्स का डेटा 1600 से ज्यादा बार सर्च किया गया. इनमें से कई यूजर्स नेताओं और सेलिब्रिटीज के डेटा को खरीदने का इंतजार भी कर रहे थे.

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