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पुरानी दिल्ली: 500 साल पुरानी बावली बुझा रही है हज़ारों लोगों की प्यास

पुरानी दिल्ली के मटिया महल इलाके की एक मस्जिद में एक बावली है जो यहां के लोगों की पिछले पांच दशकों से प्यास बुझा रहा है. बावली के बारे में विस्तार से जानने के लिए ईटीवी भारत ने गली मटिया महल में रह रहे अब्दुल मजीद से ख़ास बातचीत की.

'बावली वाली मस्जिद' etv bharat
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Published : Sep 2, 2019, 1:54 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली की शाही जामा मस्जिद से करीब 300 मीटर की दूरी पर गली मटिया महल में बावली वाली मस्जिद है. जिसमें करीब 500 साल पुरानी एक बावली है. पिछले 5 दशकों से यह बावली केवल मस्जिद ही नहीं बल्कि पूरे इलाके को पानी मुहैया करा रही है.

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पुरानी दिल्ली के मटिया महल इलाके में 'बावली वाली मस्जिद' है. मस्जिद का नाम 'बावली वाली मस्जिद' इसलिए रखा गया है क्योंकि मस्जिद के अंदर एक बावली मौजूद है.

'मुगल काल से पुरानी है बावली'
अब्दुल मजीद ने कहा कि यह बावली मुगल काल से ज्यादा पुरानी है, कहा जाता है कि दिल्ली की जामा मस्जिद के निर्माण से पहले यह बावली बनाई गई थी. उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज बताते थे कि इस इलाके में कई सौ साल पहले बंजारे आकर ठहरते थे, उसी जमाने की ये बावली है.

उन्होंने बताया कि जामा मस्जिद के निर्माण में इसी बावली के पानी का इस्तेमाल हुआ था. बावली के ऊपर कुआं हुआ करता था, लोग रस्सी से कुएं से पानी ऊपर खींचते थे, करीब 40 साल पहले बावली से पानी निकालने के लिए मोटर लगवा दी गई.

'बावली के पानी को ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं'
बता दें कि बावली में पानी के कई स्रोत हैं इसलिए बावली का जलस्तर कभी कम नहीं होता. खास बात यह है कि बावली के पानी को किसी तरह के ट्रीटमेंट की आवश्यकता नहीं है. बावली मटिया महल के कई हजार परिवारों की प्यास बुझाती है.

बावली काफी गहरी है जिसकी वजह से दरवाजा लगा कर बावली को बंद किया गया है. बावली में पानी करीब 80 फीट नीचे नजर आता है, अंदर से बावली गुम्बदनुमा आकार में बनी है. दिल्ली सरकार और नगर निगम बावली का विशेष ख्याल रखती है. हर वर्ष बावली को स्वच्छ रखने के लिए सरकार इस बावली में दवाई डालती है.

नई दिल्ली: दिल्ली की शाही जामा मस्जिद से करीब 300 मीटर की दूरी पर गली मटिया महल में बावली वाली मस्जिद है. जिसमें करीब 500 साल पुरानी एक बावली है. पिछले 5 दशकों से यह बावली केवल मस्जिद ही नहीं बल्कि पूरे इलाके को पानी मुहैया करा रही है.

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पुरानी दिल्ली के मटिया महल इलाके में 'बावली वाली मस्जिद' है. मस्जिद का नाम 'बावली वाली मस्जिद' इसलिए रखा गया है क्योंकि मस्जिद के अंदर एक बावली मौजूद है.

'मुगल काल से पुरानी है बावली'
अब्दुल मजीद ने कहा कि यह बावली मुगल काल से ज्यादा पुरानी है, कहा जाता है कि दिल्ली की जामा मस्जिद के निर्माण से पहले यह बावली बनाई गई थी. उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज बताते थे कि इस इलाके में कई सौ साल पहले बंजारे आकर ठहरते थे, उसी जमाने की ये बावली है.

उन्होंने बताया कि जामा मस्जिद के निर्माण में इसी बावली के पानी का इस्तेमाल हुआ था. बावली के ऊपर कुआं हुआ करता था, लोग रस्सी से कुएं से पानी ऊपर खींचते थे, करीब 40 साल पहले बावली से पानी निकालने के लिए मोटर लगवा दी गई.

'बावली के पानी को ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं'
बता दें कि बावली में पानी के कई स्रोत हैं इसलिए बावली का जलस्तर कभी कम नहीं होता. खास बात यह है कि बावली के पानी को किसी तरह के ट्रीटमेंट की आवश्यकता नहीं है. बावली मटिया महल के कई हजार परिवारों की प्यास बुझाती है.

बावली काफी गहरी है जिसकी वजह से दरवाजा लगा कर बावली को बंद किया गया है. बावली में पानी करीब 80 फीट नीचे नजर आता है, अंदर से बावली गुम्बदनुमा आकार में बनी है. दिल्ली सरकार और नगर निगम बावली का विशेष ख्याल रखती है. हर वर्ष बावली को स्वच्छ रखने के लिए सरकार इस बावली में दवाई डालती है.

Intro:दिल्ली की शाही जामा मस्जिद से करीब 500 मीटर की दूरी पर गली मटिया महल में बावली वाली मस्जिद हैं, जिसमें करीब 500 साल पुरानी बाओली है, पिछले 5 दशकों से यह बावली केवल मस्जिद ही नहीं बल्कि पूरे इलाके को पानी मुहैया करा रही है.


Body:पुरानी दिल्ली के मटिया महल इलाके में गली मटिया महल है, इसी गली में बाओली वाली मस्जिद है, मस्जिद का नाम बाओली वाली मस्जिद इसलिए रखा गया है क्योंकि मस्जिद के अंदर एक तरफ बावली मौजूद है.

बावली के बारे में विस्तार से जानने के लिए ईटीवी भारत ने गली मटिया महल में रह रहे अब्दुल मजीद से ख़ास बातचीत की.

अब्दुल मजीद ने कहा कि जैसा बताया जाता है यह बाओली मुगलकाल से ज्यादा पुरानी है, कहा जाता है की दिल्ली की जामा मस्जिद के निर्माण से पहले यह बाओली बनाई गई थी. उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज बताते थे कि इस इलाके में कई सौ साल पहले बंजारे आकर ठहरते थे, उसी जमाने की ये बाओली है.

उन्होंने बताया कि जामा मस्जिद के निर्माण में इसी बाओली के पानी का इस्तेमाल हुआ था. बाओली के ऊपर कुआं हुआ करता था, लोग रस्सी से कुए से पानी ऊपर खींचते थे, करीब 40 साल पहले बाओली से पानी निकालने के लिए मोटर लगवा दी गई.

बता दें कि बावली में पानी की कई स्रोते हैं इसलिए बावली का जलस्तर कभी कम नहीं होता है, खास बात यह है कि बाओली के पानी को किसी तरह के ट्रीटमेंट की आवश्यकता नहीं है. बावली मटिया महल के कई हजार परिवारों की प्यास बुझाती है.

बाओली काफी गहरी है जिसको देखते हुए दरवाजा लगा कर बावली को बंद किया गया है, बाओली में पानी करीब 80 फीट नीचे नजर आता है, अंदर से बाओली गुम्बदनुमा आकार में बनी है.

बता दे कि दिल्ली सरकार और नगर निगम द्वारा बावली का विशेष ख्याल रखा जाता है, हर वर्ष बबली को स्वच्छ रखने के लिए सरकार द्वारा दवाइयां डाली जाती हैं.


Conclusion:एक तरफ देश की राजधानी दिल्ली पानी की समस्या से जूझ रही है तो वहीं दूसरी तरफ बाओली मटिया महल इलाके के कई हजार घरों को 24 घंटे पानी मुहैया करा रही है.

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