नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लेना छात्रों का सपना होता है, वहीं 2019 के लिए दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इस बार डीयू अपने नियमों को लेकर काफी सख्ती अपनाता दिखाई दे रहा है, क्योंकि पिछले कई सालों में दस्तावेजों में फेर बदल के बहुत से मामले सामने आए हैं. जिस कारण प्रशासन को कड़ा रुख अपनाना पड़ रहा है.
विजय वर्मा ने दी जानकारी
इस पूरे मामले को लेकर डीयू दाखिला शिकायत प्रकोष्ठ के सदस्य डॉक्टर विजय वर्मा ने बताया कि छात्रों के दस्तावेजों को लेकर इस बार डीयू प्रशासन ने कई पुख्ता इंतजाम किए हैं. उन्होंने बताया कि दाखिला प्रक्रिया पूरी होने के बाद सभी छात्रों के ओरिजिनल दस्तावेज मंगाए जाएंगे. जिनकी फॉरेंसिक जांच कराई जाएगी. यदि इस जांच में किसी छात्र के दस्तावेज गलत पाए जाते हैं तो उसका दाखिला रद्द किया जाएगा. साथ ही उसे दी जा रही सहूलियत भी रद्द कर दी जाएगी. इसके अलावा प्रशासन के पास पूरी छूट होगी कि छात्र के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकें.
किए जा सकते है दाखिले रद्द
प्रोफेसर विजय का कहना है कि कई बार दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के लिए छात्र नकली दस्तावेज बनाकर जमा करा देते हैं. खासकर वो जिन्हें किसी भी प्रकार की सहूलियत होती है, जैसे जाति प्रमाण पत्र या अंक पत्र. वहीं प्रोफेसर विजय ने बताया कि दाखिला प्रक्रिया पूरी होने के बाद जब सभी छात्रों को कॉलेज अलॉट कर दिए जाएंगे, उसके बाद जितना जल्दी हो सके उनकी ओरिजिनल मार्कशीट मंगवाएंगे और फॉरेंसिक टीम की मदद से उनकी जांच की जाएगी.
छात्रों को करने होगें सभी ओरिजिनल दस्तावेज जमा
छात्रों का दाखिला पूरी तरह से प्रोविजन बेस पर होता है, इसलिए किसी भी परिस्थिति में और किसी भी समय गलत दस्तावेज पाए जाने पर कॉलेज प्रशासन और विश्वविद्यालय प्रशासन के पास पूरा अधिकार होता है कि वह छात्र का दाखिला रद्द कर सकता है. उन्होंने बताया कि दाखिले के समय छात्रों की मार्कशीट की केवल फिजिकल जांच की जा रही है. जिसके बाद उनके सभी ओरिजिनल दस्तावेज उन्हें वापस कर दिए जाएंगे, लेकिन जब दाखिला प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और छात्र कॉलेज में पढ़ने के लिए जाने लगेंगे, तब उन्हें कॉलेज प्रशासन द्वारा मांगने पर अपने सभी ओरिजिनल दस्तावेज जमा कराने होंगे. जिनकी फॉरेंसिक जांच की जाएगी.