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फिलहाल खेल पर ध्यान देना चाहता हूं, बायोपिक के लिए वक्त नहीं : नीरज चोपड़ा

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Published : Aug 9, 2021, 2:57 PM IST

टोक्यो ओलंपिक 2020 में गोल्ड मेडल जीतकर नीरज चोपड़ा ने पूरे देश को खुश कर दिया है. नीरज चोपड़ा ने भारत को एथलेटिक्स में पहला स्वर्ण पदक दिलाया है.

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नीरज चोपड़ा का साक्षात्कार

टोक्यो: नीरज चोपड़ा, जिन्होंने शनिवार को ओलंपिक में एथलेटिक्स में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया. अब अगले साल होने वाले एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और विश्व चैंपियनशिप पर नजरें गड़ाए हुए हैं.

नीरज चोपड़ा का कहना है, फिलहाल उनका ध्यान सिर्फ और सिर्फ खेल पर है. इसके बीच में बायोपिक या किसी अन्य चीज का कोई स्थान नहीं. स्टार भारतीय एथलीट के साथ एक साक्षात्कार के अंश:

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प्रश्न: भारत का पहला ट्रैक एंड फील्ड मेडलिस्ट बनना कैसा लगता है?

उत्तर: भारत के लिए ट्रैक एंड फील्ड में पहला मेडल जीतकर बहुत अच्छा लग रहा है, वो भी गोल्ड. यह बहुत ही शानदार शुरूआत रही है. इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता. वह बहुत गर्व का क्षण था, जब हमारे देश का राष्ट्रगान बज रहा था और मैं स्वर्ण पदक के साथ पोडियम पर खड़ा था. मुझे लगता है कि भारतीय एथलेटिक्स के लिए भविष्य बहुत अच्छा होगा.

प्रश्न: आपने अपना पदक मिल्खा सिंह को समर्पित किया, कोई खास वजह?

उत्तर: इसके पीछे वजह ये थी कि मैं मिल्खा सिंह के ढेर सारे वीडियो देखा करता था. उनका कहना था कि हमारे देश का कोई भी व्यक्ति, जो ओलंपिक में जाता था और पदक की दौड़ में एक छोटे से अंतर से पीछे रह जाता था, उसे जाना चाहिए और पदक प्राप्त करना चाहिए. जब राष्ट्रगान बजता है, तो ऐसा कुछ भी और नहीं होता. जब मैंने गोल्ड जीता और राष्ट्रगान बज रहा था तो मुझे ऐसा ही लगा.

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मैं दुखी था कि वह अब हमारे बीच नहीं हैं. लेकिन मेरे मन में उनकी लंबे समय से चली आ रही इच्छा मेरे द्वारा पूरी कर दी गई. वह जहां भी हैं, उनका सपना अब पूरा हो गया है. पीटी ऊषा मैम जैसे अन्य एथलीट, जो चौथे स्थान पर आए और पदक से चूक गए, वे बहुत खुश हुए होंगे. उनकी लंबी इच्छा पूरी हुई.

प्रश्न: शनिवार को फाइनल के दौरान, प्रत्येक थ्रो के बाद आपके दिमाग में क्या चल रहा था? आपको कब लगने लगा कि आप वाकई में गोल्ड मेडल जीत सकते हैं

उत्तर: जब फाइनल चल रहा था तो मेरे दिमाग में एक ही ख्याल था. वह यह था कि मुझे हर थ्रो पर अपना सर्वश्रेष्ठ देना होता है. शरीर ठीक था, मुझे लगा कि मैं आज अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूंगा. लेकिन हमारा खेल, भाला फेंक एक बहुत ही तकनीकी खेल है. छोटी सी भी समस्या हो तो दूरियों में फर्क पड़ता है. राष्ट्रीय रिकॉर्ड नहीं तोड़ने या अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोई चिंता नहीं है. लेकिन ओलंपिक में गोल्ड जीतने का अपना ही अलग ही मजा होता है. जब आखिरी थ्रो सभी के लिए किया गया तो मुझे लगा कि सोना मेरा है. क्योंकि उस समय तक (मेरा) ध्यान केवल फाइनल पर था.

प्रश्न: पिछले 3 साल का सफर कैसा रहा? आप चोट के कारण साल 2019 में नहीं खेल पाए और फिर महामारी की चपेट में आ गए. उन साल और उस समय आपके द्वारा किए गए प्रयासों को देखने के लिए अब कैसा महसूस होता है?

उत्तर: मुझे लगता है कि इस स्वर्ण पदक ने सब कुछ ठीक कर दिया है. साल 2019 में चोट के कारण और 2020 में कोरोना के कारण हुए नुकसान की इसने भरपाई कर दी है. ओलंपिक पदक, खासकर स्वर्ण, हर एथलीट का सपना होता है. मुझे लगता है कि जो समय बीच में आया, उससे मुझे कोई ऐतराज नहीं है. मैंने स्वर्ण पदक पाने के लिए जिस समय तक धीरज धराया, उससे मैं बेहद संतुष्ट महसूस कर रहा हूं.

यह भी पढ़ें: ओलंपिक पदक विजेताओं के लिए पुरस्कारों की घोषणा : उद्योग जगत

प्रश्न: शनिवार को होने वाले फाइनल से पहले आपके कोच क्लाउस बाटरेनिट्ज ने आपको क्या बताया? क्या आपने पहले किसी से बात की थी? आपका परिवार या दोस्त?

उत्तर: फाइनल से पहले, क्लाउस ने मुझे पहले थ्रो को बहुत अच्छी तरह से करने की कोशिश करने के लिए कहा था. ठीक वैसे ही जैसे मैंने क्वालीफिकेशन राउंड में किया था. मैंने अपने छोटे चाचा भीम चोपड़ा से बात की. मैंने अपने सीनियर जयवीर से भी बात की. मैं ज्यादा नहीं बोलता, बस छोटी-छोटी बातें करता हूं. मैंने जिस किसी से भी बात की, उसे लगा कि कुछ अच्छा होगा और मुझे पूरे मन से प्रतिस्पर्धा करने के लिए कहा. जब मैंने गोल्ड जीता तो सभी खुश हो गए.

प्रश्न: आप 2 साल से क्लाउस के साथ प्रशिक्षण ले रहे हैं. ओलंपिक पोडियम के शीर्ष पर आपकी यात्रा में उन्होंने कितनी भूमिका निभाई है?

उत्तर: मैं साल 2019 से क्लाउस के साथ प्रशिक्षण ले रहा हूं. उन्होंने मुझे पदक जीतने में बहुत योगदान दिया है. उनकी प्रशिक्षण योजना और तकनीक मुझे बहुत अच्छी लगती है. मैं साल 2018 में उवे के साथ था. मैंने अपनी ताकत सुधारने के लिए उनके साथ बहुत काम किया. तकनीकी पक्ष पर, हां, वह तकनीक को व्यक्त करने में थोड़ा अलग था. यह मेरे लिए थोड़ा अलग लगा.

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जब मैंने क्लॉस के साथ काम करना शुरू किया, तो तकनीक के माध्यम से बात करने का उनका तरीका मेरे अनुकूल था. हर कोच का काम करने का अपना तरीका होता है और आपको उनसे कुछ नया सीखने को मिलता है. मैं उवे सर को 'थैंक यू' कहना चाहता हूं. क्लाउस सर के लिए, उन्होंने मुझे पूरे समर्पण के साथ प्रशिक्षित किया और नतीजा सामने है.

प्रश्न: ओलंपिक पोडियम के शीर्ष पर खड़े होकर, राष्ट्रगान को सुनते हुए और जब राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया. वह कैसा अहसास था? आपके दिमाग में क्या चल रहा था?

उत्तर: ऐसा लगा कि जितनी भी मेहनत और बीच में बाधाएं आईं, स्वर्ण पदक, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान सुनकर मेरे मन से वे गायब हो गए. यह सब इसके लायक था. उन भावनाओं का वर्णन करने के लिए कोई शब्द नहीं हैं. उन्हें केवल महसूस किया जा सकता है. मुझे पता हैं यह कैसा लगता हैं.

प्रश्न: एथलीट नीरज चोपड़ा के लिए अब अगला लक्ष्य क्या है?

उत्तर: अब जब मैंने गोल्ड मेडल जीत लिया है, तो मैं घर पर अपने लोगों के साथ थोड़ा जश्न मनाऊंगा. अगर मैं अपनी ट्रेनिंग अच्छी तरह से करता हूं तो मैं इस साल कुछ प्रतियोगिताओं में जाऊंगा. नहीं तो मैं अगले साल कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स और वल्र्ड चैंपियनशिप पर फोकस करूंगा.

प्रश्न: सोशल मीडिया पर आपका काफी ध्यान आकर्षित हो रहा है और पिछले कुछ दिनों में आपके लाखों नए फॉलोअर्स हो गए हैं. सोशल मीडिया स्टार बन जाने के बाद अब आप इस नए अटेंशन को कैसे देखते हैं?

उत्तर: मैंने देखा कि सोशल मीडिया पर बहुत सारे फॉलोअर्स बढ़ गए हैं. खासकर ओलंपिक स्वर्ण पदक के बाद, क्योंकि सभी ने फाइनल देखा. यह अच्छा लगता है, क्योंकि कभी-कभी मैं व्यायाम, फेंकने और प्रतियोगिता के परिणामों से संबंधित ट्वीट पोस्ट करता हूं. बहुत अच्छा लग रहा है कि हर कोई मुझे अच्छी टिप्पणियों के साथ बधाई देता है. लेकिन मैं हमेशा खेल पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करता हूं. कभी-कभी मैं कुछ साझा करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करता हूं. आनंद की इन छोटी खुराकों की जरूरत है.

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प्रश्न: आपकी मां कहती हैं कि वह घर पर चूरमा के साथ इंतजार कर रही हैं. भारत लौटने पर आपकी क्या योजना है? आप अगले कुछ सप्ताह क्या करते हुए बिताना चाहेंगे?

उत्तर: मैं अपने घर जाऊंगा और चूरमा सहित मेरी मां द्वारा बनाई गई कुछ और भी चीजें खाऊंगा. मैं जिस उद्देश्य के लिए टोक्यो आया था, वह पूरा हो गया है. योजना भारत आने, घर का बना खाना खाने, अपने लोगों के साथ जश्न मनाने और फिर प्रशिक्षण शुरू करने की है.

प्रश्न: लोग कह रहे हैं कि आपको अपनी बायोपिक में खुद का रोल करना चाहिए! आप इसके बारे में क्या सोचते हैं, और यदि आप नहीं, तो आप किसे स्क्रीन पर खेलते देखना पसंद करेंगे?

उत्तर: मैं इसके बारे में ज्यादा नहीं सोचता. फिलहाल खेल पर ध्यान देना जरूरी है. जब मैं खेल छोड़ दूंगा, तब बायोपिक उपयुक्त होगी. क्योंकि अभी प्रयास बेहतर परिणाम प्राप्त करने और देश के लिए अधिक पदक जीतने का है, ताकि जीवन में नई कहानियां आ सकें. जब तक खेलों में मेरा कैरियर चल रहा है, मैं बायोपिक के बारे में नहीं सोच रहा हूं. मेरे रिटायर होने के बाद इसमें आने में कोई दिक्कत नहीं होगी.

टोक्यो: नीरज चोपड़ा, जिन्होंने शनिवार को ओलंपिक में एथलेटिक्स में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया. अब अगले साल होने वाले एशियाई खेलों, राष्ट्रमंडल खेलों और विश्व चैंपियनशिप पर नजरें गड़ाए हुए हैं.

नीरज चोपड़ा का कहना है, फिलहाल उनका ध्यान सिर्फ और सिर्फ खेल पर है. इसके बीच में बायोपिक या किसी अन्य चीज का कोई स्थान नहीं. स्टार भारतीय एथलीट के साथ एक साक्षात्कार के अंश:

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प्रश्न: भारत का पहला ट्रैक एंड फील्ड मेडलिस्ट बनना कैसा लगता है?

उत्तर: भारत के लिए ट्रैक एंड फील्ड में पहला मेडल जीतकर बहुत अच्छा लग रहा है, वो भी गोल्ड. यह बहुत ही शानदार शुरूआत रही है. इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता. वह बहुत गर्व का क्षण था, जब हमारे देश का राष्ट्रगान बज रहा था और मैं स्वर्ण पदक के साथ पोडियम पर खड़ा था. मुझे लगता है कि भारतीय एथलेटिक्स के लिए भविष्य बहुत अच्छा होगा.

प्रश्न: आपने अपना पदक मिल्खा सिंह को समर्पित किया, कोई खास वजह?

उत्तर: इसके पीछे वजह ये थी कि मैं मिल्खा सिंह के ढेर सारे वीडियो देखा करता था. उनका कहना था कि हमारे देश का कोई भी व्यक्ति, जो ओलंपिक में जाता था और पदक की दौड़ में एक छोटे से अंतर से पीछे रह जाता था, उसे जाना चाहिए और पदक प्राप्त करना चाहिए. जब राष्ट्रगान बजता है, तो ऐसा कुछ भी और नहीं होता. जब मैंने गोल्ड जीता और राष्ट्रगान बज रहा था तो मुझे ऐसा ही लगा.

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मैं दुखी था कि वह अब हमारे बीच नहीं हैं. लेकिन मेरे मन में उनकी लंबे समय से चली आ रही इच्छा मेरे द्वारा पूरी कर दी गई. वह जहां भी हैं, उनका सपना अब पूरा हो गया है. पीटी ऊषा मैम जैसे अन्य एथलीट, जो चौथे स्थान पर आए और पदक से चूक गए, वे बहुत खुश हुए होंगे. उनकी लंबी इच्छा पूरी हुई.

प्रश्न: शनिवार को फाइनल के दौरान, प्रत्येक थ्रो के बाद आपके दिमाग में क्या चल रहा था? आपको कब लगने लगा कि आप वाकई में गोल्ड मेडल जीत सकते हैं

उत्तर: जब फाइनल चल रहा था तो मेरे दिमाग में एक ही ख्याल था. वह यह था कि मुझे हर थ्रो पर अपना सर्वश्रेष्ठ देना होता है. शरीर ठीक था, मुझे लगा कि मैं आज अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूंगा. लेकिन हमारा खेल, भाला फेंक एक बहुत ही तकनीकी खेल है. छोटी सी भी समस्या हो तो दूरियों में फर्क पड़ता है. राष्ट्रीय रिकॉर्ड नहीं तोड़ने या अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोई चिंता नहीं है. लेकिन ओलंपिक में गोल्ड जीतने का अपना ही अलग ही मजा होता है. जब आखिरी थ्रो सभी के लिए किया गया तो मुझे लगा कि सोना मेरा है. क्योंकि उस समय तक (मेरा) ध्यान केवल फाइनल पर था.

प्रश्न: पिछले 3 साल का सफर कैसा रहा? आप चोट के कारण साल 2019 में नहीं खेल पाए और फिर महामारी की चपेट में आ गए. उन साल और उस समय आपके द्वारा किए गए प्रयासों को देखने के लिए अब कैसा महसूस होता है?

उत्तर: मुझे लगता है कि इस स्वर्ण पदक ने सब कुछ ठीक कर दिया है. साल 2019 में चोट के कारण और 2020 में कोरोना के कारण हुए नुकसान की इसने भरपाई कर दी है. ओलंपिक पदक, खासकर स्वर्ण, हर एथलीट का सपना होता है. मुझे लगता है कि जो समय बीच में आया, उससे मुझे कोई ऐतराज नहीं है. मैंने स्वर्ण पदक पाने के लिए जिस समय तक धीरज धराया, उससे मैं बेहद संतुष्ट महसूस कर रहा हूं.

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प्रश्न: शनिवार को होने वाले फाइनल से पहले आपके कोच क्लाउस बाटरेनिट्ज ने आपको क्या बताया? क्या आपने पहले किसी से बात की थी? आपका परिवार या दोस्त?

उत्तर: फाइनल से पहले, क्लाउस ने मुझे पहले थ्रो को बहुत अच्छी तरह से करने की कोशिश करने के लिए कहा था. ठीक वैसे ही जैसे मैंने क्वालीफिकेशन राउंड में किया था. मैंने अपने छोटे चाचा भीम चोपड़ा से बात की. मैंने अपने सीनियर जयवीर से भी बात की. मैं ज्यादा नहीं बोलता, बस छोटी-छोटी बातें करता हूं. मैंने जिस किसी से भी बात की, उसे लगा कि कुछ अच्छा होगा और मुझे पूरे मन से प्रतिस्पर्धा करने के लिए कहा. जब मैंने गोल्ड जीता तो सभी खुश हो गए.

प्रश्न: आप 2 साल से क्लाउस के साथ प्रशिक्षण ले रहे हैं. ओलंपिक पोडियम के शीर्ष पर आपकी यात्रा में उन्होंने कितनी भूमिका निभाई है?

उत्तर: मैं साल 2019 से क्लाउस के साथ प्रशिक्षण ले रहा हूं. उन्होंने मुझे पदक जीतने में बहुत योगदान दिया है. उनकी प्रशिक्षण योजना और तकनीक मुझे बहुत अच्छी लगती है. मैं साल 2018 में उवे के साथ था. मैंने अपनी ताकत सुधारने के लिए उनके साथ बहुत काम किया. तकनीकी पक्ष पर, हां, वह तकनीक को व्यक्त करने में थोड़ा अलग था. यह मेरे लिए थोड़ा अलग लगा.

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जब मैंने क्लॉस के साथ काम करना शुरू किया, तो तकनीक के माध्यम से बात करने का उनका तरीका मेरे अनुकूल था. हर कोच का काम करने का अपना तरीका होता है और आपको उनसे कुछ नया सीखने को मिलता है. मैं उवे सर को 'थैंक यू' कहना चाहता हूं. क्लाउस सर के लिए, उन्होंने मुझे पूरे समर्पण के साथ प्रशिक्षित किया और नतीजा सामने है.

प्रश्न: ओलंपिक पोडियम के शीर्ष पर खड़े होकर, राष्ट्रगान को सुनते हुए और जब राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया. वह कैसा अहसास था? आपके दिमाग में क्या चल रहा था?

उत्तर: ऐसा लगा कि जितनी भी मेहनत और बीच में बाधाएं आईं, स्वर्ण पदक, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान सुनकर मेरे मन से वे गायब हो गए. यह सब इसके लायक था. उन भावनाओं का वर्णन करने के लिए कोई शब्द नहीं हैं. उन्हें केवल महसूस किया जा सकता है. मुझे पता हैं यह कैसा लगता हैं.

प्रश्न: एथलीट नीरज चोपड़ा के लिए अब अगला लक्ष्य क्या है?

उत्तर: अब जब मैंने गोल्ड मेडल जीत लिया है, तो मैं घर पर अपने लोगों के साथ थोड़ा जश्न मनाऊंगा. अगर मैं अपनी ट्रेनिंग अच्छी तरह से करता हूं तो मैं इस साल कुछ प्रतियोगिताओं में जाऊंगा. नहीं तो मैं अगले साल कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स और वल्र्ड चैंपियनशिप पर फोकस करूंगा.

प्रश्न: सोशल मीडिया पर आपका काफी ध्यान आकर्षित हो रहा है और पिछले कुछ दिनों में आपके लाखों नए फॉलोअर्स हो गए हैं. सोशल मीडिया स्टार बन जाने के बाद अब आप इस नए अटेंशन को कैसे देखते हैं?

उत्तर: मैंने देखा कि सोशल मीडिया पर बहुत सारे फॉलोअर्स बढ़ गए हैं. खासकर ओलंपिक स्वर्ण पदक के बाद, क्योंकि सभी ने फाइनल देखा. यह अच्छा लगता है, क्योंकि कभी-कभी मैं व्यायाम, फेंकने और प्रतियोगिता के परिणामों से संबंधित ट्वीट पोस्ट करता हूं. बहुत अच्छा लग रहा है कि हर कोई मुझे अच्छी टिप्पणियों के साथ बधाई देता है. लेकिन मैं हमेशा खेल पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करता हूं. कभी-कभी मैं कुछ साझा करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करता हूं. आनंद की इन छोटी खुराकों की जरूरत है.

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प्रश्न: आपकी मां कहती हैं कि वह घर पर चूरमा के साथ इंतजार कर रही हैं. भारत लौटने पर आपकी क्या योजना है? आप अगले कुछ सप्ताह क्या करते हुए बिताना चाहेंगे?

उत्तर: मैं अपने घर जाऊंगा और चूरमा सहित मेरी मां द्वारा बनाई गई कुछ और भी चीजें खाऊंगा. मैं जिस उद्देश्य के लिए टोक्यो आया था, वह पूरा हो गया है. योजना भारत आने, घर का बना खाना खाने, अपने लोगों के साथ जश्न मनाने और फिर प्रशिक्षण शुरू करने की है.

प्रश्न: लोग कह रहे हैं कि आपको अपनी बायोपिक में खुद का रोल करना चाहिए! आप इसके बारे में क्या सोचते हैं, और यदि आप नहीं, तो आप किसे स्क्रीन पर खेलते देखना पसंद करेंगे?

उत्तर: मैं इसके बारे में ज्यादा नहीं सोचता. फिलहाल खेल पर ध्यान देना जरूरी है. जब मैं खेल छोड़ दूंगा, तब बायोपिक उपयुक्त होगी. क्योंकि अभी प्रयास बेहतर परिणाम प्राप्त करने और देश के लिए अधिक पदक जीतने का है, ताकि जीवन में नई कहानियां आ सकें. जब तक खेलों में मेरा कैरियर चल रहा है, मैं बायोपिक के बारे में नहीं सोच रहा हूं. मेरे रिटायर होने के बाद इसमें आने में कोई दिक्कत नहीं होगी.

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