नई दिल्ली: विजेंदर सिंह के ओलंपिक पदक ने भारत में विश्व स्तरीय मुक्केबाज तैयार करने की नींव रखी थी लेकिन यह मुक्केबाज 13 साल पहले बीजिंग में जीतने कांस्य पदक से आगे बढ़ गया है क्योंकि परिपक्व लोग ऐसा ही करते हैं.
मिडिलवेट मुक्केबाज विजेंदर ने एक मीडिया हाउस से बातचीत में कहा, "यही प्रगति है, जब आप एक पहचान छोड़ देते हो और नई चीजों को अपना लेते हो, उन चीजों को समझते हो तो एक समय कोई मायने नहीं रखती थी. यह समय और जिम्मेदारी के साथ होता है."
उन्होंने कहा, "जीवन रोजाना नया सबक सिखाता है."
टोक्यो ओलंपिक में अब तक सिर्फ एक महीने का समय बचा है और दुनिया भर में ओलंपिक दिवस का जश्न मनाया जा रहा है तब भारतीय खेलों के सबसे शानदार पलों में से एक को याद किया जा रहा है- मुक्केबाजी में देश का पहला ओलंपिक पदक.
तीन बार के ओलंपियन विजेंदर ने बीजिंग खेलों से पहले की तैयारियों को याद करते हुए कहा, "वे स्वर्णिम दिन थे. हम बेपरवाह थे, कोई जिम्मेदारी नहीं थी. हमारी ट्रेनिंग, खान-पान और कुछ दोस्त ही मायने रखते थे."
दो बार विफल रहने के बाद विजेंदर ने अंतिम क्वालीफाइंग स्पर्धा के जरिए ओलंपिक में जगह बनाई थी.
बीजिंग में अनुभवी अखिल कुमार के क्वार्टर फाइनल में हार जाने के बाद विजेंदर मुक्केबाजी में पदक की एकमात्र उम्मीद बची थी.
विजेंदर ने उम्मीदों पर खरा उतरते हुए धैर्य बरकरार रखा और क्वार्टर फाइनल में इक्वाडोर के कार्लोस गोंगोरा को हराकर इतिहास रच दिया.
उस समय यही उनकी दुनिया थी लेकिन एक दशक से अधिक समय के बाद वह सोशल मीडिया पर अपनी जानकारी देते हुए ओलंपियन शब्द का इस्तेमाल भी नहीं जबकि अधिकांश मौजूद और पूर्व खिलाड़ी ऐसा करते हैं.
उन्होंने कहा, "ओलंपिक मेरे लिए अच्छे रहे, बीजिंग में मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया, भाग्य से मैं कांस्य पदक जीतने में सफल रहा। मैं कहना चाहूंगा कि इससे भारतीय मुक्केबाजी को मदद मिली."
उन्होंने कहा, "लेकिन इसके बाद मैंने काफी चीजें आजमाई, मेरी शादी हो गई, बच्चे हैं, पेशेवर बन गया, राजनीति में भी भाग्य आजमाया. इसलिए मुझे नहीं लगता कि पीछे मुड़कर देखने का कोई मतलब है."
विजेंदर ने कहा, "एक पुरानी कहावत है हमारे यहां, अगर गिरना भी है तो आगे को गिरो, पीछे को नहीं. पीछे जाकर या पीछे गिरकर क्या फायदा."
इस बार भारत के नौ मुक्केबाजों ने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया है और पदक की संभावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "काफी मजबूत संभावना है। मैं एमेच्योर मुक्केबाजी पर करीबी नजर नहीं रखता क्योंकि मैं कहीं और भी व्यस्त हूं लेकिन मैंने जो भी देखा, सुना और पढ़ा है, उनके एक से अधिक पदक जीतने की संभावना है."
उन्होंने कहा, "अमित पंघाल बेहतरीन फॉर्म में है, विकास कृष्ण मजबूत लग रहा है और बेशक आपके पास मेरीकोम है. यह मजबूत टीम है और तोक्यो में उनके सभी मुकाबले नहीं भी देख पाया तो कुछ मुकाबले देखने की उम्मीद है."
कांग्रेस के टिकट पर 2019 लोकसभा चुनाव में दक्षिण दिल्ली से दावेदारी पेश करने वाले विजेंदर ने कहा, "इसके अलावा महिलाओं में सिमरनजीत कौर भी है. इतने सारे युवाओं को अपने पहले ओलंपिक में खेलते हुए देखना अच्छा है. मुझे यकीन है कि यह उनके लिए जीवन को बदलने वाला अनुभव होगा."
राजनीति में दिल टूटने के बावजूद विजेंदर ने कहा कि वह इसे नहीं छोड़ेंगे.
कोविड-19 महामारी का असर हर चीज पर दिख रहा है और फिलहाल विजेंदर के पेशेवर करियर पर भी विराम लगा हुआ है लेकिन इस मुक्केबाज को इस साल कम से कम एक मुकाबले में उतरने की उम्मीद है.
दुनिया भर में चीजों के सामान्य होने पर विजेंदर का एक सपना है जिसे वह एक दिन साकार करना चाहते हैं. उन्होंने कहा, "मैं एक दिन माउंट एवरेस्ट पर चढ़ना चाहता हूं. यह सपना है और मैंने अब तक इसे शुरू करने के लिए कुछ नहीं किया है लेकिन उम्मीद करता हूं कि एक दिन करूंगा. यह एक उपलब्धि होगी, क्या ऐसा नहीं है?"