नई दिल्ली: फेडरेशन कप की लंबी कूद स्पर्धा में 8.26 मीटर की छलांग लगाते हुए अपना राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ इस साल होने वाले टोक्यो ओलंपिक में स्थान पक्का करने वाले भारत के लंबी कूद एथलीट श्रीशंकर को सीजन खत्म होने तक 8.40 मीटर छलांग लगाने की उम्मीद है.
केरल के पलक्कड़ के रहने वाले 21 वर्षीय श्रीशंकर ने कम उम्र से ही खेल और एथलेटिक्स में भाग लिया. उनके माता और पिता ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मीटों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए जीत दिलाकर देश को गौरवान्वित किया है. अभिभावकों और चचेरे भाइयों सहित उनके परिवार के अधिकांश लोग विभिन्न खेलों में शामिल थे। लिहाजा, श्रीशंकर का ट्रैक और फील्ड में प्रवेश, कोई आश्चर्य की बात नहीं थी.
श्रीशंकर ने एक चैनल को बताया, "छोटी उम्र से ही मुझे खेलों में काफी दिलचस्पी थी. विशेष रूप से ट्रैक और फील्ड में क्योंकि, मेरे माता-पिता दोनों अंतरराष्ट्रीय एथलीट थे. मेरे परिवार के करीब-करीब सभी सदस्य इसी खेल या दूसरे खेलों से जुड़े हुए थे. मेरे चचेरे भाई टेनिस और बास्केटबॉल खिलाड़ी थे, इसलिए मेरा बचपन खेलों की दुनिया के इर्द-गिर्द गुजरा था. ऐसे में मेरा इसी क्षेत्र में जाना स्वभाविक था."
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उन्होंने करियर के रूप में लम्बी कूद को चुना, लेकिन शुरू में श्रीशंकर एक धावक थे और इसमें उन्हें जूनियर सर्किट में काफी सफलता भी मिली थी.
श्रीशंकर ने कहा, "मैं अपने पिता के साथ पास के मैदान में जाता और दौड़ लगाता था. किशोर आयु में मैंने धावक के रूप में शुरूआत की. इसमें मुझे जिला और राज्य स्तर पर स्वर्ण पदक जीतने में सफलता भी मिली. हालांकि, उस दौरान मैंने इसके लिए गंभीरता से प्रशिक्षण नहीं लिया था। यह मेरे लिए बस एक मजेदार खेल की तरह था."
उन्होंने कहा, "मैं धीरे-धीरे लंबी कूद में शिफ्ट हो गया क्योंकि मेरे पिता को मुझमें अच्छी छलांग लगाने की क्षमता के बारे में अहसास हो गया था. 10वीं कक्षा से मैंने लंबी कूद में गंभीरता से प्रशिक्षण लेना शुरू किया."
श्रीशंकर ने कहा, "उस समय मैंने कठोर प्रशिक्षण शुरू नहीं किया था. मेरे पिता ने मुझे धीरे-धीरे लंबी कूद में शुरूआत कराई. एक पेशेवर लम्बी कूद का एथलीट बनाने के लिए आवश्यक सभी बुनियादी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने मुझे सही तरह से तैयार किया. क्योंकि, मेरे पिता खुद लांग जम्पर थे और उन्होंने विदेशी कोचों के अधीन प्रशिक्षण लिया था. इसलिए, वो जानते थे कि किसी एथलीट को सही तरह से कैसे तैयार किया जाता है."
इस धैर्यपूर्ण दृष्टिकोण का परिणाम 8.26 मीटर की छलांग के रूप में मिला, जिसने उन्हें सीधे ओलंपिक में पहुंचा दिया और देश के प्रतिभाशाली खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया.
यह पहली बार नहीं है जब श्रीशंकर ने अपनी क्षमताओं से सभी को प्रभावित किया है. उन्होंने पहली बार सितंबर 2018 में भुवनेश्वर में राष्ट्रीय ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में लंबी कूद के राष्ट्रीय रिकॉर्ड को तोड़ा था. महज 19 साल की उम्र में 8.20 मीटर के साथ, उन्होंने अंडर-20 एथलीटों के सीजन की दुनिया में सबसे लम्बी छलांग लगाई थी.
श्रीशंकर ने कहा, "मुझे तकनीकी में बहुत सुधार करने की जरूरत है. यदि मैं इन्हें सही तरह से कर पाता हूं, तो मुझे पूरा यकीन है कि मैं सीजन के अंत तक करीब 8.40 मीटर की छलांग लगा सकता हूं. उम्मीद है कि मैं ओलंपिक खेलों में ऐसा करके देश के लिए पदक जीत सकता हूं.''
माता-पिता से तकनीकी सहायता के अलावा श्रीशंकर को उनके ओलंपिक सपने की लौ को तेज बनाए रखने में उनका मानसिक समर्थन भी महत्वपूर्ण रहा है.
श्रीशंकर ने कहा, "मेरे माता-पिता ने मेरे खेल करियर को लेकर कभी कोई नकारात्मक बात नहीं कही. दोनों अंतर्राष्ट्रीय एथलीट होने के कारण जानते थे कि कैसे एक एथलीट को विकसित करना है और इसके लिए मेरी मानसिकता तथा मेरी दिनचर्या कैसी होनी चाहिए."
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उन्होंने कहा, "मां मेरे लिए भोजन निर्धारित करती थी. मैं एक न्यूट्रिशियन के साथ भी काम कर रहा हूं. वो भी मेरे खाने को लेकर मां के साथ सम्पर्क में रहते थे और वो यह सुनिश्चित करते हैं कि मैं उनके द्वारा निर्धारित आहार का ही सेवन करूं. मेरे पिता जानते थे कि उच्च स्तर पर उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए किस तरह के कष्ट सहने और समर्पण की जरूरत होती है. दोनों का मेरे करियर में बहुत प्रभाव रहा है."
श्रीशंकर ने कहा, "यही हमारे कई एथलीटों की कमी है. यदि वे गैर खेल पृष्ठभूमि से आते हैं, तो उनके माता-पिता या रिश्तेदार परिस्थिति को सटीकता से नहीं समझ पाते. लेकिन, परिवार और माता-पिता के कारण मेरे लिए यह मामला पूरी तरह से अलग था."