चेन्नई: भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) ने अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (एआईसीएफ) को 10 लाख रुपये का फंड लौटाने को कहा है. साई ने कहा है कि एआईसीएफ ने इन पैसों के उपयोग के संबंध में जो कागज जमा किए थे, वो फर्जी थे.
साई ने 26 नवंबर को लिखे अपने पत्र में एआईसीएफ अध्यक्ष से इस मामले की जांच करने के लिए तीन सदस्यीय समिति की गठन करने को कहा है.
इसके अलावा साई ने एआईसीएफ से 2014 से अभी तक हुई सभी नेशनल चैंपियनशिप की जानकारी मांगी है, इसमें मेजबान ईकाई, साई द्वारा दिया फंड, और क्या साई का फंड राज्य शतरंज महासंघ के अलावा किसी तीसरे पक्ष को भेजा गया या नहीं, इसकी जानकारी भी मांगी है.
साई ने एआईसीएफ सचिव को लिखे पत्र में कहा है, "हमें मिली शिकायत के आधार पर, इस मामले की जांच की गई और इसी कारण चार्टड अकाउंटेंट अशरफुल इस्लाम से जवाब मांगा गया था क्योंकि उपयोग प्रमाण पत्र पर उन्हीं के हस्ताक्षर हैं.
अशरफुल ने अपने जवाब में लिखा है कि एआईसीएफ द्वारा जो पैसे के उपयोग को लेकर दस्तावेज जमा किए गए थे वो गलत थे और उन कागजों पर जो उनकी सील और हस्ताक्षर हैं वो गलत हैं, वो फर्जी हैं."
साई ने एआसीएफ से 29 नवंबर 2019 तक जवाब भेजने को कहा है.
एआईसीएफ के सचिव भरत सिंह चौहान ने मीडिया से कहा, "हमें ये जानकारी राज्य शतरंज महासंघों से मिली थी जिनको हमने फंड दिए थे और हमने उसे साई को दे दिया. हमारे पास अपने ही महासंघ के अधिकारियों पर भरोसा न करने का कोई कारण नहीं है. एआईसीएफ के खाते उसके मुख्यालय चेन्नई में संभाले जाते हैं. मैंने उनसे कहा है कि वे जवाब तैयार रखें."
उन्होंने कहा कि जिस नेशनल चैंपियनशिप की बात साई कर रही है वो बंगाल शतरंज संघ (बीसीए) ने आयोजित कराई थी. अशरफुल ने कहा, "मेरे हस्ताक्षर और सील फर्जी हैं. साई ने जब मुझसे संपर्क किया तो मैंने यही बात उनसे कही है."
इस विवाद पर बीसीए के सचिव अतानू लाहिड़ी ने मीडिया से कहा, "बीसीए के खाते और ऑडिट संबंधित मामले कोषाध्यक्ष द्वारा संभाले जाते हैं. मेरे पास बीसीए के अधिकारियों पर शक करने का कोई कारण नहीं है. जरूरी कागजों की रसीद के बाद ही ये एआईसीएफ को भेजे गए थे."