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ये कैसी मजबूरी! कभी रणजी प्लेयर रहे 'भगत' दाल पूड़ी बेचकर कर रहे गुजारा

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Published : Jul 6, 2021, 7:57 PM IST

असम के लिए रणजी खेलने वाले प्रकाश भगत अब अपना गुजारा करने के लिए दाल पूड़ी बेचने को मजबूर हैं. भगत असम के लिए विभिन्न राष्ट्रीय और स्टेट लेवल के टूर्नामेंट में हिस्सा ले चुके हैं.

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रणजी खेलने वाले प्रकाश भगत

सिलचर: असम के लिए अभी रणजी खेलने वाले प्रकाश भगत अब अपना गुजारा करने के लिए दाल पूड़ी बेचने को मजबूर हैं. भगत राज्य के लिए विभिन्न राष्ट्रीय और स्टेट लेवल के टूर्नामेंट में हिस्सा ले चुके हैं.

भगत ने कहा कि असम टीम के सदस्य के तौर पर उन्होंने साल 2009-10 में रणजी ट्रॉफी और साल 2010-11 में रेलवे तथा जम्मू-कश्मीर के खिलाफ खेले थे.

पूर्व क्रिकेटर ने साल 2003 में बेंगलुरु स्थित राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) में ट्रेनिंग ली थी.

यह भी पढ़ें: राजस्थान के धरतीपुत्र की बेटी का कमाल, पैदल चाल में टोक्यो ओलंपिक में लेंगी हिस्सा

भगत ने आईएएनएस से फोन पर कहा, एनसीए ट्रेनिंग के दौरान मैंने सौरभ गांगुली को गेंदबाजी की थी. उस समय मुझे सचिन तेंदुलकर, जहीर खान, हरभजन सिंह और वीरेंद्र सहवाग से मिलने का मौका मिला था.

उन्होंने कहा, मुझे अपने पिता के निधन के बाद साल 2011 में क्रिकेट छोड़ना पड़ा. मेरे पिता और बड़े भाई दीपक भगत चाट बेचते थे. पिता के निधन के बाद मेरे भाई भी बीमार पड़ गए.

दीपक शादीशुदा हैं और उनके दो छोटे बच्चे हैं. भगत ने कहा कि अगर असम क्रिकेट संघ (एसीए) या अन्य कोई संस्थान उनकी वित्तीय रुप से मदद करता है तो वह अपना क्रिकेट करियर शुरू कर सकेंगे.

यह भी पढ़ें: महिला फुटबॉल एशिया कप 2022 का मुंबई और पुणे में होगा आयोजन

भगत ने कहा, क्रिकेट छोड़ने के बाद मैंने परिवार चलाने के एक मोबाइल कंपनी में काम करना शुरू किया, लेकिन कोरोना के कारण लागू हुए लॉकडाउन में मैंने पिछले साल अपनी नौकरी खो दी.

पूर्व रणजी खिलाड़ी मनिमय रॉय ने कहा कि वित्तीय सहायता की कमी के कारण पूर्वोत्तर के ज्यादातर खिलाड़ियों खेल को छोड़ रहे हैं.

सिलचर: असम के लिए अभी रणजी खेलने वाले प्रकाश भगत अब अपना गुजारा करने के लिए दाल पूड़ी बेचने को मजबूर हैं. भगत राज्य के लिए विभिन्न राष्ट्रीय और स्टेट लेवल के टूर्नामेंट में हिस्सा ले चुके हैं.

भगत ने कहा कि असम टीम के सदस्य के तौर पर उन्होंने साल 2009-10 में रणजी ट्रॉफी और साल 2010-11 में रेलवे तथा जम्मू-कश्मीर के खिलाफ खेले थे.

पूर्व क्रिकेटर ने साल 2003 में बेंगलुरु स्थित राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) में ट्रेनिंग ली थी.

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भगत ने आईएएनएस से फोन पर कहा, एनसीए ट्रेनिंग के दौरान मैंने सौरभ गांगुली को गेंदबाजी की थी. उस समय मुझे सचिन तेंदुलकर, जहीर खान, हरभजन सिंह और वीरेंद्र सहवाग से मिलने का मौका मिला था.

उन्होंने कहा, मुझे अपने पिता के निधन के बाद साल 2011 में क्रिकेट छोड़ना पड़ा. मेरे पिता और बड़े भाई दीपक भगत चाट बेचते थे. पिता के निधन के बाद मेरे भाई भी बीमार पड़ गए.

दीपक शादीशुदा हैं और उनके दो छोटे बच्चे हैं. भगत ने कहा कि अगर असम क्रिकेट संघ (एसीए) या अन्य कोई संस्थान उनकी वित्तीय रुप से मदद करता है तो वह अपना क्रिकेट करियर शुरू कर सकेंगे.

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भगत ने कहा, क्रिकेट छोड़ने के बाद मैंने परिवार चलाने के एक मोबाइल कंपनी में काम करना शुरू किया, लेकिन कोरोना के कारण लागू हुए लॉकडाउन में मैंने पिछले साल अपनी नौकरी खो दी.

पूर्व रणजी खिलाड़ी मनिमय रॉय ने कहा कि वित्तीय सहायता की कमी के कारण पूर्वोत्तर के ज्यादातर खिलाड़ियों खेल को छोड़ रहे हैं.

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