नई दिल्ली: नरिंदर बत्रा पिछले ढाई साल से भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष हैं, लेकिन इसके एक उपाध्यक्ष ने अब उनके चुनाव पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह तत्कालीन संविधान के तहत चुनाव लड़ने के योग्य नहीं थे.
आईओए के उपाध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने अंतराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) को भेजे पत्र में आरोप लगाया कि बत्रा को देश के शीर्ष खेल निकाय के चुनाव लड़ने की अनुमति देने में कुछ चीजों पर पर्दा डाला गया.
मित्तल ने कहा कि बत्रा की पात्रता दो बार गलत थी, जिसमें 2017 में एफआईएच अध्यक्ष के रूप में भी उनकी स्थिति प्रभावित हुई. बत्रा के चुनाव की अवैधता पर मित्तल के आरोप ऐसे समय आये हैं जब आईओए के शीर्ष अधिकारियों के बीच मतभेद की खबरें सामने आई हैं.
मित्तल ने इससे पहले अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति को लिखे पत्र में दावा किया था कि बत्रा अवैध तरीके से आईओए के अध्यक्ष चुने गए थे.
बत्रा ने सोमवार को कहा कि वह अभी पृथकवास में हैं और इसके खत्म होने के बाद मित्तल के आरोपों का जवाब देंगे. मित्तल का मुख्य आरोप 2013 के आईओए के उस संविधान से जुड़ा है जो आईओसी द्वारा अनुमोदित. इसके मुताबिक अध्यक्ष पद के उम्मीदवार को पूर्ववर्ती कार्यकारी परिषद का सदस्य होना चाहिए और बत्रा इसके सदस्य नहीं रहे थे.
उन्होंने आरोप लगाया कि नामांकन दाखिल करने से दो दिन पहले संविधान की गलत तरीके से व्याख्या की गई. बत्रा 14 दिसंबर 2017 को अध्यक्ष चुने गए थे.
उन्होंने अपने पत्र में कहा, "यह बहुत स्पष्ट है. आईओए (29 नवंबर, 2017 की विशेष आम बैठक में) ने संविधान की व्याख्या को बदल कर पूर्ववर्ती (2014) कार्यकारी परिषद के बजाय किसी भी दो पूर्ववर्ती (2012 और 2014) कार्यकारी परिषद को शामिल कर दिया. यह बदलाव तीन लोगों के अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करने के बाद किया गया."
उन्होंने कहा, "साफ तरीके से कहूं तो बत्रा 27 नवंबर 2017 से पहले अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के पात्र नहीं थे."