नई दिल्ली: भारत की पैरालंपिक खिलाड़ी दीपा मलिक ने सोमवार को जब अपने संन्यास की घोषणा की तो यह महज औपचारिकता मात्र था, लेकिन फिर भी उनके लिए यह सफर काफी भावुक अनुभव रहा है. अपने 15 साल के करियर में उन्होंने कई यादगार पल हासिल किए, लेकिन अब उन्हें लगता है कि एक खेल प्रशासक के तौर पर उनका सफर और ज्यादा रोमांचक होगा.
दीपा ने एक न्यूज एजेंसी से कहा, "एक खिलाड़ी के तौर पर मेरे पास कई यादगार पल हैं, लेकिन मैं अभी भी उन लोगों में शामिल हूं जिनके साथ 15 साल पहले थी."
उन्होंने कहा, "इसलिए यह मेरे लिए एक ही सफर को बनाए रखने की बात है लेकिन एक अलग रोल में और मुझे लगता है कि यह ज्यादा रोमांचक होगा, क्योंकि मैं सिर्फ अपने निजी पदक के लिए काम नहीं करूंगी, यह भारत द्वारा कई सारे पदक जीतने के लिए की गई मेहनत होगी."
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दीपा इस समय भारतीय पैरालंपिक संघ (पीसीआई) की अध्यक्ष हैं जो खेल मंत्रालय से मान्यता हासिल करने के लिए जद्दोजहद कर रही है. उनका संन्यास की घोषणा करना इस प्रक्रिया की शुरुआत भी है.
उन्होंने कहा, "नई समिति के लिए हमारे चुनाव बीते सितंबर में हुए थे. उसी समय मैंने पीसीआई को अपने संन्यास को लेकर पत्र दे दिया था. इसके बाद मान्यता हासिल करने की प्रक्रिया में दिल्ली उच्च न्यायालय के आने के बाद से असमंजस शुरू हुई."
उन्होंने कहा, "अब दिल्ली उच्च न्यायालय ने चुनाव को वैध बताया है और नई समिति को कार्यभार संभालने की इजाजत दे दी है. चुनाव अधिकारी ने कहा था कि नई समिति कार्यभार संभाल सकती है और तभी जब हम यह करने वाले थे तब कोरोनावायरस आ गया."
उन्होंने कहा, "अब जबकि हम सारे कागजात खेल मंत्रालय को भेज रहे हैं तो मेरे लिए यह जरूरी है कि मैं अपने संन्यास की घोषणा सर्वाजनिक रूप से कर दूं. राष्ट्रीय खेल कोड के मुताबिक, मैं एक खिलाड़ी रहते हुए कोई आधिकारिक पद नहीं ले सकती. अंतरराष्ट्रीय पैरालम्पिक समिति (आईपीसी) में हालांकि ऐसा कोई नियम नहीं है और अभी तक यह ठीक था, लेकिन अब जबकि हम सरकार से मान्यता प्राप्त करने के लिए जोर दे रहे हैं तो हर चीज सही तरीके से होनी चाहिए."
इस वजह से अभी तक नहीं लिया था संन्यास
दीपा ने कहा कि उन्होंने अभी तक अपने संन्यास को सार्वजनिक इसलिए नहीं किया था, क्योंकि मान्यता मिलने को लेकर किसी तरह की स्पष्टता नहीं थी.

उन्होंने कहा, "मैंने घोषणा को इसलिए रोके रखा था कि मुझे नहीं पता था कि कोर्ट का आदेश किस तरफ जाएगा, लेकिन अब यह साफ हो गया है कि हमारी समिति वैध है और हम काम कर सकते हैं तो यह सार्वजनिक रूप से घोषणा करने का समय था। संन्यास का पत्र काफी पुरना है, लेकिन यह सरकार के पास आज गया है."
खेल मंत्रालय ने सोमवार को ही उन 54 राष्ट्रीय खेल महासंघों की सूची जारी की है जिन्हें मंत्रालय ने मान्यता दी है. इसमें पीसीआई का नाम नहीं है. दीपा को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में यह चीज बदलेगी.
उन्होंने कहा, "हम इसके लिए आज अपील कर रहे हैं. वे लोग कभी भी हमारे ऊपर से निलंबन हटा सकते हैं. वह कोर्ट के आदेश आने और सभी तरह की कागजी काम पूरे होने का भी इंतजार कर रहे हैं."
अपने करियर से संतुष्ट
मलिक ने कहा कि वह अपने करियर को काफी अच्छे से देखती हैं. उन्होंने कहा, "एक महिला जो दो बेटियों की मां है उसका खेल में आना, यह अपरंपरागत सफर था. मैं दिल्ली सिर्फ इसलिए आई थी. इसके लिए मैंने अपना रेस्टोरेंट व्यवसाय छोड़ा और हर कोई काफी उलझन में था कि ये 40 की उम्र में कर क्या रही है. ये अचानक से खिलाड़ी क्यों बनना चाहती है."
उन्होंने बताया, "एथलेटिक्स में मेरा असली सफर 2010 राष्ट्रमंडल खेलों से शुरू हुआ. मैं जब तक खेली मैंने अपने देश को 23 अंतरराष्ट्रीय पदक और अपने राज्य को राष्ट्रीय स्तर पर 68 स्वर्ण पदक दिए."
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उन्होंने कहा, "मैंने कभी अपनी अक्षमता, मेरी उम्र, सुविधाओं, फंड की कमी को लेकर बहाने नहीं बनाए। मैंने खेल जगत का लुत्फ उठाया और अपना सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश की. मैंने एशियाई खेलों और पैरालम्पिक में एथलेटिक्स में पदक जीते और मैं ऐसा करने वाली पहली महिला हूं.. इससे ज्यादा मैं क्या मांग सकती हूं."
वापसी की संभावनाओं जिंदा
मलिक ने हालांकि वापसी की संभावनाओं को भी जिंदा रखा है. उन्होंने कहा, "आप नहीं जानते, अगर मुझे लगा कि मैं एक खिलाड़ी के तौर पर बेहतर थी तो मैं 2022 एशियाई खेलों में वापसी कर सकती हूं."