नई दिल्ली : बत्रा ने मंगलवार को बेंगलुरू में एक कार्यक्रम के दौरान बात करते हुए कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों में प्रतिस्पर्धा का स्तर इतना ऊंचा नहीं होता और भारत को अपने मानकों को सुधारने के लिए इनसे हटने पर विचार करना चाहिए.
जी साथियान ने कहा ये स्वीकार्य नहीं
बत्रा ने 2022 राष्ट्रमंडल खेलों के कार्यक्रम से निशानेबाजी को हटाने के बाद बर्मिंघम का बहिष्कार करने को कहा था. भारत राष्ट्रमंडल खेलों में निशानेबाजी में काफी पदक जीतता है और वो इस खेल में कुल 134 पदक लेकर सभी देशों में दूसरे स्थान पर है. गोल्ड कोस्ट 2018 दो रजत और एक कांस्य जीतने वाले भारत के मौजूदा सबसे सफल टेबल टेनिस खिलाड़ी जी साथियान ने कहा, ‘‘ये स्वीकार्य नहीं है.’’
विजेंदर सिंह ने की तीखी आलोचना
निशानेबाजी जगत हालांकि बत्रा की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया करने से बचा लेकिन अन्य ने तीखी आलोचना की. मुक्केबाजी स्टार विजेंदर सिंह भारत के पहले और एकमात्र पुरूष ओलंपिक पदकधारी हैं, उन्होंने कहा, ‘‘ये काफी निराशाजनक है. इस लिहाज से देखो तो भारत को आमंत्रण टूर्नामेंट में भी अपनी टीमें नहीं भेजनी चाहिए क्योंकि टूर्नामेंट का स्तर ओलंपिक या विश्व चैम्पियनशिप जैसा नहीं है.’’
राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदकधारी शटलर पी कश्यप का बयान
उन्होंने कहा, ‘‘खिलाड़ियों की उपलब्धियों को कम क्यों आंको? किसी भी मामले में राष्ट्रमंडल खेलों में मुक्केबाजी में मजबूत देश खेलते हैं जैसे इंग्लैंड और आयरलैंड.’’
वर्ष 2014 ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदकधारी शटलर पी कश्यप ने कहा, ‘‘राष्ट्रमंडल खेलों के बहिष्कार की बात सोचना भी हास्यास्पद है। मुझे नहीं लगता कि इनका स्तर कम होता है. 2010 के चरण में जब मैंने कांस्य पदक जीता और फिर 2014 खेलों के दौरान मैंने जितने खिलाड़ियों को हराया, मुझे नहीं लगता कि यह आसान रहा था.’’
एथलेटिक्स के लिए राष्ट्रमंडल खेल विश्व स्तरीय खेल है
वहीं 2010 राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदकधारी चक्का फेंक एथलीट कृष्णा पूनिया ने कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों में एथलेटिक्स की स्पर्धा एशियाई खेलों से ज्यादा कठिन होती है जबकि आमतौर पर खेल जगत एशियाई खेलों को कठिन मानता है. उन्होंने कहा, ‘‘एथलेटिक्स के लिए राष्ट्रमंडल खेल विश्व स्तरीय खेल है, जिसमें स्पर्धा का स्तर एशियाई खेलों की तुलना में ऊंचा होता है.’’
राष्ट्रीय महासंघ के अधिकारी ने पूछा सवाल
एक ओलंपिक खेल के राष्ट्रीय महासंघ के अधिकारी ने पूछा कि क्या अगर निशानेबाजी को वापस इन खेलों में शामिल कर लिया जायेगा तो बत्रा इसे अच्छी स्पर्धा मानेंगे. अधिकारी ने कहा, ‘‘किसी को उनसे पूछना चाहिए कि क्या राष्ट्रमंडल खेलों की महत्ता फिर से बढ़ जायेगी, अगर निशानेबाजी को इसके कार्यक्रम में शामिल कर लिया जाएगा. हो सकता है कि फिर उनके विचार अलग हो जाए.’’
भारत के हटने से राष्ट्रमंडल खेल खत्म नहीं होंगे
उन्होंने कहा, ‘‘उन एथलीटों की मेहनत को कम क्यों आंका जाये जिन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में अपने पदक के लिए कड़ी मेहनत की है क्योंकि आप एक खेल के बाहर करने से खुश नहीं हो? अगर भारत इनसे हट जायेगा तो राष्ट्रमंडल खेल खत्म नहीं होंगे.’’
दो बार राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदकधारी भारोत्तोलक सतीश शिवालिंगम ने कहा, ‘‘मैं इस बहिष्कार के बिलकुल खिलाफ हूं। राष्ट्रमंडल खेल हमारे लिये बड़ा टूर्नामेंट है. राष्ट्रमंडल खेलों में अच्छे प्रदर्शन से काफी लाभ मिलता है जिसमें पद और धन शामिल है. हमारे लिये यह टूर्नामेंट अहम है.’’
पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान जफर इकबाल
पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान जफर इकबाल 1980 ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता टीम के सदस्य थे. वो बत्रा के बयान से हैरान थे. उन्होंने कहा, ‘‘ये हास्यास्पद बयान उस व्यक्ति से आया है जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल महासंघों में कई अहम पदों पर काबिज है. ’’
उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रमंडल खेल देशों की भागीदारी के लिहाज से ओलंपिक के बाद सबसे बड़ा टूर्नामेंट है. पिछले राष्ट्रमंडल खेलों में 72 देशों ने शिरकत की थी. अगर आप हाकी के बारे में बात करो तो सभी शीर्ष देश जैसे ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और ग्रेट ब्रिटेन इसमें खेलते हैं.’’
बृज भूषण शरण सिंह ने कहा
वहीं भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह ने कहा, ‘‘कुश्ती जगत की आम धारणा है कि खिलाड़ी भाग लेना चाहते हैं, भले ही टूर्नामेंट कोई भी हो.’’ टेबल टेनिस, स्क्वाश और तैराकी महासंघ का भी यही मानना है, जिन्होंने कहा कि वे सरकार और आईओए के फैसले का पालन करेंगे.
आईओए कोषाध्यक्ष आनंदेश्वर पांडे हालांकि इससे सहमत नहीं थे. उन्होंने कहा, ‘‘मेरे विचार से हर खेल, भले ही वह दक्षिण एशियाई खेल हों, एशियाई खेल हों, राष्ट्रमंडल खेल हों या फिर ओलंपिक हों. सबकी अपनी अहमियत है और हमारे कुछ खिलाड़ियों का भविष्य इनसे जुड़ा है.’’