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IOC ने कड़े शब्दों में नस्लवाद की निंदा की

ओलंपिक चार्टर के फंडामेंटल प्रिंसिपल 6 में लिखा है, "इस ओलंपिक चार्टर में निर्धारित अधिकारों और स्वतंत्रता का आनंद किसी भी प्रकार के भेदभाव के बिना सुरक्षित किया जाएगा, जिसमें जातिया, रंग, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक, राष्ट्रीय या सामाजिक मूल, संपत्ति, जन्म शामिल हैं."

IOC
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Published : Jun 11, 2020, 5:36 PM IST

लुसाने: अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ने कड़े शब्दों में नस्लवाद की निंदा करते हुए कहा है कि ये ओलंपिक खेलों के संस्थापक स्तंभों में से एक है और ये गैर-भेदभाव पर टिका है. जोकि ओलंपिक के चार्टर में दर्शाया गया है.

IOC
IOC कार्यालय

बता दें कि ओलंपिक चार्टर के फंडामेंटल प्रिंसिपल 6 में लिखा है, "इस ओलंपिक चार्टर में निर्धारित अधिकारों और स्वतंत्रता का आनंद किसी भी प्रकार के भेदभाव के बिना सुरक्षित किया जाएगा, जिसमें जातिया, रंग, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक, राष्ट्रीय या सामाजिक मूल, संपत्ति, जन्म शामिल हैं."

आईओसी के संस्थापक पियरे डी कूएबर्टिन ने कहा, "हमें तब तक शांति नहीं मिलेगी जब तक कि नस्लें अलग-अलग न हो जाती हैं. अब इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, सभी देशों के युवाओं को समय-समय पर मांसपेशियों के सौहार्दपूर्ण परीक्षणों के लिए एक साथ लाने से बेहतर साधन और क्या हो सकता है."

आईओसी ने एक बयान में कहा, "आईओसी कार्यकारी बोर्ड आईओसी एथलीटों के आयोग की पहल का समर्थन करता है ताकि ओलंपिक एथलीटों को ओलंपिक खेलों के समय ओलंपिक की भावना का सम्मान करते हुए ओलंपिक चार्टर में निहित सिद्धांतों के लिए अपना समर्थन व्यक्त कर सकें."

आईओसी का ये बयान अमेरिका में अश्वेत शख्स जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद कई जगह हो रहे विरोध प्रदर्शन के बाद आया है. 46 साल के जॉर्ज की 25 मई को पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी.

जिसके बाद कई खेल संस्थाओं ने इसका विरोध किया था. आईओसी से पहले इसकी पहल आईसीसी ने की थी जहां उन्होंने इंग्लैंड क्रिकेट टीम का एक वीडियो शेयर कियी था जिसमें नस्लवाद के खिलाफ आईसीसी ने अपना रूख साफ किया था.

लुसाने: अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ने कड़े शब्दों में नस्लवाद की निंदा करते हुए कहा है कि ये ओलंपिक खेलों के संस्थापक स्तंभों में से एक है और ये गैर-भेदभाव पर टिका है. जोकि ओलंपिक के चार्टर में दर्शाया गया है.

IOC
IOC कार्यालय

बता दें कि ओलंपिक चार्टर के फंडामेंटल प्रिंसिपल 6 में लिखा है, "इस ओलंपिक चार्टर में निर्धारित अधिकारों और स्वतंत्रता का आनंद किसी भी प्रकार के भेदभाव के बिना सुरक्षित किया जाएगा, जिसमें जातिया, रंग, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक, राष्ट्रीय या सामाजिक मूल, संपत्ति, जन्म शामिल हैं."

आईओसी के संस्थापक पियरे डी कूएबर्टिन ने कहा, "हमें तब तक शांति नहीं मिलेगी जब तक कि नस्लें अलग-अलग न हो जाती हैं. अब इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, सभी देशों के युवाओं को समय-समय पर मांसपेशियों के सौहार्दपूर्ण परीक्षणों के लिए एक साथ लाने से बेहतर साधन और क्या हो सकता है."

आईओसी ने एक बयान में कहा, "आईओसी कार्यकारी बोर्ड आईओसी एथलीटों के आयोग की पहल का समर्थन करता है ताकि ओलंपिक एथलीटों को ओलंपिक खेलों के समय ओलंपिक की भावना का सम्मान करते हुए ओलंपिक चार्टर में निहित सिद्धांतों के लिए अपना समर्थन व्यक्त कर सकें."

आईओसी का ये बयान अमेरिका में अश्वेत शख्स जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद कई जगह हो रहे विरोध प्रदर्शन के बाद आया है. 46 साल के जॉर्ज की 25 मई को पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी.

जिसके बाद कई खेल संस्थाओं ने इसका विरोध किया था. आईओसी से पहले इसकी पहल आईसीसी ने की थी जहां उन्होंने इंग्लैंड क्रिकेट टीम का एक वीडियो शेयर कियी था जिसमें नस्लवाद के खिलाफ आईसीसी ने अपना रूख साफ किया था.

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