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सुशील कुमार करेंगे राजनीतिक पारी की शुरूआत, जानिए किस पार्टी से लड़ेगे चुनाव - सुशील कुमार

ओलंपियन सुशील कुमार अब लोकसभा चुनाव 2019 में राजनीति के अखाड़े में दांव आजमाएंगे. कांग्रेस ने पश्चिमी दिल्ली की  लोकसभा सीट पर सुशील कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया है.

freestyle wrestler sushil kumar
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Published : Apr 20, 2019, 11:02 PM IST

नई दिल्ली : राजनीति में नौसिखिया सुशील ने खेल की दुनिया में बड़ा नाम कमाया है, जो फिलहाल इतिहास बन चुका है.ओलंपिक में इंडिविजुअल गेम की कैटेगरी में भारत ने कभी दो बार मेडल नहीं जीते हैं.ऐसा करने वाले पहलवान सुशील कुमार इकलौते भारतीय खिलाड़ी हैं.

सुशील कुमार की सामने होगी बड़ी चुनौती

पश्चिमी दिल्ली सीट से लड़ने जा रहे कांग्रेस के उम्मीदवार सुशील के सामने सबसे बड़ी चुनौती भाजपा प्रत्याशी प्रवेश वर्मा होंगे, जैसा कि संभावित है भाजपा से उन्हें ही टिकट मिलेगा.ऐसे 38 वर्षीय सुशील पहली बार कोई चुनाव लड़ रहे हैं और उनके खिलाफ पांच साल का सफल सांसद होगा.यह एक बड़ी चुनौती है.

सुशील कुमार और राहुल गांधी
सुशील कुमार और राहुल गांधी

यह भी पढे : एशियाई एथलेटिक्स: शीर्ष खिलाड़ियों की चोट के कारण भारतीय दल को कम पदक मिलने की उम्मीद


आपको बता दें कि कांग्रेस दिल्ली में अपनी राजनीतिक जमीन खो चुकी है, ऐसे में सुशील को पार्टी से टिकट दे कर कांग्रेस अपने पुराने मतदाताओं को वापस लाने के साथ युवा मतदाताओं को भी पार्टी में लाने की कोशिश करना चाहती हैं

विवादों में भी रहे हैं सुशील

पहलवान सुशील कुमार ने कामयाबी की बुलंदियों को छुआ है, लेकिन इसी के साथ वह विवादों में भी रहे हैं. रियो ओलंपिक 2016 के दौरान 74 किलोग्राम वर्ग में सुशील कुमार की जगह नरसिंह यादव को भेजने का फैसला लिया गया था. इसके बाद जमकर व‍िवाद हुआ था. दरअसल, नरसिंह विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर आए थे.

इसके बाद सुशील ने ट्रायल की मांग की थी. वहीं, नरसिंह इसके बाद डोपिंग में फंस गए थे. वहीं, कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स 2018 के लिए क्वालिफाई करने में नाकाम रहे पहलवान प्रवीण राणा और सुशील कुमार के समर्थकों में मारपीट हुई थी.तब भी उनका नाम विवाद में रहा था.

भारतीय पहलवान सुशील कुमार
भारतीय पहलवान सुशील कुमार

ओलंपिक में दो पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार ने वर्ष 2017 में राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप के पुरुषों के 74 किलोग्राम फ्रीस्टाइल प्रतियोगिता में क्वार्टरफाइनल, सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबले खेले बिना ही स्वर्ण पदक अपने नाम किया था. दरअसल, तीनों अहम मुकाबलों में प्रतिद्वंद्वी पहलवानों ने सम्मान देते हुए लड़ने से मना कर दिया था.एक पहलवान ने तो पैर छूकर मैदान छोड़ दिया था.

आपको बता दें कि पहलवानी की दुनिया में अपने दांव से दुनिया के धुरंधरों को चित करने वाले सुशील ने सिर्फ 14 वर्ष की उम्र से दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में पहलवानी सीखनी शुरू कर दी थी. करियर में कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते हुए सुशील कुमार ने 66 किलो ग्राम में वर्ष 2010 वर्ल्ड टाइटल जीता था. इसके बाद सुशील ने वर्ष 2012 के लंदन ओलंपिक्स में सिल्वर मेडल और फिर 2008 में बीजिंग ओलंपिक्स ब्रोंज मेडल अपने नाम किया.सुशील कुमार को जुलाई 2009 में राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा जा चुका है.

नई दिल्ली : राजनीति में नौसिखिया सुशील ने खेल की दुनिया में बड़ा नाम कमाया है, जो फिलहाल इतिहास बन चुका है.ओलंपिक में इंडिविजुअल गेम की कैटेगरी में भारत ने कभी दो बार मेडल नहीं जीते हैं.ऐसा करने वाले पहलवान सुशील कुमार इकलौते भारतीय खिलाड़ी हैं.

सुशील कुमार की सामने होगी बड़ी चुनौती

पश्चिमी दिल्ली सीट से लड़ने जा रहे कांग्रेस के उम्मीदवार सुशील के सामने सबसे बड़ी चुनौती भाजपा प्रत्याशी प्रवेश वर्मा होंगे, जैसा कि संभावित है भाजपा से उन्हें ही टिकट मिलेगा.ऐसे 38 वर्षीय सुशील पहली बार कोई चुनाव लड़ रहे हैं और उनके खिलाफ पांच साल का सफल सांसद होगा.यह एक बड़ी चुनौती है.

सुशील कुमार और राहुल गांधी
सुशील कुमार और राहुल गांधी

यह भी पढे : एशियाई एथलेटिक्स: शीर्ष खिलाड़ियों की चोट के कारण भारतीय दल को कम पदक मिलने की उम्मीद


आपको बता दें कि कांग्रेस दिल्ली में अपनी राजनीतिक जमीन खो चुकी है, ऐसे में सुशील को पार्टी से टिकट दे कर कांग्रेस अपने पुराने मतदाताओं को वापस लाने के साथ युवा मतदाताओं को भी पार्टी में लाने की कोशिश करना चाहती हैं

विवादों में भी रहे हैं सुशील

पहलवान सुशील कुमार ने कामयाबी की बुलंदियों को छुआ है, लेकिन इसी के साथ वह विवादों में भी रहे हैं. रियो ओलंपिक 2016 के दौरान 74 किलोग्राम वर्ग में सुशील कुमार की जगह नरसिंह यादव को भेजने का फैसला लिया गया था. इसके बाद जमकर व‍िवाद हुआ था. दरअसल, नरसिंह विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर आए थे.

इसके बाद सुशील ने ट्रायल की मांग की थी. वहीं, नरसिंह इसके बाद डोपिंग में फंस गए थे. वहीं, कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स 2018 के लिए क्वालिफाई करने में नाकाम रहे पहलवान प्रवीण राणा और सुशील कुमार के समर्थकों में मारपीट हुई थी.तब भी उनका नाम विवाद में रहा था.

भारतीय पहलवान सुशील कुमार
भारतीय पहलवान सुशील कुमार

ओलंपिक में दो पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार ने वर्ष 2017 में राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप के पुरुषों के 74 किलोग्राम फ्रीस्टाइल प्रतियोगिता में क्वार्टरफाइनल, सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबले खेले बिना ही स्वर्ण पदक अपने नाम किया था. दरअसल, तीनों अहम मुकाबलों में प्रतिद्वंद्वी पहलवानों ने सम्मान देते हुए लड़ने से मना कर दिया था.एक पहलवान ने तो पैर छूकर मैदान छोड़ दिया था.

आपको बता दें कि पहलवानी की दुनिया में अपने दांव से दुनिया के धुरंधरों को चित करने वाले सुशील ने सिर्फ 14 वर्ष की उम्र से दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में पहलवानी सीखनी शुरू कर दी थी. करियर में कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते हुए सुशील कुमार ने 66 किलो ग्राम में वर्ष 2010 वर्ल्ड टाइटल जीता था. इसके बाद सुशील ने वर्ष 2012 के लंदन ओलंपिक्स में सिल्वर मेडल और फिर 2008 में बीजिंग ओलंपिक्स ब्रोंज मेडल अपने नाम किया.सुशील कुमार को जुलाई 2009 में राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा जा चुका है.

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सुशील कुमार करेंगे राजनीतिक पारी की शुरूआत, जानिए किस पार्टी से लड़ेगे चुनाव



ओलंपियन सुशील कुमार अब लोकसभा चुनाव 2019 में राजनीति के अखाड़े में दांव आजमाएंगे. कांग्रेस ने पश्चिमी दिल्ली की  लोकसभा सीट पर सुशील कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया है.



नई दिल्ली : राजनीति में नौसिखिया सुशील ने खेल की दुनिया में बड़ा नाम कमाया है, जो फिलहाल इतिहास बन चुका है.ओलंपिक में इंडिविजुअल गेम की कैटेगरी में भारत ने कभी दो बार मेडल नहीं जीते हैं.ऐसा करने वाले पहलवान सुशील कुमार इकलौते भारतीय खिलाड़ी हैं.



सुशील कुमार की सामने होगी बड़ी चुनौती

पश्चिमी दिल्ली सीट से लड़ने जा रहे कांग्रेस के उम्मीदवार सुशील के सामने सबसे बड़ी चुनौती भाजपा प्रत्याशी प्रवेश वर्मा होंगे, जैसा कि संभावित है भाजपा से उन्हें ही टिकट मिलेगा.ऐसे 38 वर्षीय सुशील पहली बार कोई चुनाव लड़ रहे हैं और उनके खिलाफ पांच साल का सफल सांसद होगा.यह एक बड़ी चुनौती है.

 आपको बता दें कि कांग्रेस दिल्ली में अपनी राजनीतिक जमीन खो चुकी है, ऐसे में सुशील को पार्टी से टिकट दे कर कांग्रेस अपने पुराने मतदाताओं को वापस लाने के साथ युवा मतदाताओं को भी पार्टी में लाने की कोशिश करना चाहती हैं

विवादों में भी रहे हैं सुशील

पहलवान सुशील कुमार ने कामयाबी की बुलंदियों को छुआ है, लेकिन इसी के साथ वह विवादों में भी रहे हैं. रियो ओलंपिक 2016 के दौरान 74 किलोग्राम वर्ग में सुशील कुमार की जगह नरसिंह यादव को भेजने का फैसला लिया गया था. इसके बाद जमकर व‍िवाद हुआ था. दरअसल, नरसिंह विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर आए थे.

इसके बाद सुशील ने ट्रायल की मांग की थी. वहीं, नरसिंह इसके बाद डोपिंग में फंस गए थे. वहीं, कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स 2018 के लिए क्वालिफाई करने में नाकाम रहे पहलवान प्रवीण राणा और सुशील कुमार के समर्थकों में मारपीट हुई थी.तब भी उनका नाम विवाद में रहा था।



ओलंपिक में दो पदक विजेता पहलवान सुशील कुमार ने वर्ष 2017 में राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप के पुरुषों के 74 किलोग्राम फ्रीस्टाइल प्रतियोगिता में क्वार्टरफाइनल, सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबले खेले बिना ही स्वर्ण पदक अपने नाम किया था. दरअसल, तीनों अहम मुकाबलों में प्रतिद्वंद्वी पहलवानों ने सम्मान देते हुए लड़ने से मना कर दिया था.एक पहलवान ने तो पैर छूकर मैदान छोड़ दिया था.

आपको बता दें कि पहलवानी की दुनिया में अपने दांव से दुनिया के धुरंधरों को चित करने वाले सुशील ने सिर्फ 14 वर्ष की उम्र से दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में पहलवानी सीखनी शुरू कर दी थी. करियर में कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ते हुए सुशील कुमार ने 66 किलो ग्राम में वर्ष 2010 वर्ल्ड टाइटल जीता था. इसके बाद सुशील ने वर्ष 2012 के लंदन ओलंपिक्स में सिल्वर मेडल और फिर 2008 में बीजिंग ओलंपिक्स ब्रोंज मेडल अपने नाम किया.सुशील कुमार को जुलाई 2009 में राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजा जा चुका है.


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