नई दिल्ली : 1970 के दशक में राष्ट्रीय टीम का प्रतिनिधित्व करने वाले पूर्व भारतीय फुटबॉल खिलाड़ी श्यामल घोष का बीमारी के चलते मंगलवार 3 जनवरी को कोलकाता में 71 वर्ष की आयु में निधन हो गया. श्यामल घोष अपनी पीढ़ी के सबसे कुशल डिफेंडर माने जाने जाते थे. श्यामल घोष ने 1974 में थाईलैंड के खिलाफ मर्डेका कप में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया था और 1974 के एशियाई खेलों में भी वह भारतीय टीम का हिस्सा थे.
घरेलू स्तर पर फुटबॉल खिलाड़ी श्यामल घोष ने पूर्वी बंगाल और मोहन बागान दोनों का प्रतिनिधित्व किया था. कोलकाता लीग, आईएफए शील्ड, डूरंड कप और रोवर्स कप सहित कई ट्राफियां जीतीं थीं. श्यामल घोष ने ईस्ट बंगाल के लिए अधिक सफलता हासिल की, जहां पर उन्होंने 1977 सीज़न में टीम की कप्तानी करते हुए अपने करियर के 7 सीज़न बिताए थे. इसके साथ साथ घोष ने संतोष ट्रॉफी में भी सफलता पायी थी. वह 5 बार इस ट्रॉफी में बंगाल का प्रतिनिधित्व किया और तीन बार टीम को 1975, 1976 और 1977 में खिताब जीताने में मदद की.
2016 में फुटबॉल खिलाड़ी श्यामल घोष को ईस्ट बंगाल द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्रदान किया गया था.
घोष के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए एआईएफएफ के अध्यक्ष कल्याण चौबे ने कहा, श्यामल-दा का निधन भारतीय फुटबॉल के लिए एक बड़ा झटका है. 1970 के दशक के बेहतरीन फुटबॉलरों में से एक होने के अलावा, वह अपने त्रुटिहीन शिष्टाचार के लिए जाने जाते थे, और जीवन भर मैदान पर और बाहर एक सज्जन व्यक्ति बने रहे. दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं.”
एआईएफएफ के महासचिव डॉ शाजी प्रभाकरन ने कहा, “श्यामल घोष अपने कौशल के लिए उभरते डिफेंडरों के लिए एक रोल मॉडल थे. उनके निधन से हम सभी बेहद दुखी हैं. यह पूरी भारतीय फुटबॉल बिरादरी के लिए एक बड़ा झटका है. उसके परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं. उनकी आत्मा को शांति मिले."