लुसाने: भारतीय खिलाड़ियों और कोच ने बीते बुधवार को एफआईएच वार्षिक पुरस्कारों के सभी प्रमुख वर्गों में जीत हासिल की, जिसके बाद ओलंपिक चैम्पियन बेल्जियम ने एफआईएस की मतदान प्रणाली पर सवाल उठाते हुए इसे 'विफल' करार दिया. एफआईएच ने कहा, वह पता लगाने की कोशिश करेगा कि कई संघों ने मतदान में हिस्सा क्यों नहीं लिया.
हॉकी जगत के कई लोगों ने सवाल किया कि क्या प्रशंसकों को वैसे पुरस्कार के लिए मतदान करना चाहिए, जिसमें खिलाड़ियों की तकनीकी दृष्टिकोण से परख की जाती है. पुरस्कार विजेता हालांकि सिर्फ प्रशंसक ही नहीं, बल्कि प्रत्येक मतदान समूह में शीर्ष स्थान पर थे, जिसमें राष्ट्रीय संघ और मीडिया भी शामिल थे.
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एफआईएच की वेबसाइट पर जारी साक्षात्कार में वेल ने कहा, एफआईएच में हमारी समग्र रणनीति है कि हम जो कुछ भी करें उसके केन्द्र में खिलाड़ियों और प्रशंसकों को रखा जाए. ऐसे में, प्रशंसकों को अपने विचार व्यक्त करने का विकल्प देना जरूरी है. अगर आप इस संबंध में पूछ रहे हैं कि क्या वर्तमान प्रक्रिया सही है या नहीं, तो हमें निश्चित रूप से इसका विश्लेषण करने की आवश्यकता होगी.
इस पुरस्कार में राष्ट्रीय संघों के मतदान का प्रतिनिधित्व उनके संबंधित कप्तानों और कोच द्वारा किया गया. नतीजे में इसका हिस्सा कुल परिणाम का 50 प्रतिशत था, जबकि बाकी के मतों को प्रशंसकों एवं खिलाड़ियों (25 प्रतिशत) के साथ-साथ मीडिया (25 प्रतिशत) के मतदान पर बांटा गया था.
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इसमें यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि 42 सदस्यों वाली यूरोपीय ब्लॉक के केवल 19 संघों ने मत डाला, जबकि एशिया के 33 में से 29 संघों ने मतदान किया. वेल ने कहा, स्पष्ट रूप से हमें प्रशंसकों को किसी तरीके से खुद से जोड़ने की आवश्यकता है. इस मतदान के लिए उनका धन्यवाद. हमारे पास लगभग तीन लाख प्रशंसकों के साथ जुड़ने का अवसर होगा. अधिकांश प्रशंसक भारत से आ रहे हैं और यह सिर्फ भारत के लिए नहीं, बल्कि हमारे खेल के समग्र विकास और पूरे हॉकी समुदाय के लिए अच्छा है.
उन्होंने कहा, हमने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि सभी विजेताओं ने तीनों मतदान वर्ग में शीर्ष स्थान हासिल किया है. अगर दूसरे शब्दों में कहें तो प्रशंसकों के मत को हटा दें तो भी विजेताओं की सूची में कोई बदलाव नहीं होगा.
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भारत के पांच खिलाड़ियों तथा पुरुष और महिला टीमों के मुख्य कोच ने विभिन्न वर्गों में सर्वाधिक मत पाकर शीर्ष पुरस्कार हासिल किए. भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक जीता था. जबकि महिला टीम चौथे स्थान पर रही थी. गुरजीत कौर (महिला) और हरमनप्रीत सिंह (पुरुष) ने अपने वर्गों में वर्ष का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी (प्लेयर ऑफ द ईयर) का पुरस्कार हासिल किया.
सविता पूनिया (सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर, महिला), पीआर श्रीजेश (सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर, पुरुष), शर्मिला देवी (सर्वश्रेष्ठ उदीयमान स्टार, महिला) और विवेक प्रसाद (सर्वश्रेष्ठ उदीयमान स्टार, पुरुष) के साथ-साथ भारत की महिला टीम के कोच सोर्ड मारिन और पुरुष टीम के मुख्य कोच ग्राहम रीड भी सर्वाधिक मत पाकर शीर्ष पर रहे. यह पूछे जाने पर कि क्या भविष्य में मतदान प्रक्रिया इसी तरह बनी रहेगी, वेल ने कहा, वह इसके लिए एक कार्यसमिति का गठन करेंगे.
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उन्होंने कहा, मैं इस सवाल का जवाब तब तक नहीं दे सकता. जब तक की हम पूरी तरह से इसका विश्लेषण न करें. मैं हालांकि आपको यह जरूर बता सकता हूं कि हम वैश्विक हॉकी समुदाय के साथ भविष्य के 'स्टार अवार्ड्स' पर काम करना जारी रखेंगे. उन्होंने कहा, हम एक प्रक्रिया को अपनाने के लिए कई हितधारकों के साथ जुड़ेंगे और अधिकांश का समर्थन प्राप्त करने के बाद फिर अगले साल उसी अनुसार चलेंगे.
वेल ने कहा, ये पुरस्कार यहां हॉकी, खिलाड़ियों और कोच को बढ़ावा देने के लिए हैं. अगर कोई विवाद होता है तो यह किसी के लिए भी अच्छा नहीं है. मैंने पहले ही कुछ लोगों के साथ बातचीत की है और आगे भी करता रहूंगा. इस बात की संभावना है कि हम इस पर गौर करने के लिए एक कार्यसमिति का गठन करें.
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वेल ने हालांकि माना कि पुरस्कार विजेताओं की सूची में ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता टीमों के खिलाड़ियों की अनुपस्थिति निराशा और गुस्से का कारण बन सकती है. उन्होंने कहा, एक ओलंपिक वर्ष में अगर स्वर्ण पदक विजेता टीम कोई पुरस्कार नहीं जीतती है और दूसरे देश को वे सभी पुरस्कार मिलते हैं, तो यह स्पष्ट है कि इस पर सवाल उठेगा. मैं निश्चित रूप से संबंधित टीम की निराशा और गुस्से को समझता हूं.
उन्होंने कहा, इसके साथ ही मैं सभी विजेताओं को बधाई भी देना चाहूंगा. वे सभी एक विशेषज्ञ समिति द्वारा नामित किए गए थे, जिसमें एफआईएच, एफआईएच एथलीट समिति और हाई परफॉर्मेंस के प्रतिनिधि शामिल थे. वे भी इसे जीतने के उतने ही हकदार थे जितना कोई दूसरा.