नई दिल्ली: दीपक पुनिया 18 साल बाद जूनियर विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में स्वर्ण जीतने वाले खिलाड़ी बने थे. उन्होंने सीनियर चैम्पियनशिप में भी 86 किलोग्राम भारवर्ग के सेमीफाइनल में जगह बना ली थी लेकिन चोट के कारण उन्हें नाम वापस लेना पड़ा और वे रजत पदक तक ही सीमित रह गए.
दीपक ने हालांकि कहा है कि वे नूर-सुल्तान में खेली गई ही सीनियर विश्व चैम्पियनशिप में टखने की चोट के बावजूद खेलते रहे थे.
सेमीफाइनल में दीपक ने स्विट्जरलैंड के स्टेफान रेइचमथ को 8-2 से मात दी थी. इस मुकाबले के आखिरी में हालांकि उन्हें चोट लगी थी और अगले दिन पता चला कि वे इसी चोट के कारण फाइनल नहीं खेल पाएंगे.
उन्होंने कहा, "मुझे पहले ही मुकाबले में चोट लगी थी. जैसे-जैसे मुकाबला आगे बढ़ता चला गया चोट और खराब होती चली गई और क्योंकि मौसम ठंडा था तो अगले दिन मेरा पैर सूज गया. मैं मुश्किल से खड़ा हो पा रहा था. मेरे पास कोई और विकल्प नहीं था."
दीपक ने कहा कि वे ओलंपिक कोटा हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध थे इसलिए चोट के साथ भी खेलते रहे. उन्होंने कहा, 'मैं चोट के बाद भी क्वालीफिकेशन दौर में जाने के लिए प्रतिबद्ध था.'
चोट हालांकि गंभीर नहीं थी और उन्हें उम्मीद है कि वे कुछ दिनों में ठीक हो जाएंगे. दीपक ने कहा, "इसे पूरी तरह से ठीक होने में 15-20 दिन लगेंगे. मैं दिवाली के बाद से सिर्फ एक या दो बार ही घर गया हूं, इसलिए अब मैं अपने परिवार के साथ समय बिताना चाहता हूं."
दीपक ने कहा कि जूनियर विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतने के बाद उन्हें सीनियर टूर्नामेंट में खेलने का आत्मविश्वास मिल गया था. दीपक ने कहा, "मैंने हालांकि रजत पदक की उम्मीद नहीं की थी. मैं जब जीता वे काफी खुशनुमा पल था. विश्व चैम्पियनशिप बड़ा मुश्किल टूर्नामेंट है. यहां हर कोने से खिलाड़ी आते हैं और यहां खेलना हमेशा चुनौतीपूर्ण होता है."
दीपक ने माना कि उनके पास अनुभव की कमी है लेकिन इसमें वो कुछ नहीं कर सकते. वे जो कर सकते हैं वो है अपने खेल में सुधार. इस युवा ने कहा, 'मुझे अपनी तकनीक पर काम करने की जरूरत है. मैं दूसरे पहलवान को देख उनसे सीखने की कोशिश करता हूं और देखता हूं कि मैं कहां खड़ा हूं."