नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने बुधवार को कहा कि वह अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) से जुड़ी एक याचिका और खेल निकाय के मसौदा संविधान से संबंधित आपत्तियों पर छह दिसंबर को सुनवाई करेगा. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud), न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने एआईएफएफ (AIFF) की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन की इस दलील का भी संज्ञान लिया कि खेल निकाय को कुछ जरूरी दिशा-निर्देशों की जरूरत है.
प्रधान न्यायाधीश ने रामचंद्रन से कहा, 'हम इस मामले पर छह दिसंबर को सुनवाई करेंगे. इससे पहले, पीठ ने कहा था कि फुटबॉल को आगे बढ़ाने की जरूरत है. उसने लोगों से राष्ट्रीय खेल महासंघ के संविधान के मसौदे पर न्याय मित्र को सुझाव देने का आग्रह करते हुए कहा था, 'हम फुटबॉल को आगे बढ़ाने की कोशिश को छोड़कर बाकी सब कुछ कर रहे हैं.' पीठ ने न्याय मित्र के रूप में उसकी सहायता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन से नौ नवंबर को आपत्तियों को सूचीबद्ध करने के लिए कहा था, ताकि संविधान के मसौदे को अंतिम रूप दिया जा सके.
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने राष्ट्रीय फुटबॉल महासंघ के मामलों के प्रबंधन के लिए मई में नियुक्त प्रशासकों की तीन सदस्यीय समिति के आदेश को रद्द करने का निर्देश दिया था. सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि वह अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल महासंघ फीफा (FIFA) द्वारा एआईएफएफ के खिलाफ लागू निलंबन को रद्द करने और भारत में अंडर-17 महिला विश्व कप 2022 के आयोजन में सहायता के लिए अपने पहले के आदेशों को संशोधित कर रहा है.
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18 मई को शीर्ष अदालत ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अनिल आर दवे, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी और भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान भास्कर गांगुली की सदस्यता वाला एक पैनल गठित किया था. उसने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता प्रफुल्ल पटेल के नेतृत्व वाली प्रबंधन समिति को भंग कर दिया था, जिसने अपने निर्धारित कार्यकाल से ढाई साल अधिक काम किया था.
(पीटीआई-भाषा)