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स्वर्ण पदक विजेता 'यूपी के लाल' की नजरें बर्मिघम कॉमनवेल्थ गेम्स पर

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Published : Jan 10, 2022, 1:32 PM IST

13 साल की उम्र में पहलवान बनने के लिए प्रशिक्षण शुरू करने वाले नरसिंह यादव दूध बेचने वाले के बेटे हैं. उनका जन्म वाराणसी में हुआ था. उन्होंने नई दिल्ली में साल 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता. उसके बाद साल 2014 एशियाई खेलों और साल 2015 विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता है.

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नई दिल्ली: साल 2010 राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता और साल 2014 के एशियाड कांस्य विजेता नरसिंह यादव मुंबई में हैं. उनको इसकी आशंका है कि कहीं कोविड के चलते जिम जैसी सुविधाओं को बंद न कर दिया जाए. ऐसे में अगर सुविधाओं को बंद किया जाता है तो इस साल होने वाले बर्मिघम कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए उनके अभ्यास में भी थोड़ा फर्क पड़ सकता है.

यादव ने कहा, मैं साल 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में अपने स्वर्ण पदक जीतने वाले प्रदर्शन को दोहराने की उम्मीद कर रहा हूं. लेकिन वह महामारी की तीसरी लहर के खिलाफ हैं. मैं अभी भी अपना प्रशिक्षण लगातार कर रहा हूं, लेकिन धीरे-धीरे जिम और प्रशिक्षण सुविधाएं बंद की जा रही हैं. उन्होंने कहा, जिस तरह से कोविड फैल रहा है, उसे देखते हुए मैं भी अब और अधिक सतर्क हो गया हूं. मैं केवल यह आशा करता हूं कि स्थिति इस हद तक नहीं बिगड़े कि सरकार को लॉकडाउन लगाने की आवश्यकता पड़े.

यह भी पढ़ें: IPL 2022 का आयोजन भारत में होगा या नहीं, इस फैसले पर निर्भर करता है सब कुछ

यादव ने आईएएनएस से कहा, मुझे उम्मीद है कि इस साल राष्ट्रमंडल खेल भी मेरे लिए वैसे ही होंगे जैसे साल 2010 में हुए थे. मेरी ट्रेनिंग बहुत अच्छी चल रही है. यह पूछे जाने पर कि क्या वह अपनी पत्नी शिल्पी श्योराण के साथ प्रशिक्षण लेते हैं, जो साल 2016 दक्षिण एशियाई खेलों में 63 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक विजेता थीं. यादव ने कहा, मैं और मेरी पत्नी एक साथ प्रशिक्षण लेते हैं और मुझे उनका पूरा समर्थन मिलता है.

यह भी पढ़ें: आईएसएल 2021-22: केरला ब्लास्टर ने हैदराबाद एफसी को हराया

क्या एक पुलिस अधिकारी होने के कारण अपनी कुश्ती को अपने काम से संतुलित करना मुश्किल हो जाता है. यादव ने कहा, मेरे अधिकारी मुझे बहुत समर्थन देते हैं. क्योंकि वे जानते हैं कि मैं देश का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं. यादव ने कहा कि वह अपने पोषण विशेषज्ञ की मदद से अपने प्रतिस्पर्धा के वजन को बनाए रखते हैं.

नई दिल्ली: साल 2010 राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता और साल 2014 के एशियाड कांस्य विजेता नरसिंह यादव मुंबई में हैं. उनको इसकी आशंका है कि कहीं कोविड के चलते जिम जैसी सुविधाओं को बंद न कर दिया जाए. ऐसे में अगर सुविधाओं को बंद किया जाता है तो इस साल होने वाले बर्मिघम कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए उनके अभ्यास में भी थोड़ा फर्क पड़ सकता है.

यादव ने कहा, मैं साल 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में अपने स्वर्ण पदक जीतने वाले प्रदर्शन को दोहराने की उम्मीद कर रहा हूं. लेकिन वह महामारी की तीसरी लहर के खिलाफ हैं. मैं अभी भी अपना प्रशिक्षण लगातार कर रहा हूं, लेकिन धीरे-धीरे जिम और प्रशिक्षण सुविधाएं बंद की जा रही हैं. उन्होंने कहा, जिस तरह से कोविड फैल रहा है, उसे देखते हुए मैं भी अब और अधिक सतर्क हो गया हूं. मैं केवल यह आशा करता हूं कि स्थिति इस हद तक नहीं बिगड़े कि सरकार को लॉकडाउन लगाने की आवश्यकता पड़े.

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यादव ने आईएएनएस से कहा, मुझे उम्मीद है कि इस साल राष्ट्रमंडल खेल भी मेरे लिए वैसे ही होंगे जैसे साल 2010 में हुए थे. मेरी ट्रेनिंग बहुत अच्छी चल रही है. यह पूछे जाने पर कि क्या वह अपनी पत्नी शिल्पी श्योराण के साथ प्रशिक्षण लेते हैं, जो साल 2016 दक्षिण एशियाई खेलों में 63 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक विजेता थीं. यादव ने कहा, मैं और मेरी पत्नी एक साथ प्रशिक्षण लेते हैं और मुझे उनका पूरा समर्थन मिलता है.

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क्या एक पुलिस अधिकारी होने के कारण अपनी कुश्ती को अपने काम से संतुलित करना मुश्किल हो जाता है. यादव ने कहा, मेरे अधिकारी मुझे बहुत समर्थन देते हैं. क्योंकि वे जानते हैं कि मैं देश का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं. यादव ने कहा कि वह अपने पोषण विशेषज्ञ की मदद से अपने प्रतिस्पर्धा के वजन को बनाए रखते हैं.

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