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Female Footballer Sumati Kumari : मां को खोने के बाद भी नहीं टूटा नवोदित खिलाड़ी का हौसला, सकारात्मक ऊर्जा के साथ देश के लिए खेलने की तैयारी - महिला फुटबॉलर अमीषा बक्ष्ला

Upcoming SAIF U-20 Womens Championship में भाग लेने के लिए सुमति कुमारी और अमीषा बक्ष्ला ट्रेनिंग कर रही हैं. झारंखंड की इन दोनों महिला फुटबॉलर्स में एक अलग तरीके का जोश व जनून दिखता है. तभी तो दोनों खिलाड़ी भारतीय महिला फुटबॉल टीम की अहम खिलाड़ी बनती जा रही हैं.

female footballer Sumati Kumari  Jharkhand
झारखंड की रहने वाली महिला फुटबॉलर सुमति कुमारी
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Published : Jan 30, 2023, 10:57 AM IST

Updated : Jan 30, 2023, 12:01 PM IST

चेन्नई : वैसे तो खेल जगत के लोगों का कहना है कि फुटबॉल में लोगों के जीवन को बदलने की शक्ति है, लेकिन यह बात कभी-कभी कई लोग गंभीरता से नहीं लेते हैं. लेकिन चेन्नई में मौजूदा भारत अंडर-20 महिला राष्ट्रीय टीम कैंप में झारखंड की दो लड़कियों ने इस बात को चरितार्थ करके दिखाया है. उनका कहना है कि देश के लिए खेलना उनको गौरवान्वित कर रहा है. फुटबॉल उन्हें किसी भी चीज से ज्यादा, सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है.

झारखंड की रहने वाली महिला फुटबॉलर सुमति कुमारी और महिला फुटबॉलर अमीषा बक्ष्ला बाकी खिलाड़ियों से काफी अलग हैं. इन दो युवा लड़कियों के लिए फुटबॉल जीवन को बदलने वाला है. साथ ही यह उन्हें गहरी मानसिक शांति और संतुष्टि भी देता है. सुमति और अमीषा अब आगामी सैफ अंडर-20 महिला चैम्पियनशिप के लिए चेन्नई में होम गेम्स स्पोर्ट्स एरिना में प्रशिक्षण ले रही हैं, जो जिसे ढाका (बांग्लादेश) में 3 से 9 फरवरी 2023 तक खेला जाएगा.

female footballer Sumati Kumari  Jharkhand
झारखंड की रहने वाली महिला फुटबॉलर सुमति कुमारी

ऐसा है सुमति का जज्बा
युवा खिलाड़ी सुमति अपने जीवन में पहले ही बहुत कुछ सह चुकी हैं, लेकिन हर बार जब वह किसी कष्ट या परेशानी की चपेट में आती थीं, तो वह केवल फुटबॉल पर ध्यान लगाती रहती थीं. इसने उनकी बहुत सारी पीड़ाएं मिटा दी हैं. उसी के कारण वह एक बेहतर फुटबॉलर बनने के लिए प्रेरित हो रही हैं और इसी के कारण वह और अधिक अधिक दृढ़ बनती जा रही हैं.
झारखंड के गुमला जिले की रहने वाली 19 वर्षीय सुमति कुमारी एक सामान्य परिवार की लड़की हैं, लेकिन खेल उनके नस-नस में समाया हुआ है. 2019 में जब उन्हें एक बड़ी व्यक्तिगत त्रासदी का सामना करना पड़ा था, तब भी उनका हौसला नहीं टूटा था, क्योंकि उन्होंने अपने खेल पर किसी और चीज को हाबी नहीं होने दिया. उनकी मां का निधन उनके लिए बड़ा झटका था. वह उस समय गोवा में राष्ट्रीय शिविर में शिरकत कर रही थीं. चूंकि उनके गांव में टेलीफोन कनेक्शन नहीं था, इसलिए उनको दो दिन बाद उनकी मां के निधन की खबर उनके पास पहुंची. मां की मौत से निराश सुमति के पास एक विकल्प था- अपने परिवार के पास घर वापस जाना या शिविर में रहकर देश के लिए खेलना. ऐसे में उन्होंने कैंप में रहने और देश के लिए खेलने का फैसला किया, क्योंकि वह जानती थीं कि देश के लिए खेलने से निश्चित रूप से उसकी मां को गर्व होगा.

सुमति बोलीं-

"जब मैं गोवा में थीं, तो मुझे दो दिनों के बाद मेरी मां की मौत की खबर मिली. मैं असहाय थी और इसके बारे में कुछ नहीं कर सकी. मेरे कोच ने मुझे घर जाने के लिए कहा, लेकिन मैंने रहने और देश के लिए खेलने का फैसला किया, क्योंकि इससे मुझे वह मानसिक शांति मिली, जिसकी मुझे तलाश थी. वह वास्तव में मेरे जीवन का एक कठिन दौर था. लेकिन मेरे सभी साथियों के साथ मैदान पर होने से मुझे अपने दर्द को कुछ हद तक भूलने की ताकत मिली."

फिलहाल सुमति भारतीय महिला फुटबॉल टीम की सबसे अहम सदस्यों में से एक हैं. अगर वह नहीं होती, तो यंग टाइग्रेस 2019 में अंडर-17 महिला टूर्नामेंट में जितने मौके बनाए गए थे, उतने मौके नहीं बन पाते. सुमति का प्रभाव ऐसा था कि भारत की अंडर-17 महिला विश्व कप टीम कोच थॉमस डेनरबी उनकी प्रतिभा से बेहद प्रभावित हुए और उन्हें एएफसी एशियन कप 2022 के लिए सीनियर महिला टीम के लिए चुना.

लेकिन सुमति को एक बार फिर करारा घटका तब मिला जब उनके दाहिने घुटने में फ्रैक्चर हो गया और वह कुछ महीनों तक फुटबॉल नहीं खेल सकीं. सौभाग्य से वह अब मैदान पर वापस आ गई हैं और फिर से देश के लिए गोल करने के लिए कमर कस रही हैं.

female footballer Sumati Kumari and Amisha Baxla  Jharkhand
सुमति कुमारी और अमीषा बक्ष्ला

सुमति बोलीं-

"मैं हर तरीके से टीम में योगदान देकर खुश हूं. मैं सीनियर और जूनियर दोनों टीमों के साथ रही हूं, और मुझे भारत की जर्सी पहनकर बहुत अच्छा लग रहा है. मैं कुछ महीनों के लिए अपने पसंदीदा खेल को खेलने से चूक गयी थी, लेकिन अब जब मैं वापस आ गई हूं, यह मुझे बहुत खुशी देता है. मुझे पता है कि मेरी मां जहां भी होगी, वह मुझ पर गर्व महसूस कर रही होगी."

उनके साथ उनकी साथी खिलाड़ी महिला फुटबॉलर अमीषा बक्ष्ला भी इसी मानसिकता के साथ खेल रही हैं. झारखंड के गुमला जिले की रहने वाली अमीषा को एक मजबूत दिमाग और खेल पर फोकस करने वाली लड़की के रूप में जाना जाता है. वह जब भी भारत की नीले रंग वाली जर्सी पहनती है, तो बाकी टीमों के लिए निरंतर खतरा बनी रहती है.

इसे भी पढ़ें.. Womens Team Dance video : चैंपियन बनने के बाद बेटियों ने मनाया जश्न, 'काला चश्मा' गाने पर किया डांस

चेन्नई : वैसे तो खेल जगत के लोगों का कहना है कि फुटबॉल में लोगों के जीवन को बदलने की शक्ति है, लेकिन यह बात कभी-कभी कई लोग गंभीरता से नहीं लेते हैं. लेकिन चेन्नई में मौजूदा भारत अंडर-20 महिला राष्ट्रीय टीम कैंप में झारखंड की दो लड़कियों ने इस बात को चरितार्थ करके दिखाया है. उनका कहना है कि देश के लिए खेलना उनको गौरवान्वित कर रहा है. फुटबॉल उन्हें किसी भी चीज से ज्यादा, सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है.

झारखंड की रहने वाली महिला फुटबॉलर सुमति कुमारी और महिला फुटबॉलर अमीषा बक्ष्ला बाकी खिलाड़ियों से काफी अलग हैं. इन दो युवा लड़कियों के लिए फुटबॉल जीवन को बदलने वाला है. साथ ही यह उन्हें गहरी मानसिक शांति और संतुष्टि भी देता है. सुमति और अमीषा अब आगामी सैफ अंडर-20 महिला चैम्पियनशिप के लिए चेन्नई में होम गेम्स स्पोर्ट्स एरिना में प्रशिक्षण ले रही हैं, जो जिसे ढाका (बांग्लादेश) में 3 से 9 फरवरी 2023 तक खेला जाएगा.

female footballer Sumati Kumari  Jharkhand
झारखंड की रहने वाली महिला फुटबॉलर सुमति कुमारी

ऐसा है सुमति का जज्बा
युवा खिलाड़ी सुमति अपने जीवन में पहले ही बहुत कुछ सह चुकी हैं, लेकिन हर बार जब वह किसी कष्ट या परेशानी की चपेट में आती थीं, तो वह केवल फुटबॉल पर ध्यान लगाती रहती थीं. इसने उनकी बहुत सारी पीड़ाएं मिटा दी हैं. उसी के कारण वह एक बेहतर फुटबॉलर बनने के लिए प्रेरित हो रही हैं और इसी के कारण वह और अधिक अधिक दृढ़ बनती जा रही हैं.
झारखंड के गुमला जिले की रहने वाली 19 वर्षीय सुमति कुमारी एक सामान्य परिवार की लड़की हैं, लेकिन खेल उनके नस-नस में समाया हुआ है. 2019 में जब उन्हें एक बड़ी व्यक्तिगत त्रासदी का सामना करना पड़ा था, तब भी उनका हौसला नहीं टूटा था, क्योंकि उन्होंने अपने खेल पर किसी और चीज को हाबी नहीं होने दिया. उनकी मां का निधन उनके लिए बड़ा झटका था. वह उस समय गोवा में राष्ट्रीय शिविर में शिरकत कर रही थीं. चूंकि उनके गांव में टेलीफोन कनेक्शन नहीं था, इसलिए उनको दो दिन बाद उनकी मां के निधन की खबर उनके पास पहुंची. मां की मौत से निराश सुमति के पास एक विकल्प था- अपने परिवार के पास घर वापस जाना या शिविर में रहकर देश के लिए खेलना. ऐसे में उन्होंने कैंप में रहने और देश के लिए खेलने का फैसला किया, क्योंकि वह जानती थीं कि देश के लिए खेलने से निश्चित रूप से उसकी मां को गर्व होगा.

सुमति बोलीं-

"जब मैं गोवा में थीं, तो मुझे दो दिनों के बाद मेरी मां की मौत की खबर मिली. मैं असहाय थी और इसके बारे में कुछ नहीं कर सकी. मेरे कोच ने मुझे घर जाने के लिए कहा, लेकिन मैंने रहने और देश के लिए खेलने का फैसला किया, क्योंकि इससे मुझे वह मानसिक शांति मिली, जिसकी मुझे तलाश थी. वह वास्तव में मेरे जीवन का एक कठिन दौर था. लेकिन मेरे सभी साथियों के साथ मैदान पर होने से मुझे अपने दर्द को कुछ हद तक भूलने की ताकत मिली."

फिलहाल सुमति भारतीय महिला फुटबॉल टीम की सबसे अहम सदस्यों में से एक हैं. अगर वह नहीं होती, तो यंग टाइग्रेस 2019 में अंडर-17 महिला टूर्नामेंट में जितने मौके बनाए गए थे, उतने मौके नहीं बन पाते. सुमति का प्रभाव ऐसा था कि भारत की अंडर-17 महिला विश्व कप टीम कोच थॉमस डेनरबी उनकी प्रतिभा से बेहद प्रभावित हुए और उन्हें एएफसी एशियन कप 2022 के लिए सीनियर महिला टीम के लिए चुना.

लेकिन सुमति को एक बार फिर करारा घटका तब मिला जब उनके दाहिने घुटने में फ्रैक्चर हो गया और वह कुछ महीनों तक फुटबॉल नहीं खेल सकीं. सौभाग्य से वह अब मैदान पर वापस आ गई हैं और फिर से देश के लिए गोल करने के लिए कमर कस रही हैं.

female footballer Sumati Kumari and Amisha Baxla  Jharkhand
सुमति कुमारी और अमीषा बक्ष्ला

सुमति बोलीं-

"मैं हर तरीके से टीम में योगदान देकर खुश हूं. मैं सीनियर और जूनियर दोनों टीमों के साथ रही हूं, और मुझे भारत की जर्सी पहनकर बहुत अच्छा लग रहा है. मैं कुछ महीनों के लिए अपने पसंदीदा खेल को खेलने से चूक गयी थी, लेकिन अब जब मैं वापस आ गई हूं, यह मुझे बहुत खुशी देता है. मुझे पता है कि मेरी मां जहां भी होगी, वह मुझ पर गर्व महसूस कर रही होगी."

उनके साथ उनकी साथी खिलाड़ी महिला फुटबॉलर अमीषा बक्ष्ला भी इसी मानसिकता के साथ खेल रही हैं. झारखंड के गुमला जिले की रहने वाली अमीषा को एक मजबूत दिमाग और खेल पर फोकस करने वाली लड़की के रूप में जाना जाता है. वह जब भी भारत की नीले रंग वाली जर्सी पहनती है, तो बाकी टीमों के लिए निरंतर खतरा बनी रहती है.

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Last Updated : Jan 30, 2023, 12:01 PM IST

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