हैदराबाद : भारत की महिला मुक्केबाज मंजू रानी भारत की उस 10 सदस्यीय महिला टीम में शामिल हैं जो सात से 21 सितंबर तक रूस में होने वाली एआईबीए वर्ल्ड वुमेन्स बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करेगी. मंजू सहित पांच ऐसे मुक्केबाज हैं, जो पहली बार इसमें हिस्सा लेने जा रही हैं.
सपने के सच होने जैसा
मंजू ने मीडिया से बात-चीत में कहा कि वे इस चैंपियनशिप में भाग लेने को लेकर काफी उत्साहित हैं. उन्होंने कहा, 'इसमें भाग लेना मेरे लिए किसी सपने के सच होने से कम नहीं है. इससे पहले, मैंने कभी इसमें भाग लेने के बारे में सोचा नहीं था। मैं वहां पर जाने और इसमें खुद को साबित करने को लेकर बहुत उत्साहित हूं.'
उन्होंने कहा, 'मुझे लगता कि इस चैंपियनशिप में पदक जीतने के लिए मुझे और ज्यादा ट्रेनिंग करने की जरूरत है और मैं उसी के अनुसार मेहनत कर रही हूं.'
खेलते वक्त परिणाम के बारे में नहीं सोचा
मंजू ने इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में तीन दिनों तक चले ट्रायल्स में प्रेसिडेंट कप की स्वर्ण पदक विजेता मोनिका को हराकर विश्व चैंपियनशिप के लिए टीम में अपनी जगह पक्की की.
उन्होंने कहा, "ट्रायल्स के लिए मेरी ट्रेनिंग अच्छी थी, इसलिए मुझे विश्वास था कि मैं उनको हरा सकती हूं. मुझे पूरी उम्मीद थी कि मैं उनको कड़ी टक्कर दे सकती हूं. उस समय मैंने परिणाम के बारे में बिल्कुल भी नहीं सोचा था कि ऐसा परिणाम आएगा, लेकिन मुझे खुद के ऊपर विश्वास था.'
विजेन्दर सिंह और एमसी मैरीकॉम से प्रेरित
हरियाणा के रोहतक जिले की रहने वाली मंजू जब 12 साल की थी, तभी उनके पिता का निधन हो गया था. इसके बाद उनकी मां ने उन्हें संभाला. वे कहती हैं कि उनके लिए मुक्केबाजी में यहां तक पहुंचना बहुत मुश्किल था, लेकिन उनकी मां की मेहनत और पेशेवर मुक्केबाज बीजिंग ओलम्पिक में कांस्य पदक जीत चुके विजेन्दर सिंह तथा छह बार की विश्व चैम्पियन एमसी मैरीकॉम से प्रेरित होकर उन्होंने मुक्केबाजी को अपना सबकुछ मान लिया.
उन्होंने कहा, 'हरियाणा में कबड्डी का बहुत बड़ा क्रेज है और मैं भी शुरू में कबड्डी खेलती थी. लेकिन विजेन्दर सर और मैरीकॉम दीदी को टीवी पर खेलते देखकर मेरा मन भी मुक्केबाजी की ओर आकर्षित होने लगा. मुझे लगा कि जब सर और दीदी इतने ऊपर तक पहुंचे हैं तो हम भी पहुंच सकते हैं.'
हरियाणा में बहुत भेदभाव है
बुल्गारिया के स्ट्रांजा कप में रजत और इंडिया ओपन तथा थाईलैंड ओपन में कांस्य पदक जीतने वाली मंजू ने हरियाणा में भाई-भतीजावाद और भेदभाव की वजह से पंजाब से खेलना शुरू किया.
उन्होंने इसका कारण बताते हुए कहा, 'हरियाणा में राजनीति, भाई-भतीजावाद और भेदभाव ज्यादा है. मेरे शानदार प्रदर्शन के बावजूद जब मुझे हरियाणा में मौका नहीं मिला तो फिर मैंने पंजाब का रूख किया और यहां का प्रतिनिधित्व करना शुरू किया. जिस तरह से हरियाणा का माहौल है, उस हिसाब से मुझे नहीं लगता है कि मैं यहां तक पहुंच पाती.'
तीन बार की जूनियर राष्ट्रीय चैंपियन मंजू ने अपने अगले लक्ष्य को लेकर कहा, 'विश्व चैंपियनशिप में खेलने का मेरा एक सपना पूरा हो चुका है और अब मैं ओलम्पिक में अपने देश का प्रतिनिधित्व करना चाहती हूं. इसके लिए मैंने अपनी ट्रेनिंग और तैयारी शुरू कर दी है.'