फरीदाबाद: एशियन गेम्स में बेहतरीन प्रदर्शन करने के बाद खिलाड़ी अब अपने देश लौट रहे हैं. 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल में फरीदाबाद के आदर्श सिंह, करनाल के अनीश और चंडीगढ़ के विजयवीर ने देश को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया. फरीदाबाद पहुंचने पर आदर्श सिंह ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत की. आदर्श ने कहा कि शूटिंग के लिए जो मसल चाहिए. उसको डवलप होने में समय लगता है. इस वजह से शूटिंग अन्य खेलों से अलग है. इस खेल के खिलाड़ियों को शूटिंग को समय देना चाहिए.
निशाना लगाते समय क्या सोच रहे थे आदर्श सिंह?: फरीदाबाद के निशानेबाज आदर्श सिंह ने ईटीवी भारत के साथ बातचीत में बताया,'जब मैं निशाना साध रहा था. उस समय दिमाग में कुछ भी नहीं चल रहा था. मेरा पूरा फोकस निशाने पर था. जब रिजल्ट आया, तब हमको पता चला कि टीम ने मेडल जीता है. हम लोग बहुत खुश हुए.' उन्होंने आगे बताया कि मैच से पहले वे ज्यादा उम्मीद नहीं रख रहे थे.यही सोचा था कि जैसे खेलते हैं, वैसे खेलेंगे. हम सिल्वर मेडल पर खड़े थे, लेकिन जब लास्ट वाले एथलीट ने फायर किया. तो उसका खेल बिगड़ गया. इसकी वजह से हम कांस्य पदक पर आ गए. आदर्श सिंह का कहना है कि अब फोकस इसी महीने में कोरिया में होने वाले एशियन शूंटिंग चैंपियनशिप पर है.ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड मेडल लेकर आना उनका सपना है.
कैसे की एशियन गेम्स की तैयारी ?:एशियन गेम्स से पहले की तैयारियों के बारे में आदर्श ने बताया. वे कहते हैं,'जैसे-जैसे गेम नजदीक आता जा रहा था. मैं दुनिया से कटता जा रहा था. पूरा फोकस खेल में कर दिया था.' इन दिनों सोशल मीडिया का बहुत क्रेज है. पर उन्होंने खेल के लिए इससे भी दूरी बनाकर रखी है. आदर्श बताते हैं कि उनका फेसबुक एकाउंट भी नहीं है.वे सोशल मीडिया पर भी एक्टिव नहीं है. वो उन्ही लोगों के फोन उठाते हैं जिनके नंबर उनके मोबाइल पर सेव हैं.
खेल कोटे के आधार पर नौकरी की मांग:हरियाणा सरकार की तरफ से खिलाड़ियों को दी जा रही सुविधाओं पर उन्होंने कहा कि सरकार अच्छा काम कर रही है. अब उनको भी उम्मीद है. मेडल लेकर आने पर सरकार उनको सम्मान जनक पद देगी.आदर्श सिंह ने कहा, 'मेरे पास भी ए-ग्रेड खेल का सर्टिफिकेट है. मेरी बहन के पास भी ए-ग्रेड खेल का सर्टिफिकेट है. पुलिस में ही नहीं तो कम से कम ऑफिसर की नौकरी मिलनी चाहिए. इस लेवल पर जाकर हम खेलते हैं तो सरकार को भी कुछ ना कुछ हमारे लिए सोचना चाहिए.'
खिलाड़ियों के लिए टिप्स: आदर्श ने बताया कि जो खिलाड़ी आते हैं उनको लगता है. जल्द ही गेम में मेडल ले आएं लेकिन ऐसा नहीं होता है. बल्कि इसके लिए तपस्या करनी पड़ती है.शूटिंग को 8 से 10 साल देना होता है, तभी इस गेम में मेडल ला सकते हैं. उन्होंने कहा कि कई ऐसे खिलाड़ी है जो दो-तीन साल खेलते हैं और जब मेडल नहीं आता है तो खेलना छोड़ देते हैं. उनको ऐसा नहीं करना चाहिए. आदर्श ने अपने कोच रौनक पंडित की भी जमकर तारीफ की. रौनक पंडित अभी 25 मीटर नेशनल टीम के चीफ कोच हैं.
आदर्श सिंह ने 2015 में की शूटिंग की शुरुआत: बता दें कि आदर्श सिंह ने 2015 से शूटिंग की शुरुआत की थी. उनकी बड़ी बहन भी नेशनल शूटर रह चुकी हैं. बहन को देखकर ही आदर्श ने शूटिंग की शुरुआत की. उससे पहले वे क्रिकेट खेला करते थे. हालांकि जन्म से बैक में प्रॉब्लम की वजह से आदर्श ने शूटिंग को चुना, क्योंकि इस गेम में एक जगह खड़े होकर निशान लगाना होता है. आदर्श सिंह अब तक जूनियर और सीनियर नेशनल लेवल पर 67 मेडल अपने नाम कर चुके हैं. वहीं, उन्होंने 27 इंटरनेशनल मेडल जीते हैं.