ETV Bharat / sports

Alvida 2019: भारतीय पहलवानों के लिए शानदार रहा साल, हासिल किए चार ओलंपिक कोटे - सुशील कुमार

साल 2019 में भारत की ओर से पहलवानों ने विश्व चैम्पियनशिप में पांच पदक और चार ओलंपिक कोटे स्थान हासिल किए.

wrestling, year ender 2019, alvida 2019
wrestling
author img

By

Published : Dec 27, 2019, 7:12 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय कुश्ती में ज्यादातर शीर्ष पहलवानों ने 2019 में उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन किया लेकिन इनमें सबसे चमकता सितारा दीपक पूनिया रहे जबकि अनुभवी और ओलंपिक दिग्गज सुशील कुमार और साक्षी मलिक का खराब प्रदर्शन जारी रहा.

इस साल विश्व चैम्पियनशिप में पांच पदक और चार ओलंपिक कोटे स्थान हासिल करना भारतीय पहलवानों के लिए अभूतपूर्व प्रदर्शन रहा.


बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट ने हासिल किया ओलंपिक कोटा

बजरंग पूनिया (65 किग्रा) और विनेश फोगाट (53 किग्रा) ने टोक्यो 2020 कोटे हासिल करने के अलावा पोडियम स्थान हासिल किए लेकिन उनसे कांस्य से बेहतर पदक की उम्मीद थी.

wrestling, year ender 2019, alvida 2019
बजरंग पूनिया

दीपक (86 किग्रा) साल के शुरू में जूनियर विश्व चैम्पियन बने थे और उन्होंने विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक के साथ ओलंपिक कोटा हासिल कर सुर्खिंया बटोरीं. वह स्वर्ण पदक जीतकर सुशील कुमार (2010) के बाद ऐसा करने वाले दूसरे भारतीय पहलवान बन जाते.

लेकिन टखने की चोट उनके आड़े आ गयी और उन्हें फाइनल से हटने के लिए बाध्य होना पड़ा. हालांकि सबसे अच्छी खबर साल के अंत में आई जब उन्हें खेल की संचालन संस्था यूनाईटेड वर्ल्ड रेसलिंग द्वारा साल का सर्वश्रेष्ठ जूनियर पहलवान चुना गया.

हरियाणा के दीपक के पिता दूध बेचते हैं और वे पहली बार 2016 में कैडेट विश्व चैम्पियनशिप स्वर्ण पदक के जरिए खबरों में आए.

2018 में उन्होंने सीनियर स्तर पर केवल एक पदक जीता लेकिन इस साल उन्होंने दो कांस्य और एक रजत के बाद नूर सुल्तान में अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर दूसरा स्थान हासिल किया.

जूनियर से सीनियर सर्किट तक का सफर उनके लिए अच्छा रहा बल्कि अब वे दुनिया के नंबर एक पहलवान है जिससे ओलंपिक वर्ष में उनसे काफी उम्मीदें लगी होंगी. वहीं पूनिया ने विश्व चैम्पियनशिप से पहले जिस भी टूर्नामेंट में शिरकत की, उसे जीता.

wrestling, year ender 2019, alvida 2019
सुशील कुमार

डान कोलोव, एशियाई चैम्पियनशिप, अली अलीएव और यासार डोगू में उन्होंने स्वर्ण पदक अपनी झोली में डाले लेकिन विश्व चैम्पियनशिप तक प्रतिद्वंद्वी उनके 'लेग डिफेंस' को बखूबी समझ गए.

कजाखस्तान के दौलत नियाजबेकोव ने नूर सुल्तान में उनकी शानदार फार्म को रोका और ये काफी हैरानी भरा रहा क्योंकि वे दुनिया के नंबर एक पहलवान के तौर पर खिताब जीतने के प्रबल दावेदार थे.

बजरंग ने हार के बाद शिकायत की कि जजों ने घरेलू पहलवान का पक्ष लिया लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि उन्होंने शुरूआती बढ़त गंवा दी थी. अभी वे विश्व रैंकिंग में दूसरे नंबर पर हैं और उन्होंने अपने कमजोर डिफेंस को ताकतवर बनाने पर काम शुरू कर दिया है और इसके लिए वे सोनीपत में ट्रेनिंग शिविर में नए रूसी जोड़ीदार विक्टर रोसादिन के साथ काम कर रहे हैं.

रवि दहिया ने भी दिखाई अपनी काबिलियत

वहीं गरीब परिवार से एक अन्य पहलवान रवि दहिया ने अपनी मजबूत तकनीक, ताकतवर डिफेंस और सबसे अहम अपने मिजाज से प्रभावित किया जो उन्हें ओलंपिक पदक के लिए मजबूत दावेदार बनाता है.

wrestling, year ender 2019, alvida 2019
बजरंग पूनिया और रवि दहिया

विश्व चैम्पियनशिप में उनका कांस्य पदक कईयों के लिए हैरान करने वाला रहा लेकिन प्रो लीग में उन्होंने अपनी काबिलियत दिखायी.

इससे भारत टोक्यो में पहलवानों से एक से ज्यादा पदक की उम्मीद कर सकता है. राहुल अवारे ने भी कांस्य से भारत की पदक संख्या में इजाफा किया, हालांकि ये गैर ओलंपिक 61 किग्रा वर्ग में था.

विनेश फोगाट ने बढ़ाई ओलंपिक पदक की उम्मीद

विनेश फोगाट ने विश्व चैम्पियनशिप में अपना पहला पदक जीतकर ओलंपिक पदक की उम्मीदें बढ़ा दी हैं. ओलंपिक वर्गों की सबसे बड़ी स्पर्धा में से एक में विनेश ने सिर्फ अपनी प्रतिद्वंद्वियों को नहीं पस्त किया बल्कि कुछ को हराकर उनके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी भी हुई.

wrestling, year ender 2019, alvida 2019
विनेश फोगाट

हालांकि दो ओलंपिक पदक जीतने वाले सुशील कुमार और रियो 2016 की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक के लिए ये साल खुद को साबित करने की जोर आजमाइश करने वाला रहा.

दोनों ने राष्ट्रीय ट्रायल्स में जीत हासिल करने के बाद विश्व चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया लेकिन दोनों में से काई भी एक दौर से ज्यादा नहीं टिक सका.

सुशील (36 साल) के भविष्य को लेकर चल रही अटकलें भी तेज हो गई. वहीं युवा साक्षी (27 साल) का ओलंपिक कांस्य के बाद ज्यादातर टूर्नामेंट में प्रदर्शन कमतर ही रहा है. उन्हें सरकार की टॉप्स प्रणाली से भी बाहर कर दिया गया जिससे उनका भविष्य अच्छा नहीं दिखता. हालांकि साल के अंत में उन्होंने 62 किग्रा में राष्ट्रीय खिताब अपने नाम किया.

नई दिल्ली: भारतीय कुश्ती में ज्यादातर शीर्ष पहलवानों ने 2019 में उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन किया लेकिन इनमें सबसे चमकता सितारा दीपक पूनिया रहे जबकि अनुभवी और ओलंपिक दिग्गज सुशील कुमार और साक्षी मलिक का खराब प्रदर्शन जारी रहा.

इस साल विश्व चैम्पियनशिप में पांच पदक और चार ओलंपिक कोटे स्थान हासिल करना भारतीय पहलवानों के लिए अभूतपूर्व प्रदर्शन रहा.


बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट ने हासिल किया ओलंपिक कोटा

बजरंग पूनिया (65 किग्रा) और विनेश फोगाट (53 किग्रा) ने टोक्यो 2020 कोटे हासिल करने के अलावा पोडियम स्थान हासिल किए लेकिन उनसे कांस्य से बेहतर पदक की उम्मीद थी.

wrestling, year ender 2019, alvida 2019
बजरंग पूनिया

दीपक (86 किग्रा) साल के शुरू में जूनियर विश्व चैम्पियन बने थे और उन्होंने विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक के साथ ओलंपिक कोटा हासिल कर सुर्खिंया बटोरीं. वह स्वर्ण पदक जीतकर सुशील कुमार (2010) के बाद ऐसा करने वाले दूसरे भारतीय पहलवान बन जाते.

लेकिन टखने की चोट उनके आड़े आ गयी और उन्हें फाइनल से हटने के लिए बाध्य होना पड़ा. हालांकि सबसे अच्छी खबर साल के अंत में आई जब उन्हें खेल की संचालन संस्था यूनाईटेड वर्ल्ड रेसलिंग द्वारा साल का सर्वश्रेष्ठ जूनियर पहलवान चुना गया.

हरियाणा के दीपक के पिता दूध बेचते हैं और वे पहली बार 2016 में कैडेट विश्व चैम्पियनशिप स्वर्ण पदक के जरिए खबरों में आए.

2018 में उन्होंने सीनियर स्तर पर केवल एक पदक जीता लेकिन इस साल उन्होंने दो कांस्य और एक रजत के बाद नूर सुल्तान में अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर दूसरा स्थान हासिल किया.

जूनियर से सीनियर सर्किट तक का सफर उनके लिए अच्छा रहा बल्कि अब वे दुनिया के नंबर एक पहलवान है जिससे ओलंपिक वर्ष में उनसे काफी उम्मीदें लगी होंगी. वहीं पूनिया ने विश्व चैम्पियनशिप से पहले जिस भी टूर्नामेंट में शिरकत की, उसे जीता.

wrestling, year ender 2019, alvida 2019
सुशील कुमार

डान कोलोव, एशियाई चैम्पियनशिप, अली अलीएव और यासार डोगू में उन्होंने स्वर्ण पदक अपनी झोली में डाले लेकिन विश्व चैम्पियनशिप तक प्रतिद्वंद्वी उनके 'लेग डिफेंस' को बखूबी समझ गए.

कजाखस्तान के दौलत नियाजबेकोव ने नूर सुल्तान में उनकी शानदार फार्म को रोका और ये काफी हैरानी भरा रहा क्योंकि वे दुनिया के नंबर एक पहलवान के तौर पर खिताब जीतने के प्रबल दावेदार थे.

बजरंग ने हार के बाद शिकायत की कि जजों ने घरेलू पहलवान का पक्ष लिया लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि उन्होंने शुरूआती बढ़त गंवा दी थी. अभी वे विश्व रैंकिंग में दूसरे नंबर पर हैं और उन्होंने अपने कमजोर डिफेंस को ताकतवर बनाने पर काम शुरू कर दिया है और इसके लिए वे सोनीपत में ट्रेनिंग शिविर में नए रूसी जोड़ीदार विक्टर रोसादिन के साथ काम कर रहे हैं.

रवि दहिया ने भी दिखाई अपनी काबिलियत

वहीं गरीब परिवार से एक अन्य पहलवान रवि दहिया ने अपनी मजबूत तकनीक, ताकतवर डिफेंस और सबसे अहम अपने मिजाज से प्रभावित किया जो उन्हें ओलंपिक पदक के लिए मजबूत दावेदार बनाता है.

wrestling, year ender 2019, alvida 2019
बजरंग पूनिया और रवि दहिया

विश्व चैम्पियनशिप में उनका कांस्य पदक कईयों के लिए हैरान करने वाला रहा लेकिन प्रो लीग में उन्होंने अपनी काबिलियत दिखायी.

इससे भारत टोक्यो में पहलवानों से एक से ज्यादा पदक की उम्मीद कर सकता है. राहुल अवारे ने भी कांस्य से भारत की पदक संख्या में इजाफा किया, हालांकि ये गैर ओलंपिक 61 किग्रा वर्ग में था.

विनेश फोगाट ने बढ़ाई ओलंपिक पदक की उम्मीद

विनेश फोगाट ने विश्व चैम्पियनशिप में अपना पहला पदक जीतकर ओलंपिक पदक की उम्मीदें बढ़ा दी हैं. ओलंपिक वर्गों की सबसे बड़ी स्पर्धा में से एक में विनेश ने सिर्फ अपनी प्रतिद्वंद्वियों को नहीं पस्त किया बल्कि कुछ को हराकर उनके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी भी हुई.

wrestling, year ender 2019, alvida 2019
विनेश फोगाट

हालांकि दो ओलंपिक पदक जीतने वाले सुशील कुमार और रियो 2016 की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक के लिए ये साल खुद को साबित करने की जोर आजमाइश करने वाला रहा.

दोनों ने राष्ट्रीय ट्रायल्स में जीत हासिल करने के बाद विश्व चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया लेकिन दोनों में से काई भी एक दौर से ज्यादा नहीं टिक सका.

सुशील (36 साल) के भविष्य को लेकर चल रही अटकलें भी तेज हो गई. वहीं युवा साक्षी (27 साल) का ओलंपिक कांस्य के बाद ज्यादातर टूर्नामेंट में प्रदर्शन कमतर ही रहा है. उन्हें सरकार की टॉप्स प्रणाली से भी बाहर कर दिया गया जिससे उनका भविष्य अच्छा नहीं दिखता. हालांकि साल के अंत में उन्होंने 62 किग्रा में राष्ट्रीय खिताब अपने नाम किया.

Intro:Body:





Alvida 2019: भारतीय पहलवानों के लिए शानदार रहा साल, हासिल किए चार ओलंपिक कोटे



नई दिल्ली: भारतीय कुश्ती में ज्यादातर शीर्ष पहलवानों ने 2019 में उम्मीदों के अनुरूप प्रदर्शन किया लेकिन इनमें सबसे चमकता सितारा दीपक पूनिया रहे जबकि अनुभवी और ओलंपिक दिग्गज सुशील कुमार और साक्षी मलिक का खराब प्रदर्शन जारी रहा.



इस साल विश्व चैम्पियनशिप में पांच पदक और चार ओलंपिक कोटे स्थान हासिल करना भारतीय पहलवानों के लिए अभूतपूर्व प्रदर्शन रहा.





बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट ने हासिल किया ओलंपिक कोटा

बजरंग पूनिया (65 किग्रा) और विनेश फोगाट (53 किग्रा) ने टोक्यो 2020 कोटे हासिल करने के अलावा पोडियम स्थान हासिल किए लेकिन उनसे कांस्य से बेहतर पदक की उम्मीद थी.



दीपक (86 किग्रा) साल के शुरू में जूनियर विश्व चैम्पियन बने थे और उन्होंने विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक के साथ ओलंपिक कोटा हासिल कर सुर्खिंया बटोरीं. वह स्वर्ण पदक जीतकर सुशील कुमार (2010) के बाद ऐसा करने वाले दूसरे भारतीय पहलवान बन जाते.



लेकिन टखने की चोट उनके आड़े आ गयी और उन्हें फाइनल से हटने के लिए बाध्य होना पड़ा. हालांकि सबसे अच्छी खबर साल के अंत में आई जब उन्हें खेल की संचालन संस्था यूनाईटेड वर्ल्ड रेसलिंग द्वारा साल का सर्वश्रेष्ठ जूनियर पहलवान चुना गया.



हरियाणा के दीपक के पिता दूध बेचते हैं और वे पहली बार 2016 में कैडेट विश्व चैम्पियनशिप स्वर्ण पदक के जरिए खबरों में आए.  



2018 में उन्होंने सीनियर स्तर पर केवल एक पदक जीता लेकिन इस साल उन्होंने दो कांस्य और एक रजत के बाद नूर सुल्तान में अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर दूसरा स्थान हासिल किया.



जूनियर से सीनियर सर्किट तक का सफर उनके लिए अच्छा रहा बल्कि अब वे दुनिया के नंबर एक पहलवान है जिससे ओलंपिक वर्ष में उनसे काफी उम्मीदें लगी होंगी. वहीं पूनिया ने विश्व चैम्पियनशिप से पहले जिस भी टूर्नामेंट में शिरकत की, उसे जीता.



डान कोलोव, एशियाई चैम्पियनशिप, अली अलीएव और यासार डोगू में उन्होंने स्वर्ण पदक अपनी झोली में डाले लेकिन विश्व चैम्पियनशिप तक प्रतिद्वंद्वी उनके 'लेग डिफेंस' को बखूबी समझ गए.



कजाखस्तान के दौलत नियाजबेकोव ने नूर सुल्तान में उनकी शानदार फार्म को रोका और ये काफी हैरानी भरा रहा क्योंकि वे दुनिया के नंबर एक पहलवान के तौर पर खिताब जीतने के प्रबल दावेदार थे.



बजरंग ने हार के बाद शिकायत की कि जजों ने घरेलू पहलवान का पक्ष लिया लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि उन्होंने शुरूआती बढ़त गंवा दी थी. अभी वे विश्व रैंकिंग में दूसरे नंबर पर हैं और उन्होंने अपने कमजोर डिफेंस को ताकतवर बनाने पर काम शुरू कर दिया है और इसके लिए वे सोनीपत में ट्रेनिंग शिविर में नए रूसी जोड़ीदार विक्टर रोसादिन के साथ काम कर रहे हैं.





रवि दहिया ने भी दिखाई अपनी काबिलियत

वहीं गरीब परिवार से एक अन्य पहलवान रवि दहिया ने अपनी मजबूत तकनीक, ताकतवर डिफेंस और सबसे अहम अपने मिजाज से प्रभावित किया जो उन्हें ओलंपिक पदक के लिए मजबूत दावेदार बनाता है.



विश्व चैम्पियनशिप में उनका कांस्य पदक कईयों के लिए हैरान करने वाला रहा लेकिन प्रो लीग में उन्होंने अपनी काबिलियत दिखायी.



इससे भारत टोक्यो में पहलवानों से एक से ज्यादा पदक की उम्मीद कर सकता है. राहुल अवारे ने भी कांस्य से भारत की पदक संख्या में इजाफा किया, हालांकि ये गैर ओलंपिक 61 किग्रा वर्ग में था.





विनेश फोगाट ने बढ़ाई ओलंपिक पदक की उम्मीद

विनेश फोगाट ने विश्व चैम्पियनशिप में अपना पहला पदक जीतकर ओलंपिक पदक की उम्मीदें बढ़ा दी हैं. ओलंपिक वर्गों की सबसे बड़ी स्पर्धा में से एक में विनेश ने सिर्फ अपनी प्रतिद्वंद्वियों को नहीं पस्त किया बल्कि कुछ को हराकर उनके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी भी हुई.



हालांकि दो ओलंपिक पदक जीतने वाले सुशील कुमार और रियो 2016 की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक के लिए ये साल खुद को साबित करने की जोर आजमाइश करने वाला रहा.



दोनों ने राष्ट्रीय ट्रायल्स में जीत हासिल करने के बाद विश्व चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया लेकिन दोनों में से काई भी एक दौर से ज्यादा नहीं टिक सका.



सुशील (36 साल) के भविष्य को लेकर चल रही अटकलें भी तेज हो गई. वहीं युवा साक्षी (27 साल) का ओलंपिक कांस्य के बाद ज्यादातर टूर्नामेंट में प्रदर्शन कमतर ही रहा है. उन्हें सरकार की टॉप्स प्रणाली से भी बाहर कर दिया गया जिससे उनका भविष्य अच्छा नहीं दिखता. हालांकि साल के अंत में उन्होंने 62 किग्रा में राष्ट्रीय खिताब अपने नाम किया.


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.