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हॉकी- रिजर्व के तौर पर मिला अनुभव मैदान में काम आया: सिमरनजीत

हॉकी इंडिया के पॉडकास्ट 'हॉकी ते चर्चा' में विशेष मेहमान के तौर पर आये सिमरनजीत ने अपने कैरियर ओर टोक्यो ओलंपिक पर बात की. भारतीय टीम ने टोक्यो में 41 साल बाद ओलंपिक में कांस्य पदक जीता.

Simranjeet singh on playing as substitute in hockey team
Simranjeet singh on playing as substitute in hockey team
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Published : Oct 15, 2021, 3:55 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय हॉकी टीम के स्टार मिडफील्डर सिमरनजीत सिंह का मानना है कि कई बार रिजर्व बेंच पर बैठना वरदान भी साबित होता है और रिजर्व खिलाड़ी के तौर पर उनका अनुभव टोक्यो ओलंपिक में अच्छे प्रदर्शन में काम आया.

हॉकी इंडिया के पॉडकास्ट 'हॉकी ते चर्चा' में विशेष मेहमान के तौर पर आये सिमरनजीत ने अपने कैरियर ओर टोक्यो ओलंपिक पर बात की. भारतीय टीम ने टोक्यो में 41 साल बाद ओलंपिक में कांस्य पदक जीता.

सिमरनजीत ने सीनियर टीम में पदार्पण के बाद मार्गदर्शन के लिए सीनियर खिलाड़ियों को श्रेय दिया. उन्होंने बताया, "सरदार सिंह उसी पोजिशन पर खेलते थे जहां मैं खेलता हूं. मैं हमेशा से उनका खेल देखता था और उनकी सलाह को ध्यान से सुनता था."

उन्होंने कहा, "वो हमेशा कहते हैं कि हर मौके का पूरा उपयोग करो. हर शिविर में वह कहते थे कि अपना सौ फीसदी दो और टीम में रहने की भूख हर दिन चयनकर्ताओं को महसूस कराओ."

ये भी पढ़ें- अरे वाह! इस छोटे गेंदबाज की 'भगवान' भी जमकर तारीफ किए, वीडियो देखिए

टोक्यो ओलंपिक में उनका सफर परीकथा से कम नहीं रहा. रिजर्व बेंच से टीम में शामिल होने के बाद उन्होंने जर्मनी के खिलाफ कांस्य पदक के मुकााबले में दो गोल किये. वो जून में चुनी गई मूल टीम का हिस्सा नहीं थे.

उन्होंने कहा, "हर खिलाड़ी की तरह मुझे लगता था कि 16 सदस्यीय टीम में जगह मिलनी चाहिये थी. मुझे पता था कि कोच को मुझ पर भरोसा है. जब मुझे पता चला कि रिजर्व खिलाड़ी भी टोक्यो जायेंगे तो पहले मुझे यकीन नहीं हुआ. मुझे फिर पता चला कि रिजर्व होने पर भी मुझे कम से कम एक मौका खेलने का मिलेगा. मैं उसका पूरा उपयोग करना चाहता था."

उन्होंने कहा, "मैने बेंच से न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया की टीमों का खेल देखा और यह मंथन करता रहा कि इन हालात में बेहतर प्रदर्शन कैसे कर सकता हूं. इससे मुझे वास्तव में खेलने पर काफी मदद मिली."

नई दिल्ली: भारतीय हॉकी टीम के स्टार मिडफील्डर सिमरनजीत सिंह का मानना है कि कई बार रिजर्व बेंच पर बैठना वरदान भी साबित होता है और रिजर्व खिलाड़ी के तौर पर उनका अनुभव टोक्यो ओलंपिक में अच्छे प्रदर्शन में काम आया.

हॉकी इंडिया के पॉडकास्ट 'हॉकी ते चर्चा' में विशेष मेहमान के तौर पर आये सिमरनजीत ने अपने कैरियर ओर टोक्यो ओलंपिक पर बात की. भारतीय टीम ने टोक्यो में 41 साल बाद ओलंपिक में कांस्य पदक जीता.

सिमरनजीत ने सीनियर टीम में पदार्पण के बाद मार्गदर्शन के लिए सीनियर खिलाड़ियों को श्रेय दिया. उन्होंने बताया, "सरदार सिंह उसी पोजिशन पर खेलते थे जहां मैं खेलता हूं. मैं हमेशा से उनका खेल देखता था और उनकी सलाह को ध्यान से सुनता था."

उन्होंने कहा, "वो हमेशा कहते हैं कि हर मौके का पूरा उपयोग करो. हर शिविर में वह कहते थे कि अपना सौ फीसदी दो और टीम में रहने की भूख हर दिन चयनकर्ताओं को महसूस कराओ."

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टोक्यो ओलंपिक में उनका सफर परीकथा से कम नहीं रहा. रिजर्व बेंच से टीम में शामिल होने के बाद उन्होंने जर्मनी के खिलाफ कांस्य पदक के मुकााबले में दो गोल किये. वो जून में चुनी गई मूल टीम का हिस्सा नहीं थे.

उन्होंने कहा, "हर खिलाड़ी की तरह मुझे लगता था कि 16 सदस्यीय टीम में जगह मिलनी चाहिये थी. मुझे पता था कि कोच को मुझ पर भरोसा है. जब मुझे पता चला कि रिजर्व खिलाड़ी भी टोक्यो जायेंगे तो पहले मुझे यकीन नहीं हुआ. मुझे फिर पता चला कि रिजर्व होने पर भी मुझे कम से कम एक मौका खेलने का मिलेगा. मैं उसका पूरा उपयोग करना चाहता था."

उन्होंने कहा, "मैने बेंच से न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया की टीमों का खेल देखा और यह मंथन करता रहा कि इन हालात में बेहतर प्रदर्शन कैसे कर सकता हूं. इससे मुझे वास्तव में खेलने पर काफी मदद मिली."

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